जब से इस पृथ्वी पर राहुल गांधी का आगमन हुआ तब से लेकर आज तक उन्हें पूरी कांग्रेस एक युवराज की भांति सम्मान देती आ रही है और गांधी परिवार की चापलूसी करने में तो इस पार्टी के नेता सारी सीमाओं से आगे निकल गए हैं। बार-बार लॉन्च किया जाना, राहुल बाबा को थोड़ी तो सफलता मिल सके, इसके लिए बार-बार माहौल बनाना ये सब कांग्रेस और कांग्रेस के नेताओं के लिए बहुत आम बात हो गयी है। लेकिन ठहरिए बंधु इस बार कुछ नया हुआ है।
इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे कांग्रेस राहुल बाबा को बचाने हेतु मीडिया को ही खुलेआम धमका रही हैं, और कैसे वो सार्वजनिक रूप से अपना सत्यानाश करवाने की नींव रख रही है।
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गांधीजी को भी “कैंसल” कर दो
The apology from @Shubhamgaur09 is here. I support your art and I hope it reaches new heights but let this be a message to all those artists – Things like this against my leader won’t be tolerated.Don’t cross a line with us or face consequences.
शादी मुबारक in Advance Shubham. pic.twitter.com/H4daFRGvVO
— Suraj Singh Thakur (@SurajThakurINC) October 15, 2022
आप सोच रहे होंगे कि इन महोदय को क्या हुआ है जो ऐसे मिमिया रहे हैं, तो तनिक इस ट्वीट को देख लीजिए। यहां ये महाशय बोल रहे हैं कि जो भी हमारे नेता यानी राहुल गांधी के विरुद्ध “झूठा प्रोपगेंडा” चलाएगा, वो सावरकर बन जाएगा।
अच्छा जी, मतलब राहुल बाबा के विरुद्ध जोक्स अब से ‘कैंसल’ई कुछ नहीं बोलेगा। ठीक है नहीं बोलेगा, परंतु इस लॉजिक से तो गांधीजी को भी “कैंसल” कर दो, क्योंकि महाशय तो स्वतंत्रता के पश्चात कांग्रेस ही भंग करने की बात कर रहे थे।
भारत जोड़ों यात्रा की गजब असफलता से कांग्रेस को आभास होने लगा है कि जनाधार उनका निल बटे सन्नाटा है, तो उन्होंने सोचा कि क्यों न अपने मीडिया मित्रों पर ही पुनः दबाव बनाया जाए। भारत जोड़ो यात्रा के साथ इन्होंने एक अनोखी यात्रा प्रारंभ की है- “माफी मांगो यात्रा”। जिन-जिन लोगों ने कांग्रेस के वर्तमान स्तंभ यानी नेहरू गांधी वाड्रा परिवार के विरुद्ध एक शब्द भी बोला तो उन्हें डरा धमका कर “माफी मंगवाते” हैं। इन्हीं में से कुछ थे लल्लनटॉप पोर्टल के चर्चित पत्रकार सौरभ द्विवेदी, चर्चित यूट्यूबर शुभम गौड़, यहां तक कि ScoopWhoop जैसे साइट भी। कांग्रेस सोशल मीडिया प्रमुख श्रीनिवास बीवी ने यहां तक कह दिया कि यदि ऐसे पोस्ट नहीं हटाए, तो परिणाम बहुत बुरे होंगे –
The apology from @Shubhamgaur09 is here. I support your art and I hope it reaches new heights but let this be a message to all those artists – Things like this against my leader won’t be tolerated.Don’t cross a line with us or face consequences.
