कहते हैं कि यदि किसी भी देश का कर संग्रहण बढ़ रहा है तो उसका सीधा तात्पर्य यह है कि वह देश विकास के मार्ग पर तीव्र गति से चल रहा है। कर के संग्रहण में बढ़ोतरी किसी भी देश के स्वस्थ एवं खुशहाल अर्थव्यवस्था का सूचक है। यदि भारत के परिप्रेक्ष्य में देखें तो हम पाएंगे कि भारत में भी कर का संग्रहण बढ़ रहा है।
वस्तुतः किसी भी देश में कर मुख्यतः दो प्रकार से एकत्र किए जाते हैं जिनको प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर कहते हैं।
- प्रत्यक्ष कर वह कर होते हैं जिसे भुगतान स्वयं वह व्यक्ति करता है जिसके ऊपर वह कर लगाया गया हो, प्रमुख रूप से इसके अंतर्गत आयकर, कॉर्पोरेट कर, सम्पत्ति कर इत्यादि आते हैं।
- कर का दूसरा प्रकार होता है अप्रत्यक्ष कर, इसके अंतर्गत कर लगाया किसी और पर जाता है और भुगतान कोई और करता है। वस्तु एवं सेवा कर, इक्साइज़ ड्यूटी इत्यादि मुख्य रूप से अप्रत्यक्ष कर की श्रेणी में आते हैं।
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हाल ही में वित्त मंत्रालय की ओर से यह जारी किया गया था कि अप्रत्यक्ष कर में मूल रूप से ऐतिहासिक वृद्धि हुई थी, किंतु अब यह बात भी सामने आ रही है कि अप्रत्यक्ष कर के साथ-साथ प्रत्यक्ष कर में भी अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिली है। वित्त मंत्रालय की तरफ से सार्वजनिक किए गए आंकड़े कहते हैं कि प्रत्यक्ष कर संग्रह में 23% का रिकॉर्ड तोड़ उछाल देखने को मिला है, जिससे कुल प्रत्यक्ष करों का संग्रह वित्तीय वर्ष 2022-23 में 7,00,669 करोड़ रुपये हो गया है। कुल किए गए प्रत्यक्ष कर संग्रह में 3,68,484 करोड़ रुपये कॉर्पोरेशन कर से आए हैं।
वित्त मंत्रालय ने वक्तव्य में बताया कि प्रत्यक्ष कर संग्रह के आंकड़े “आर्थिक गतिविधि के पुनरुद्धार का एक स्पष्ट संकेतक हैं और सरकार की स्थिर नीतियों का परिणाम है जो प्रक्रियाओं के सरलीकरण और सुव्यवस्थित करने और प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग के माध्यम से कर अपवंचन को रोकने पर केंद्रित है। इसी के साथ मंत्रालय ने आगे कहा की वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 17 सितंबर, 2022 तक प्रत्यक्ष कर संग्रह के आंकड़े बताते हैं कि कुल संग्रह 7,00,669 करोड़ रुपये हुआ है। जबकि पिछले वित्तीय वर्ष की इसी अवधि में यह 5,68,147 करोड़ रुपये था। 2021-22 में यह 23 प्रतिशत की वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है। 7,00,669 करोड़ रुपये के कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह में 3,68,484 करोड़ रुपये का निगम कर और 3,30,490 करोड़ रुपये का प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) सहित व्यक्तिगत आयकर भी शामिल है।
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आयकर रिटर्न के प्रसंस्करण की गति में वृद्धि
वस्तुतः चालू वित्त वर्ष के दौरान दाखिल आयकर रिटर्न के प्रसंस्करण की गति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, लगभग 93 प्रतिशत विधिवत सत्यापित आईटीआर को 17 सितंबर, 2022 तक संसाधित किया गया है। इसके परिणामस्वरूप चालू वित्त वर्ष में जारी किए गए रिफंड की संख्या में लगभग 468 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है। वित्त वर्ष 2022-23 में 17 सितंबर, 2022 तक 1,35,556 करोड़ रुपये का रिफंड जारी किया जा चुका है। पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 में इसी अवधि के दौरान जारी किए गए 74,140 करोड़ रुपये के रिफंड के रूप में जारी किए गए थे, अतः समग्र रूप से इसमें 83 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है।
मूलतः कराधार में वृद्धि हुई है जिसका परिणाम हमें स्पष्ट रूप से दिखायी पड़ रहा है। वस्तुतः मुख्य रूप से कर संग्रह को दो प्रकार से बढ़ाया जा सकता है, एक तो यदि कर के मूल्य में ही वृद्धि कर दी जाए और दूसरा यदि कराधार को बढ़ा दिया जाए, इन सबके साथ कर अपवंचन को रोकने के लिए फ्लेक्सिबल कर संबंधी नीतियां बनायी जाएं। भारत के अंदर करों का संग्रह इस प्रकार से बढ़ना यह दिखाता है कि लोग अब अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक हो रहे हैं, वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन सही से कर रहे हैं। सरकार का भी इसमें बहुत बड़ा योगदान है, सरकार द्वारा बनायी गयी सरल नीतियों से लोग आसानी से कर का भुगतान कर पा रहे हैं। वस्तुतः इससे सरकार की आय बढ़ेगी जिसका उपयोग सरकार देश के विकास एवं लोगों के कल्याण के लिए करेगी।
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