चीन आतंकियों का सबसे बड़ा ‘रक्षक’ है तो अमेरिका सबसे बड़ा ‘समर्थक’

यहां कारण भी जान लीजिए!

Biden, Jinping

Source- TFI

भारत हमेशा से आंतकवाद के खिलाफ विश्व पटल पर सबसे मुखर रहा है. आतंक के समूल नाश हेतु सरकार ने अपनी तैयारियां भी कर रखी है. इस मामले पर दुनिया के कई देश हमारे साथ खड़े हैं और विश्व से आतंक का सफाया चाहते हैं लेकिन पाकिस्तान और चीन का राग ही अलग है. आतंक से भारत समेत दुनिया के तमाम देश ग्रसित हैं लेकिन जब जब आतंकियों पर एक्शन की बात आई है, चीन हमेशा उनके बचाव में खड़ा पाया गया है. पाकिस्तान और चीन का गठजोड़ किसी से छिपा नहीं है और अमेरिका का दोहराचरित्र भी धीरे धीरे दुनिया के सामने आ रहा है. एक ओर अमेरिका दुनिया को दिखाने के लिए आतंकवाद को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रिया देते रहता है तो दूसरी ओर यही अमेरिका, पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर करने को तैयार है. ऐसे में आप स्थिति को स्वत: समझ सकते हैं. दूसरी ओर चीन है जो हर बार पाकिस्तानी आतंकियों का मसीहा बन जाता है, जिसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि पाकिस्तान से ज्यादा चीन आतंकियों का पालन पोषण करने में लगा है. क्योंकि जब भी पाकिस्तानी आतंकियों पर कोई आंच आती है तो चीन आंतकियों पर ‘प्यार लुटाने’ लगता है और एक बार फिर चीन ने यहीं किया है.

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चीन ने 6 महीनें में 5 आतंकियों को बचाया

दरअसल, चीन पाकिस्‍तानी आतंकवादियों के लिए ढाल बन गया है. चीन ने मुंबई हमले को अंजाम देने वाले आतंकी संगठन लश्‍कर-ए-तैयबा के संस्‍थापक हाफिज सईद के बेटे हाफिज तल्हा सईद को संयुक्‍त राष्‍ट्र की ओर से प्रतिबंधित किए जाने के प्रस्‍ताव को रोक दिया है. इस प्रस्‍ताव को अमेरिका और भारत ने संयुक्‍त रूप से पेश किया था. लेकिन यह कोई पहली बार नही है जब चीन ने इस तरह आंतकवादियों का बचाव किया हो. भारत जब भी आतंकियों को धूल चटाने की कोशिश करता है तो चीन उस कोशिश में अडंगा लगा देता है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि चीन ने पिछले छह महीनों में पाँच पाकिस्तानी ‘चरमपंथियों’ को ग्लोबल टेररिस्ट सूची में डालने से बचाया है-

1. हाफ़िज़ तल्हा सईद- आंतकी तल्हा सईद की आतंकियों की भर्ती में अहम भूमिका रहती है. इसकी भारत पर हमला करवाने में भी अहम भूमिका रही है. अपने अब्बू हाफिज सईद की तरह वह भी भारत के खिलाफ लगातार जहर उगलता रहता है. पूर्व में उसके कई वीडियो भी वायरल हो चुके हैं. हाफिज तल्हा सईद आतंकवादी समूह लश्कर का एक अहम नेता है. उसका बाप हाफिज सईद 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों का मास्टर माइंड था. तल्हा सईद को इस वर्ष अप्रैल में भारत सरकार ने आतंकवादी घोषित किया था.

2. शाहिद महमूद- शाहिद महमूद लश्कर-ए-तैयबा का सुप्रीम सदस्य है. वो वर्ष 2007 से इस संगठन से जुड़ा हुआ है. वर्ष 2013 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ओबामा के तहत अमेरिकी सरकार ने महमूद को लश्कर-ए- तैयबा की पब्लिकेशन विंग का सदस्य बताया था. महमूद 26/11 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड साजिद मीर का करीबी है. चीन ने इस वर्ष सिंतबर में यूएन में मीर को भी वैश्विक आतंकी घोषित करने की राह में अडंगा लगाया था. बता दें कि चीन ने पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी शाहिद महमूद को वैश्विक आतंकी घोषित करवाने के भारत और अमेरिका के प्रस्ताव पर रोक लगा दी थी.