शादी मुबारक in Advance Shubham. pic.twitter.com/H4daFRGvVO
— Suraj Singh Thakur (@SurajThakurINC) October 15, 2022
अगर हमारे नेता के खिलाफ झूठा Propaganda चलाओगे तो इसी तरह 'सावरकर' बनने पर मजबूर किया जाएगा । pic.twitter.com/2U8ldTGziL
— Nitin Agarwal (@nitinagarwalINC) October 15, 2022
ask Kunal Kamra to apologise or has he already apologised in private? 🤣🤣🤣
pic.twitter.com/fOFAAXDDe7— NaMo Army (@OnlyNaMoNaMo1) October 15, 2022
@UFbySamdishh kindly take us through the process of Scoopwhoop ! We all know you have been sexually assaulted by scoopwhoop founder Mishra !Kindly help the congress legal team in naming the management and Name of the person who was handling Twitter official of scoopwhoop, Regards
— NRI 🇮🇳🇵🇸 (@ma18k) October 15, 2022
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जयललिता ने जब सत्य सार्वजनिक कर दिया था
चलिए, अब आप सबसे माफी मंगवाकर उन्हें अपना गुलाम बना लोगे, डरा धमकाकर उन्हें वास्तविक गोदी मीडिया बना लोगे, पर इनसे माफी मंगवा लोगे।
इनकी स्वीकारोक्ति छोड़िए, वर्ष 2013 की बात है जब तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जे जयललिता ने एक ऐसा कार्य किया था जिसका किसी को अंदेशा नहीं था। जयललिता ने ‘द कलेक्टेड वर्क्स ऑफ महात्मा गांधी-वॉल्यूम 90’ के कुछ अंश पढ़कर सभी को चौंका दिया था।
तब कांग्रेस विधायक एस. विजयधरानी और प्रिंस ने इसका विरोध किया था। उनका दावा था कि महात्मा गांधी ने इस संबंध में कभी कुछ नहीं कहा था। उन्होंने इसे साबित करने के लिए साक्ष्य पेश करने को कहा। इस पर मुनुसामी ने कहा कि यह इतिहास है, लिहाजा साक्ष्य पेश करने की जरूरत नहीं है। हालांकि, तब जयललिता ने अपने मंत्रियों की बात साबित करने के लिए सुबूत पेश किया था।
उन्होंने तब किताब के एक अंश को पढ़ा था जिसमें लिखा था कि ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सुझावों के मुताबिक देश को बंटवारे के बावजूद राजनीतिक स्वतंत्रता मिल गयी है। अब कांग्रेस के मौजूदा स्वरूप की उपयोगिता खत्म हो गयी है।’ एक चर्चा के दौरान तब के निकाय प्रशासन व ग्रामीण विकास मंत्री केपी मुनुसामी ने कहा था कि आजादी के बाद गांधीजी कांग्रेस को भंग करना चाहते थे
चलिए, इसे भी छोड़ते हैं, जिन नेताओं ने मीडिया के कुछ व्यक्तियों को धमकाया है, तो वे इन्हें सावरकर की भांति “माफी मंगवाने” का दंभ भर रहे हैं। बंधु, तनिक इतिहास पढ़े होते, तो ये भी समझते कि तुम तो अपने आराध्य का अपमान कर रहे हो।
सावरकर के योगदान का जिक्र
इंदिरा गांधी ने 20 मई 1980 को पंडित बाखले, सचिव, स्वतंत्रवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के नाम से संबोधित चिट्ठी में सावरकर के योगदान का जिक्र किया था। इस पत्र में इंदिरा ने लिखा है, ‘मुझे आपका पत्र 8 मई 1980 को मिला था। वीर सावरकर का ब्रिटिश सरकार के खिलाफ मजबूत प्रतिरोध हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के लिए काफी अहम है। मैं आपको देश के महान सपूत ( Remarkable Son of India) के शताब्दी समारोह के आयोजन के लिए बधाई देती हूं।’
इंदिरा गांधी की वह चिट्ठी
