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बंगाल विभाजन क्यों हुआ? किसने किया, इसके नकारात्मक प्रभाव

TFI Desk द्वारा TFI Desk
13 October 2022
in मुझे हिंदी में खबर बताओ
बंगाल विभाजन
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बंगाल विभाजन – बंगाल विभाजन पहली बार 1905 ई. में वाइसराय लॉर्ड कर्ज़न द्वारा किया गया था. विभाजन के सम्बन्ध में कर्ज़न का तर्क था कि तत्कालीन बंगाल, जिसमें बिहार और उड़ीसा भी शामिल थे, काफ़ी विस्तृत है और अकेला लेफ्टिनेंट गवर्नर उसका प्रशासन भली-भाँति नहीं चला सकता है.

इसके फलस्वरूप पूर्वी बंगाल के ज़िलों की प्राय: उपेक्षा होती है, जहाँ मुसलमान अधिक संख्या में हैं। इसीलिए उत्तरी और पूर्वी बंगाल के राजशाही, ढाका तथा चटगाँव डिवीजन में आने वाले पन्द्रह ज़िलों को असम में मिला दिया गया और पूर्वी बंगाल तथा असम नाम से एक नया प्रान्त बना दिया गया और उसे बंगाल से अलग कर दिया गया।

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बंगाल विभाजन लॉर्ड कर्जन की कूटनीति

हालाँकि उसने बंगाल के विभाजन को प्रशासनिक दृष्टिकोण से आवश्यक बताया था लेकिन वास्तविकता यह थी कि बंगाल विभाजन उसकी प्रतिक्रियावादी नीति का ही परिणाम था. लॉर्ड कर्जन का तर्क था कि आकार की विशालता और कार्यभार की अधिकता के कारण बंगाल प्रांत का शासन एक गवर्नर के लिए संभव नहीं है. अतः उसने पूर्वी बंगाल और असम को मिलाकर एक अलग प्रांत बनाया जिसकी राजधानी ढाका रखी. वस्तुतः बंगाल विभाजन  का यह तर्क कर्जन का एक बहाना था.

उसका वास्तविक उद्देश्य तो बंगाल की राष्ट्रीय एकता को नष्ट कर हिन्दुओं और मुसलामानों के बीच फूट डालना था. उसकी स्पष्ट नीति थी फूट डालो और शासन करो. उसने खुद कहा भी था कि “यह बंगाल विभाजन केवल शासन की सुविधा के लिए नहीं की गई है बल्कि इसके द्वारा एक मुस्लिम प्रांत बनाया जा रहा है, जिसमें इस्लाम और उसके अनुयायियों की प्रधानता होगी.” इस प्रकार बंगाल का विभाजन लॉर्ड कर्जन का धूर्तता और कूटनीति से भरा कार्य था.

बंगाल विभाजन आंदोलन का शिक्षा के क्षेत्र पर प्रभाव 

  • बंगाल विभाजन आंदोलन का शिक्षा के क्षेत्र पर भी प्रभाव पड़ा और इसके कारण विद्यालयों की स्थापना की गई
  • राष्ट्रीय शिक्षा के क्षेत्र में सर्वप्रथम 8 नवंबर 1905 को रंगपुर नेशनल स्कूल की स्थापना की गई थी
  • 16 नवंबर 1905 को कलकत्ता में एक सम्मेलन हुआ था
  • इस सम्मेलन में राष्ट्रीय नियंत्रण में राष्ट्रीय साहित्यिक वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा देने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा परिषद स्थापित करने का फैसला किया गया
  • टैगोर के शांतिनिकेतन की तर्ज पर 14 अगस्त 1906 को बंगाल नेशनल कॉलेज और स्कूल की स्थापना की गई