3. अब्दुल रहमान मक्की- अब्दुल रहमान मक्की 26/11 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के आतंकी संगठन जमात-उद-दावा का मेंबर है. अब्दुल रहमान मक्की हाफिज सईद का बेहद करीबी भी है. जिसे भारत और अमेरिका ने ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने के लिए एक ज्वाइंट प्रपोजल पेश किया था। हालांकि, चीन ने ऐन मौके पर इसे रोक दिया.

4. अब्दुल राउफ़ अज़हर- अब्दुल रऊफ असगर जैश-ए-मोहम्मद का शीर्ष कमांडर है, जिसे ब्लैकलिस्ट करने के लिए संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव पेश हुआ. लेकिन इसके सिर पर भी चीन ने हाथ रखा और इसे बचा लिया. असगर जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर मसूद अजहर का छोटा भाई भी है जो इस वक्त पाकिस्तान में कहां है, उसका पता सिर्फ उसके हुक्मरानों को ही है. वह 1999 में इंडियन एयरलाइन्स 814 की हाईजैकिंग के अलावा कई मामलों में भारत का गुनाहगार है.

5. साजिद मीर- साजिद मीर लश्कर का मोस्टवांटेड आतंकी और मुंबई में हुए 26/11 के आतंकवादी हमलों का मास्टरमाइंड है. जिसे ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करवाने को लेकर यूएन में एक प्रस्ताव दिया गया था लेकिन इसमें भी ड्रैगन ने अडंगा लगा दिया.

अमेरिका भी चीन से कम नहीं

हिंदी में एक कहावत बोली जाती है कि हाथी के दांत खाने के कुछ और दिखाने के कुछ और होते हैं. यह कहावत अमेरिका पर बिल्कुल सटीक बैठती है क्योंकि अमेरिका आंतकवाद के खिलाफ बात तो लंबी-चौड़ी करता है लेकिन अब यही अमेरिका, पाकिस्तान को FATF की ग्रे-लिस्ट से बाहर निकालने में मदद करने जा रहा है. ऐसे में अमेरिका को ‘आतंकियों का समर्थक’ कहा जाए तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी.

ज्ञात हो कि FATF अमेरिका का पालतू है, जिसे अमेरिका अपने इशारे पर नचाता है. हाल ही में अमेरिका ने जर्मनी पर FATF लगाने की धमकी दी थी, जिससे खेल की दशा और दिशा का पता चलता है. वहीं, हाल के घटनाक्रमों को देखें तो भारत और रूस के बीच करीबी बढ़ी है लेकिन भारत, अमेरिका को भी अपना व्यापारिक भागीदार बताते आया है. अब यह अलग बात है कि पहले अमेरिका, भारत को अपने हिसाब से नियंत्रित करने का प्रयास करता था और सफल भी हो जाता था और लेकिन आज स्थिति थोड़ी विपरीत हो गई है जिसके कारण वो अपनी कुंठा पाकिस्तान का साथ देकर निकाल रहा है.

आतंक की खानापूर्ति की निगरानी करने वाली पेरिस स्थित संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट लिस्ट से बाहर करने वाली है, जबकि कुछ दिनों पहले उसको ब्लैकलिस्ट करने की बात खूब जोरों-शोरों से की जा रही थी. वहीं, FATF के इस संभावित कदम को लेकर उसे सोशल मीडिया पर मुंह की खानी पड़ रही है. इसके अलावा हाल ही में अमेरिका ने पाकिस्तान को F16 विमानों के रखरखाव के लिए फंड भी दिया था. ऐसे में पाकिस्तान की मदद कर अमेरिका क्या करने की फिराक में यह पूरी दुनिया समझ रही है. कुल मिलाकर निष्कर्ष यह है कि अमेरिका हो या ड्रैगन, दोनों ही वैश्विक स्तर पर आंतकवाद को खत्म करने की बड़ी-बड़ी बातें तो करते हैं लेकिन परदे के पीछे अपनी काली करतूतों और एजेंडे को चलाने से बाज नही आते हैं और हालिया मामला सबका ध्यान इसी की ओर आकृष्ट कर रहा है. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि आंतकवाद को दुनिया में बढ़ावा देने में केवल पाकिस्तान का ही नहीं ‘अमेरिका’ और ‘चीन’ का भी पूरा हाथ है!

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