मशहूर लेखक वैभव पुरंदरे ( Vaibhav Purandare) ने सावरकर पर एक किताब लिखी है। उन्होंने अपनी किताब ‘द ट्रू स्टोरी ऑफ फादर ऑफ हिंदुत्व’ (The True Story of the Father of Hindutva) में लिखा है कि इंदिरा गांधी का लिखा पत्र सत्य है। किताब में लिखा है कि इंदिरा गांधी ने 1966 में सावरकर के निधन पर शोक भी जताया था। इंदिरा गांधी ने सावरकर को क्रांतिकारी बताते हुए तारीफ की थी और एक बयान भी जारी किया था। इंदिरा ने कहा कि सावरकर अपने कृत्य से देश को प्रेरित किया था।
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सावरकर रथ यात्रा
इतना ही नहीं, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने सावरकर रथ यात्रा की शुरुआत करते हुए इंदिरा के बयान का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि इंदिरा गांधी खुद हिंदू महासभा के नेता सावरकर को वीर सावरकर कहकर संबोधित करती थीं। लेकिन आज कर्नाटक में सावरकर की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। हालांकि ये कोशिश कौन कर रहा है उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया। येदियुरप्पा ने विपक्षी नेता सिद्दारमैया को निशाने पर भी लिया। येदियुरप्पा ने सावरकर को हिंदू धर्म के लिए लड़ाई करने वाला बताया।
तो क्या कांग्रेस यह सिद्ध करना चाहती है कि इंदिरा गांधी भी झूठी है? यदि ऐसा है, तो इससे हास्यास्पद दृश्य संसार में कहीं नहीं मिलेगा। इसी विषय पर जब कांग्रेस के चमचा शिरोमणि जयराम रमेश वीर सावरकर के विरुद्ध अनर्गल प्रलाप उगल रहे थे, तो अगस्त में उन्हें खरी खोटी सुनाते हुए इतिहासकार विक्रम सम्पत ने सत्य सबके सामने ला दिया। उन्होंने इंडिया टुडे से अपने वार्तालाप में कांग्रेस की पोल पट्टी खोलते हुए उन्हें काफी कुछ सुनाया। विक्रम संपत के शब्दों में- “सावरकर से इनकी घृणा मुझे समझ नहीं आती। इतिहास और सावरकर इस राजनीतिक खुरपेंच में स्वाहा हो गए हैं। अगर सावरकर वाकई में विभाजन के दोषी होते तो वे निस्संदेह स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री होते।”
वो उतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने सावरकर को कांग्रेस द्वारा दिए गए सम्मान का स्मरण कराते हुए कहा, “कमाल की बात है यह। इंदिरा गांधी ने उनकी मृत्यु के पश्चात एक डाक टिकट जारी करवाया। उनकी स्मृति में एक विशेष डॉक्युमेंट्री बनवाई, वो भी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से। यहां तक कि मुंबई में एक निजी स्मारक को उन्होंने वित्तीय सहायता तक दिलवाई। इसके बारे में क्या कहेंगे?”
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नेहरू की निजी घृणा
अब विक्रम संपत कहीं से गलत तो कह नहीं रहे। इंदिरा गांधी ने ये सब किया लेकिन उससे पहले नेहरू ने अपनी निजी घृणा के चक्कर में सावरकर को हर सुविधा से वंचित रखा था। लाल बहादुर शास्त्री ने 1964 में उन्हें सरकारी खर्चे पर एक स्वतंत्रता सेनानी के योग्य पेंशन और सभी प्रकार की सुविधा देनी प्रारंभ की। जब उनकी मृत्यु हुई तो उन्हें सम्मान विदाई दी गई थी। ऐसे में कांग्रेस के वर्तमान बिरादरी का एक ही एजेंडा है, झूठ बोलो बार-बार झूठ बोलो।
राहुल गांधी के लिए कांग्रेस बहुत प्रयत्न कर रही है लेकिन उसे मीडिया का गिरेबान पकड़ने से पहले पार्टी के भीतर और गांधी परिवार के विरोधाभाषी विचारों पर ध्यान देना चाहिए। कांग्रेस को समझना चाहिए कि वो धमकाकर बाहरवालों और मीडिया वालों को चुप तो करा सकती है लेकिन अपने राहुल बाबा के बुद्धि प्रदर्शन और उनके पुर्वजों के बयानों और विचारों के साथ क्या करेगी।
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