भारत के विरुद्ध जहर उगलने वाली भारतीय मूल की ब्रिटिश गृहमंत्री को देना पड़ा इस्तीफा

इन्हें तो जाना ही था!

सुएला ब्रेवरमैन

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ब्रिटेन का नाम सुनकर आपके दिमाग में सबसे पहले क्या आता है? निश्चित तौर पर आपके आंखों के सामने गोरे अंग्रेजों के चेहरे घूम जाते होंगे। उनकी क्रूरता और उनका चरित्र आपकी आंखों के सामने आ जाता होगा लेकिन अब यही ब्रिटेन अपने पतन की राह पर आगे बढ़ चुका है। हाल ही में ब्रिटेन में सत्ता परिवर्तन हुआ और लिज ट्रस प्रधानमंत्री बनीं, लोगों को उनसे काफी उम्मीदें थी। उन्होंने सत्ता में आने से पहले खूब फ्री-फ्री का राग अलापा, नतीजतन उन्हें समर्थन मिला और वो पीएम बन गईं। लेकिन अब ऐसी खबरें भी सामने आ रही हैं कि ब्रिटेन की जनता ट्रस से थोड़ी भी खुश नहीं है। इसी बीच भारत विरोधी बयान देने वाली ब्रिटेन की गृहमंत्री सुएला ब्रेवरमैन को भी अपना पद गंवाना पड़ा है।

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सबसे कम दिन कार्य करने वाली गृहमंत्री बनी ब्रेवरमैन

दरअसल, ब्रिटिश गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने इस्तीफा दे दिया है। सुएला भारत विरोधी बयान देने के कारण विरोधियों के निशाने पर थीं। प्रधानमंत्री लिज ट्रस मंत्रिमंडल से पिछले एक हफ्ते में यह दूसरे मंत्री का इस्तीफा है। इससे पहले लिज ट्रस ने वित्त मंत्री क्वासी क्वार्टेंग को बर्खास्त कर दिया था। ध्यान देने वाली बात है कि ब्रिटेन की हालत कुछ ठीक नहीं है। ब्रेवरमैन गृहमंत्री पद से अपने इस्तीफे के साथ ही ब्रिटेन के इतिहास में सबसे कम समय यानी 43 दिन तक कार्य करने वाली गृहमंत्री बन गई हैं।

ब्रेवरमैन ने अपने बयान में कहा कि मुझे इस बात का बहुत खेद है कि मैंने इस्तीफा देना का निर्णय किया। उन्होने कहा कि मैंने अपने निजी ईमेल के द्वारा सरकारी दस्तावेज को आधिकारिक तौर पर प्रकाशित होने से पहले ही एक विश्वसनीय सांसद को भेज दिया था, जिसे नियमों का उल्लंघन बताया गया लेकिन इसके पीछे इसका मकसद माइग्रेशन को लेकर सरकार की नीति के लिए समर्थन जुटाना था। जैसा कि आपको पता है कि यह डॉक्यूमेंट मेरे बयान का मसौदा मात्र था, इसमें से अधिकतर जानकारी पहले से ही सांसदों तक जा चुकी थी लेकिन फिर भी मैंने मेरा इस्तीफा देना ही सही कदम समझा।

सुएला ब्रेवरमैन ने अपने इस्तीफे को ट्वीट भी किया है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री कार्यालय ने ब्रेवरमैन को बर्खास्त करने कि बात से इनकार करते हुये कहा है कि उन्होंने खुद ही अपना इस्तीफा सौंपा है। ब्रेवरमैन ने कहा, जैसे ही मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ तो मैंने कैबिनेट सचिव को इसकी जानकारी दी। सरकार का काम अपनी गलतियों के लिए जिम्मेदारी स्वीकार करने वालों पर निर्भर करता है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि हमने न केवल अपने वोटर्स से किए गए प्रमुख वादों को तोड़ा है बल्कि घोषणापत्र के वादों को पूरा करने के लिए इस सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में मुझे गंभीर चिंता है, जिनमें प्रवासियों की संख्या कम करना और अवैध प्रवास को रोकना है।

भारतीयों को लेकर दिया था विवादित बयान

ज्ञात हो कि बीते माह सुएला ब्रेवरमैन ने भारतीयों को लेकर एक विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि सबसे बड़ी संख्या में भारतीय वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी ब्रिटेन में रुके रहते हैं, जिससे ब्रिटेन में भारतीयों की भीड़ बढ़ जाती है। उन्होंने यह बयान भारत और ब्रिटेन के बीच होने वाले मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर ही दिया था। ब्रेवरमैन ने कहा था कि उन्हें डर है कि भारत के साथ व्यापार समझौते से ब्रिटेन में आने वाले भारतीयों की संख्या और भी बढ़ सकती है। केवल यही नहीं वह तो अंग्रेजों के गुलामी काल का काफी ज्यादा गुणगान तक करती हैं। यहां अचंभित होने वाली बात यह है कि सुएला ब्रेवरमैन भारतीय मूल की हैं।