बंगाल विभाजन आंदोलन का सांस्कृतिक क्षेत्र पर प्रभाव  

  • स्वदेशी आंदोलन का सबसे अधिक प्रभाव सांस्कृतिक क्षेत्र पर पड़ा था
  • बंगला साहित्य विशेषकर काव्य के लिए स्वर्ण काल था
  • रवींद्रनाथ टैगोर,द्विजेन्द्र लाल राय, मुकंददास ,सैयद अबू मुहम्मद के लिखे गीत आंदोलनकारियों के लिए प्रेरणा स्रोतबने
  • उन्होंने आंदोलन को तेज करने के लिए प्रेरणा स्त्रोत आमार सोनार बांग्ला नामक गीत लिखा था

बंगाल विभाजन आंदोलन का महिलाओं पर प्रभाव

इस आंदोलन की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता थी की महिलाओं ने इस आंदोलन में सक्रिय रुप से भाग लिया

पहली बार महिलाएं घर से बाहर निकली प्रदर्शन में भाग लेने लगी और धरने पर बैठने लगी थी

बंगाल विभाजन आंदोलन की कमियां

  • लेकिन यह आंदोलन बंगाल के किसानों को प्रभावित नहीं कर सका
  • केवल वारिसाल ही इसका अपवाद रहा
  • मुख्यतया आंदोलन शहरों के उच्च व मध्यम वर्ग तक ही सीमित रहा
  • बहुसंख्यक मुसलमानों ने विशेषकर खेतीहर मुसलमानों ने इसमें भाग नहीं लिया
  • उस समय बंगाल के अधिकतर भूस्वामी हिंदूथे,और मुसलमान खेतीहर मजदूर थे
  • अंग्रेजों ने मुसलमानों का उपयोग साम्प्रदायिकता के जहर को घोलने में किया

लॉर्ड कर्ज़न Lord Curzon –

जॉर्ज नथानिएल कर्ज़न (11 जनवरी, 1859- 20 मार्च, 1925) का जन्म केडलस्टन हॉल  में हुआ, जो इंग्लैंड के एक ब्रिटिश राजनेता और विदेश सचिव थे, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान ब्रिटिश नीति निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।लॉर्ड कर्ज़न ने लॉर्ड एल्गिन के कार्यकाल के उपरांत पदभार ग्रहण किया तथा कर्ज़न वर्ष 1899 से 1905 तक ब्रिटिश भारत के वायसराय रहे।वह 39 वर्ष की आयु में भारत के सबसे कम उम्र के वायसराय बने। कर्ज़न वायसराय पद के सर्वाधिक विवादास्पद और परिणामी धारकों में से एक थे।

चर्चा में क्यो?

हाल ही में पश्चिम बंगाल सरकार ने लॉर्ड कर्ज़न गेट के सामने बर्दवान के महाराजा बिजय चंद महताब और उनकी पत्नी राधारानी की मूर्ति लगाने का फैसला किया है।

कर्ज़न के वर्ष 1903 में शहर का दौरा करने के उपलक्ष्य में महताब ने गेट का निर्माण कराया था।

महाराजाधिराज बिजय चंद महताब वर्ष 1887 से 1941 में अपनी मृत्यु तक ब्रिटिश भारत में बर्दवान एस्टेट, बंगाल के शासक थे।

लॉर्ड कर्ज़न

जॉर्ज नथानिएल कर्ज़न (11 जनवरी, 1859- 20 मार्च, 1925) का जन्म केडलस्टन हॉल (Kedleston Hall) में हुआ, जो इंग्लैंड के एक ब्रिटिश राजनेता और विदेश सचिव थे, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान ब्रिटिश नीति निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

लॉर्ड कर्ज़न ने लॉर्ड एल्गिन के कार्यकाल के उपरांत पदभार ग्रहण किया तथा कर्ज़न वर्ष 1899 से 1905 तक ब्रिटिश भारत के वायसराय रहे।

वह 39 वर्ष की आयु में भारत के सबसे कम उम्र के वायसराय बने।

कर्ज़न वायसराय पद के सर्वाधिक विवादास्पद और परिणामी धारकों में से एक थे।

वायसराय के रूप में पदभार ग्रहण करने से पूर्व कर्ज़न ने भारत (चार बार), सीलोन, अफगानिस्तान, चीन, पर्शिया, तुर्किस्तान, जापान और कोरिया का दौरा किया था।

