देश की राजनीति में बदलाव करने के दावे के सहारे अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी की स्थापना की थी लेकिन जैसे-जैसे समय बदला, केजरीवाल की सोच भी बदल गई, केजरीवाल के दावे धूल फांकने लगे। सबसे पहले केजरीवाल ने पार्टी के संस्थापक सदस्यों को साइडलाइन करना शुरू किया और धीरे-धीरे पार्टी पर अपना एकाधिकार स्थापित कर लिया। नतीजतन पार्टी अपने मूल से ही भटक गई और अब स्थिति ऐसी हो गई है कि देश में कांग्रेस के बाद अगर सबसे ज्यादा भ्रष्ट नेताओं की बात करें तो वे आम आदमी पार्टी में ही हैं! केजरीवाल के कई नेता भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए हैं। हम आपके लिए आम आदमी पार्टी के 6 नेताओं की सूची लेकर आए हैं, जिन्हें आम आदमी पार्टी से तुरंत बाहर कर देना चाहिए। इसके पीछे की वज़ह एकदम स्पष्ट है कि इन सदस्यों के ऊपर जो आरोप लगे हैं वह बहुत गंभीर हैं लेकिन फिर भी अरविंद केजरीवाल इन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता नहीं दिखा रहे हैं। आइए, एक-एक करके इन छह सदस्यों के बारे में विस्तार से समझते हैं।
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राजेंद्र पाल गौतम
राजेंद्र पाल गौतम, दिल्ली की केजरीवाल सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। दशहरा पर एक कार्यक्रम में इन्होंने 10,000 हिंदुओं का धर्मांतरण करवाया। इस दौरान मंच से शपथ दिलवाई गई। इस शपथ में हिंदू देवी-देवताओं के विरुद्ध बातें कही गई थीं। उन्होंने शपथ में लोगों से यह बुलवाया, “मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश को कभी ईश्वर नहीं मानूंगा और न ही कभी उनकी पूजा करूंगा। मैं राम और कृष्ण को ईश्वर नहीं मानूंगा और न ही कभी उनकी पूजा करूंगा। मैं गौरी, गणपति आदि हिंदू धर्म के किसी भी देवी-देवताओं को नहीं मानूंगा और न ही उनकी पूजा करूंगा।” इस शपथ को केजरीवाल के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने भी लिया। इस कार्यक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। राजेंद्र पाल गौतम पर कई सवाल खड़े हुए।
बीजेपी ने सीधे तौर पर केजरीवाल को निशाने पर लिया। गुजरात में ‘केजरीवाल हिंदू विरोधी है’ के पोस्टर्स लग गए। हिंदुओं के बीच बढ़ता विरोध देखते हुए और गुजरात चुनाव को देखते हुए केजरीवाल ने राजेंद्र पाल गौतम का इस्तीफा तो ले लिया लेकिन उन्हें पार्टी से निष्कासित नहीं किया। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिरकार केजरीवाल, राजेंद्र पाल गौतम को पार्टी से निष्कासित क्यों नहीं कर रहे हैं?
मनीष सिसोदिया
इसके बाद हमारे सामने मनीष सिसोदिया का मामला आता है। नई शराब नीति को लेकर सीबीआई जांच कर रही है। इसे लेकर सीबीआई निरंतर कई जगह छापेमारी कर रही है। कई लोगों की गिरफ्तारी इस मामले में हो चुकी है। यहां तक कि आम आदमी पार्टी के संचार प्रभारी विजय नायर को भी गिरफ्तार किया जा चुका है। इसके बाद भी इस पॉलिसी को लागू करने वाले मनीष सिसोदिया को अभी तक कैबिनेट से नहीं हटाया गया है। जबकि सिसोदिया का तुरंत कैबिनेट से इस्तीफा लेना चाहिए और उन्हें पार्टी से भी निष्कासित किया जाना चाहिए।
सत्येंद्र जैन
इसके बाद हमारे सामने सत्येंद्र जैन का केस आता है। सत्येंद्र जैन पिछले कई महीनों से जेल में बंद हैं। हवाला मामले में जैन को जेल में डाला गया है। जेल में जाने के बाद जैन के मंत्रालयों का कार्यभार सिसोदिया को दे दिया गया लेकिन उन्हें भी पार्टी से निष्कासित नहीं किया गया। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि जो शख्स जेल में बंद है, उसे भी कैसे अरविंद केजरीवाल पार्टी के अंदर रख सकते हैं?
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कैलाश गहलोत
केजरीवाल सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत पर लो फ्लोर बसों में घोटाला करने का आरोप लगा है। कैलाश गहलोत के विरुद्ध भी जांच जारी है। इसके बाद भी गहलोत को पार्टी से बाहर करने के बजाय केजरीवाल ने उन्हें कैबिनेट में कई मंत्रालय दे रखे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि स्वच्छ राजनीति करने का दावा करने वाले अरविंद केजरीवाल आखिरकार अब मौन क्यों हैं?
गोपाल इटालिया
गोपाल इटालिया, आम आदमी पार्टी गुजरात का अध्यक्ष है। बताया जाता है कि यह शख्स अरविंद केजरीवाल का बेहद करीबी है। जब भी केजरीवाल गुजरात जाते हैं, यह शख्स मंच पर उनके साथ ही रहता है। इटालिया का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। अपने वीडियो में इटालिया, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अपशब्दों का प्रयोग कर रहा है। इसके बाद भी इसके ऊपर केजरीवाल ने कोई कार्रवाई नहीं की है और यहां तक कि किसी भी तरह का स्पष्टीकरण भी नहीं दिया गया है।
अमानतुल्लाह खान
अमानतुल्लाह खान के नाम से दिल्ली में कोई भी अपरिचित नहीं है। गुंडागर्दी करने का ठेका केजरीवाल ने इसी शख्स को दे रखा है। गुंडागर्दी छोड़ दीजिए, अमानतुल्लाह खान पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे हैं। नवंबर 2016 में दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग के एसडीएम ने अमानतुल्लाह खान के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। उस पर आरोप है कि दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन रहते हुए अमानतुल्लाह खान ने कई स्वीकृत और गैर-स्वीकृत पदों पर अवैध तरीके से नियुक्तियां की। एसडीएम की शिकायत पर सीबीआई ने मामला दर्ज किया था। इसके बाद जांच में सामने आया कि अमानतुल्लाह ने पद का दुरुपयोग किया है। निमयों की अनदेखी की गई, भर्ती प्रक्रिया में हेर-फेर हुआ और अपने चहेतों को भर्ती किया गया। इसके लिए अमानुत्लाह खान को जेल की हावा भी खानी पड़ी है। इसके बाद भी अरविंद केजरीवाल ने अमानतुल्लाह खान को पार्टी से बाहर नहीं किया है बल्कि उसे बढ़ावा देने का काम ही कर रहे हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि जो शख्स तमाम नैतिक बातें करके, राजनीति में आया था, तमाम भ्रष्टाचार विरोधी वादे करके राजनीति में आया था, आज राजनीति के लिए क्या उसने अपना ईमान तक दांव पर लगा दिया है जो इन घोटालेबाजों को पार्टी में जगह दे रखी है?
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