करो या मारो का नारा किसने दिया एंड आंदोलन
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे करो या मारो का नारा किसने दिया एंड आंदोलन के बारे में साथ ही इससे जुड़े असफलता के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें.
करो या मरो
इस नारे के करो या मारो का नारा राष्ट्रपिता श्री महात्मा गाँधी जी के द्वारा दिया गया है। इस नारे को महात्मा गाँधी जी के द्वारा 8 अगस्त 1942 को बॉम्बे में हो रहे एक आंदोलन के वक़्त दिया था। उन्होंने इस नारे का प्रयोग आंदोलन में भाषण देने से पूर्व प्रयोग किया था।
भारत मां को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराना था। ये आंदोलन देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की ओर से चलाया गया था। बापू ने इस आंदोलन की शुरूआत अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई अधिवेशन से की थी।
आंदोलन की असफलता –
क्रूर दमन-
- आंदोलन के दौरान कुछ स्थानों पर हिंसा देखी गई, जो कि पूर्व नियोजित नहीं थी।
- आंदोलन को अंग्रेज़ों द्वारा हिंसक रूप से दबा दिया गया, लोगों पर गोलियाँ चलाई गईं, लाठीचार्ज किया गया, गाँवों को जला दिया गया और भारी जुर्माना लगाया गया।
- इस तरह सरकार ने आंदोलन को कुचलने के लिये हिंसा का सहारा लिया और 1,00,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया।
समर्थन का अभाव –
- मुस्लिम लीग, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और हिंदू महासभा ने आंदोलन का समर्थन नहीं किया। भारतीय नौकरशाही ने भी इस आंदोलन का समर्थन नहीं किया।
- मुस्लिम लीग, बँटवारे से पूर्व अंग्रेज़ों के भारत छोड़ने के पक्ष में नहीं थी।
- कम्युनिस्ट पार्टी ने अंग्रेज़ों का समर्थन किया, क्योंकि वे सोवियत संघ के साथ संबद्ध थे।
- हिंदू महासभा ने खुले तौर पर भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया और इस आशंका के तहत आधिकारिक तौर पर इसका बहिष्कार किया कि यह आंदोलन आंतरिक अव्यवस्था पैदा करेगा और युद्ध के दौरान आंतरिक सुरक्षा को खतरे में डाल देगा।
करो या मारो का नारा किसने दिया एंड आंदोलन
करो या मरो –
गांधी और उनके समर्थकों ने स्पष्ट कर दिया कि वह युद्ध के प्रयासों का समर्थन तब तक नहीं देंगे जब तक कि भारत को आजादी न दे दी जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बार यह आंदोलन बंद नहीं होगा। उन्होंने सभी कांग्रेसियों और भारतीयों को अहिंसा के साथ ‘करो या मरो’ के जरिए अंतिम आजादी के लिए अनुशासन बनाए रखने को कहा।
जय जवान जय किसान –
यह नारा हमारे देश के ही एक क्रांतिकारी के द्वारा दिया गया था जिनका नाम लाल बहादुर शास्त्री जी था उस समय यह भारत देश के आपातकालीन प्रधानमंत्री थे। यह नारा उन्होंने 1965 में हो रहे भारत व पाकिस्तान के बीच हो रहे युद्ध के दौरान दिया था।
मारो फिरंगी को –
मारो फिरंगी को का यह नारा मंगल पांडेय जी ने दिया था। इनको आज भी देश का सबसे पहला क्रांतिकारी माना जाता है। यह नारा मंगल पांडेय जी द्वारा इसलिए दिया गया था ताकि देश में हो रहे अंग्रेजो के जुल्मों से भारत के नागरिकों के दिल में भी क्रांति की भावना जगे।
वंदे मातरम् –
इस मशहूर नारे के बारे में देश का हर एक नागरिक जानता है। इस मशहूर नारा वंदे मातरम् बंकिम चंद्र चटर्जी के द्वारा दिया गया था। यह एक नारा ही नहीं बल्कि यह भारत देश का राष्ट्रिय गीत भी है।
जय जगत –
जय जगत का यह नारा विनोबा भावे के द्वारा दिया गया था। विनोबा भावे भी भारत के सबसे मशहूर स्वतंत्रता सेनानी में से एक थे। विनोबा भावे भी एक सामाजिक कार्यकर्त्ता थे व वह भी गाँधी जी के आदर्शों पर चलते थे।
जन गण मन –
यह न केवल एक नारा है बल्कि यह भारत देश का राष्ट्रिय गान भी है। की इस नारे को और इस गीत का निर्माण भारत के जाने माने व्यक्ति श्री रविंद्रनाथ टैगोर जी ने इसका निर्माण किया था और उन्होंने इसको सर्वप्रथम 27 दिसंबर 1911 कोलकाता के कांग्रेस सेशन में था।
स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है –
यह भी एक बहुत ही मशहूर नारा है। स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है यह नारा बाल गंगाधर तिलक जी के द्वारा दिया गया था। यह पूर्ण नारा यह है की स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और हम इसे लेकर रहेंगे यह पूर्ण नारा है
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