भारतीय होने के बाद भी जब सुएला ब्रेवरमैन ने इस तरह की बात कही तो उनके बयान पर काफी विवाद खड़ा हो गया था। भारत की ओर से उनकी इस टिप्पणी पर आपत्ति जताई गयी थी। भारत ने जवाब देते हुए कहा था कि भविष्य में कोई भी डील दोनों ओर के लाभ को देखकर ही की जाएगी। आपको बता दें कि 28 अगस्त को एशिया कप के मुकाबले में भारत ने पाकिस्तान को 5 विकेट से हरा दिया था। इसके बाद इस्लामिस्टों ने यूनाइटेड किंगडम के लीसेस्टर शहर में रहने वाले मासूम हिंदुओं पर हमला बोल दिया था। इन सभी हमलों को देखकर ऐसा ही प्रतीत होता है जैसे कि ये सब किसी योजना के तहत किया गया हो। इतना ही नहीं इन इस्लामिस्टों ने हिंदू मंदिर और युवाओं पर भी अपने हमलों का कहर बरसाया था। लीसेस्टर शहर में बिना किसी भय के सार्वजनिक रूप से उन्होंने पवित्र धार्मिक ध्वज को फाड़ कर, उसका अपमान कर उसे जला दिया। ये कट्टरपंथी पुलिस पर भी हमला करने से पीछे नहीं हटे। इस पूरी घटना को देखते हुए तो ऐसा ही लगने लगा जैसे ये हिन्दुओं पर अपनी कोई पुरानी भड़ास निकाल रहे हों।

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ब्रिटेन की हालत डांवाडोल है

इस तरह कि घटनाओ को मद्देनजर रखते हुये ऐसा लग रहा था कि यह विरोध तो बस बहाना था, हिंदुओं को ही निशाना बनाना था। इतना ही नहीं, इन सभी घटनाओं पर सुएला ब्रेवरमैन ने ब्रिटेन में अनियंत्रित प्रवास और नवीन लोगों के एकीकरण में विफलता को लेकर भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच के बाद से लीसेस्टर में हुये “दंगों” को जिम्मेदार ठहराया था। 4 अक्टूबर की शाम को बर्मिंघम में कंजर्वेटिव पार्टी के वार्षिक सम्मेलन में गृह मंत्री नियुक्त होने के बाद अपने पहले भाषण के दौरान ब्रेवरमैन ने कई हिंदू और मुस्लिम समूहों के बीच हुई झड़पों के बाद पूर्वी इंग्लैंड शहर की अपनी यात्रा का वर्णन किया था।

सुएला गुट के सांसद उनके इस्तीफे से अधिक इस बात से नाराज हैं कि उनकी जगह कैबिनेट में किसे स्थान दिया जा रहा है। कंजर्वेटिव पार्टी के वरिष्ठ सदस्य चार्ल्स वॉकर ने कहा कि वह सुएला के इस्तीफे देने से काफी ज्यादा खुश हैं। चार्ल्स ने कहा कि उन्हें लगता है सुएला अपना काम ठीक तरह से नहीं कर पा रहीं थीं। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा, ‘मुझे ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री भी अपना काम सही तरह से नहीं कर पा रही हैं और उन्हें भी जल्द अपना इस्तीफा दे देना चाहिए , मुझे इससे जरा भी दुख नहीं होगा।’ ये सभी कारण मिलकर ब्रिटेन की अर्थव्यस्था, राजनीतिक स्थिरता, बेहतर रोज़गार आदि पर एक सवालिया चिह्न उठा रहे है।

वक्त की मार और वहाँ के हिंदुओं पर होने वाले अत्याचारों की वजह से स्थिति एकदम से पलट गयी है। ऊपर से अब वहां की प्रधानमंत्री और अन्य पदों पर बैठे लोगों पर भी इसका दबाव देखने को मिल रहा है। ब्रितानिया राज में कभी न अस्त होने वाला सूरज तो छोड़िए, अब इन्हें चांद की चांदनी के लिए भी कठिन परिश्रम करन पड़ रहा है। डांवाडोल अर्थव्यवस्था, ज़बरदस्त महंगाई और राजनीतिक अस्थिरिता से जूझ रहे ब्रिटेन की ‘नैया पार’ कराने का बेड़ा अब ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री लिज ट्रस के कंधों पर है। लेकिन वह इसके बोझ तले दबती ही जा रही हैं। दूसरी ओर यह भी प्रतीत हो रहा है कि भारत से अपने संबंधों को सामान्य रखने की कोशिश में ब्रिटेन सरकार की ओर से यह फैसला लिया गया है।

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