पूरी दुनिया डिजिटल होने की ओर बढ़ चुकी है. आज के समय में हर एक चीज ऑनलाइन उपलब्ध है या उसे ऑनलाइन माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है. हमें किसी भी चीज की जानकारी लेनी होती है तो हम क्या करते हैं? सीधे गूगल पर जाते हैं. कुछ पढ़ना है तो गूगल पर जाओ, कुछ करना है तो गूगल पर जाओ यानी जीवन ही गूगल पर निर्भर हो गया. लेकिन कहा जाता है न कि हर चीज के दो पहलू होते हैं, जिनमें सकारात्मक पहलू को ब्रांडिंग के जरिए ‘भरोसेमंद’ के टैग में कनवर्ट कर दिया जाता है और नकारत्मक पहलू दबा रह जाता है. आज हम आपको गूगल के इसी नकारात्मक पहलू से अवगत कराएंगे, जिसके कारण भारत सरकार के अंतर्गत काम करने वाली CCI ने गूगल पर 1338 करोड़ का जुर्माना लगाया है.
भारत ने गूगल की लगा दी!
दरअसल, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने अमेरिकी कंपनी गूगल पर करीब 1,338 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। एंड्रॉयड मोबाइल उपकरण क्षेत्र में अपनी मजबूत स्थिति का दुरुपयोग कर प्रतिस्पर्धा को बाधित करने के कारण कंपनी पर यह कार्रवाई हुई है. CCI ने गूरूवार को अपने आदेश में गूगल को अनुचित कारोबारी गतिविधियां बंद करने का निर्देश दिया है. साथ ही, कामकाज के तरीकों में बदलाव करने को भी कहा है. ज्ञात हो कि गूगल काफी पहले से ही विवादों के घेरे में रहा है. भारत ही नहीं, दुनिया के तमाम देश पहले ही उस पर एक्शन ले चुके हैं. गूगल पर लगे लगभग सभी दाग उसके एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म से जुड़े हैं.
बताया जाता है कि गूगल एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने वाले फोन निर्माताओं से कॉन्टेक्ट करता है. उन्हें ऑप्शन दिया जाता है कि अगर मोबाइल कंपनियों को प्ले स्टोर की सुविधा का लाभ लेना है तो उन्हें गूगल के एप्स का पूरा सुइट ही मोबाइल में देना होगा यानी गूगल एप्स का जत्था पहले से ही आपके मोबाइल में प्रीइंस्टाल्टड होता है. इनमें क्रोम से लेकर अन्य एप्स को शामिल करने का आरोप है. गूगल पर कथित तौर पर मोबाइल निर्माताओं से इन एप्स को प्राथमिकता से डिवाइस पर रखने का दबाव बनाने का भी आरोप लगते आया है.
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ये देश पहले ही ले चुके हैं एक्शन
भारत की ओर से तो अभी हाल में इस पर एक्शन लिया गया है लेकिन भारत से पहले दुनिया के कई देश इस पर एक्शन ले चुके हैं. ज्ञात हो कि यूरोपीय यूनियन ने वर्ष 2018 में गूगल पर 4.3 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया था. ईयू के इस फैसले के खिलाफ गूगल ने केस दायर किया. इसी मामले में यूरोपीय संघ की जनरल कोर्ट ने जुर्माने को बरकरार रखा. हालांकि, जुर्माने को घटाकर 4.125 अरब डॉलर कर दिया.
इसके अलावा अमेरिका का न्याय विभाग गूगल के सर्च इंजन और ऑनलाइन एडवर्टाइजिंग में एकाधिकार के आरोपों की जांच कर रहा है. ध्यान देने वाली बात है कि 10 अमेरिकी राज्यों के अटॉर्नी जनरल्स ने ऑनलाइन एडवर्टाइजिंग में, तो 38 राज्यों ने सर्च में एकाधिकार के आरोपों की जांच शुरू की है. इतना ही नहीं गूगल के खिलाफ अमेरिका में एप पेमेंट सेवा में एकाधिकार स्थापित करने के आरोप भी लगे हैं.
वहीं, दक्षिण कोरिया में भी एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म के गलत इस्तेमाल से जुड़ी जांच जारी है. इस मामले में कोरिया के व्यापार आयोग ने गूगल पर वर्ष 2021 में 17.7 करोड़ डॉलर का जुर्माना लगाया था. अब गूगल के खिलाफ जांच करने वाले देशों की सूची में भारत भी शामिल हो गया है. ध्यान देने वाली बात है कि सीसीआई ने वर्ष 2019 में गूगल के विरुद्ध ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ बंडल एप्स मुहैया कराने के मामले में जांच शुरू की. वर्ष 2021 में सीसीआई की जांच में सामने आया कि गूगल ने मोबाइल एप मार्केट में वर्चस्व बनाने के लिए प्रतियोगिता को खत्म करने का प्रयास किया और अपनी एप्स को बढ़ावा दिया. वहीं, नवंबर 2020 में भी सीसीआई ने मोबाइल पेमेंट सिस्टम (गूगल पे) के क्षेत्र में एकाधिकार स्थापित कर प्रतियोगिता को खत्म करने के आरोप को लेकर गूगल के विरुद्ध जांच शुरु की थी. यह जांच अभी भी जारी है.
बिग टेक को घुटने पर लाना आवश्यक है
आपको बताते चलें कि केवल गूगल ही नहीं, जितनी भी बड़ी टेक कंपनियां है वो अपने हिसाब से चीजों को रेगुलेट करने का प्रयास करती हैं. ये कंपनियां स्वयं बाज़ार का निर्माण करती हैं, उसका विस्तार करती हैं और ख़ुद ही उस बाज़ार के नियम-कायदे बनाती हैं और उसी के हिसाब से चलती हैं. यानी इसके फायदे कम और नुकसान अधिक हैं और यह दोधारी तलवार से कम नहीं हैं. गूगल, अमेजन, फेसबुक, वीकिपीडिया, ट्विटर, युट्यूब, रेडिट समेत तमाम सोशल मीडिया जांच के दायरे में हैं और यह वो कंपनियां हैं जिसका उपयोग आपके और हमारे जैसे अरबों लोग करते हैं. सरकार, नागरिक, संस्था और राष्ट्र के कानून को ये टेक कंपनिया अपने हाथों की कठपुतलिया बनाकर राष्ट्र की स्वतन्त्रता को प्रभावित करने का प्रयास करती हैं और कमाई के सारे पैसे स्वदेश के उत्थान में लगा देती हैं. इन पर आये दिन एजेंडा चलाने के आरोप भी लगते रहते हैं. ऐसे में मौजूदा समय में बिग टेक को उसके घुटने पर लाना सबसे ज्यादा आवश्यक हो गया है. गूगल पर हुआ यह एक्शन, इस दिशा में मोदी सरकार की ओर से उठाया गया पहला कदम प्रतीत होता है.
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