कर्ज़न की विदेश नीतियाँ Curzon’s Foreign Policies –

कर्ज़न ने अपने पूर्ववर्तियों शासकों के विपरीत उत्तर-पश्चिम में ब्रिटिश कब्ज़े वाले क्षेत्रों के एकीकरण, शक्ति और सुरक्षा की नीति का अनुसरण करना शुरू कर दिया।

उन्होंने चित्राल को ब्रिटिश नियंत्रण में रखा और पेशावर और चित्राल को जोड़ने वाली एक सड़क का निर्माण किया, जिससे चित्राल की सुरक्षा की व्यवस्था की गई।

अफगान नीति:

मध्य एशिया और फारस की खाड़ी क्षेत्र में रूसी विस्तार के डर से लॉर्ड कर्ज़न की अफगान नीति को राजनीतिक और आर्थिक हितों से जोड़ा गया था।

शुरुआती दौर से ही अफगानों और अंग्रेज़ों के बीच संबंधों में दरार आ गई थी।

पर्शिया के प्रति नीति:

उस क्षेत्र में ब्रिटिश प्रभाव को सुरक्षित करने के लिये वर्ष 1903 में लॉर्ड कर्ज़न व्यक्तिगत रूप से फारस की खाड़ी क्षेत्र में गए और वहाँ ब्रिटिश हितों की रक्षा हेतु कड़े कदम उठाए।

तिब्बत के साथ संबंध

लॉर्ड कर्ज़न की तिब्बत नीति भी इस क्षेत्र में रूसी प्रभुत्व के डर से प्रभावित थी।

लॉर्ड कर्ज़न के प्रयासों ने इन दोनों के बीच व्यापार संबंधों को पुनर्जीवित किया था जिसके तहत तिब्बत अंग्रेज़ों को भारी क्षतिपूर्ति देने के लिये सहमत हुआ।

Also Read: Savinay Avagya Andolan Information in Hindi

FAQ-

Ques- बंगाल का विभाजन कब और क्यों किया गया?

अंग्रेजों द्वारा 16 अक्टूबर, 1905 में बंगाल का विभाजन कर दिया गया था, इस विभाजन से अंग्रेजों का उद्देश्य भारतीयों में हिन्दू और मुस्लिम को अलग करना और सबसे महत्वपूर्ण भारतीयों के स्वतंत्रता संग्राम को कमज़ोर करना था।

Ques- बंगाल विभाजन के समय वायसराय कौन था?

Ans- लॉर्ड कर्जन भारत में 1899 में वायसराय के पद पर आए थे और 1905 तक इस पद पर रहे थे।

Ques- बंगाल विभाजन के बाद कौन सा आंदोलन शुरू हुआ?

Ans- बंगाल विभाजन का विरोध करने के लिए बंगाल में बहुत सारी बैठकों का आयोजन किया गया था और यह निर्णय लिया गया की अब से अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार किया जाएगा अर्थात अब कोई भी अब अंग्रेजी वस्तुओं को नहीं खरीदेगा और न ही उन्हें इस्तेमाल करेगा। इस विरोध को स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन के नाम से जाना गया।

आशा करते है कि बंगाल विभाजन से सम्बंधित यह लेख आपको पसंद आएगा एवं ऐसे ही रोचक लेख एवं देश विदेश की न्यूज़ पढ़ने के लिए हमसे फेसबुक के माध्यम से जुड़े.

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 Emotional Father Daughter Quotes in Hindi :इमोशनल फादर डॉटर कोट्स हिंदी में स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Emotional Father Daughter...

Deep Reality of life Quotes in Hindi
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Deep Reality of life Quotes in Hindi : जीवन की गहरी हकीकत हिंदी में

11 February 2023

Deep Reality of life Quotes in Hindi : : जीवन की गहरी हकीकत हिंदी में स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे...

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