कांग्रेस का नाम सुनकर आपके दिमाग में क्या आता है? निश्चित तौर पर राजवाड़े जैसी तस्वीर आपके दिमाग में कौंध जाती होंगी, राजा और उनके चापलूसों के समान कई तरह के चित्र आपके दिमाग में आ जाते होंगे। सच्चाई भी इससे कुछ ज्यादा भिन्न नहीं है। हालात वैसे ही हैं, स्थिति भी वैसी ही है, चाल-चलन और चरित्र भी लगभग वैसा ही है! आपको ज्ञात होगा कि पहले के समय में राजा अपने विश्वासपात्र लोगों को उच्चतम पदों पर रखते थे और उन्हें कठपुतली की भांति अपने इशारे पर चलाते थे। कांग्रेस भी लंबे समय से यह कार्य करती आई है लेकिन अब कांग्रेस के किले में सेंधमारी हो गई है, कांग्रेस खत्म होने की कगार पर है और स्थिति ऐसी हो गई है कि अब कांग्रेस आलाकमान के करीबी या यूं कहे कि उनके विश्वासपात्र भी उनको भाव नहीं दे रहे हैं। हालिया मामला सोनिया गांधी के विश्वासपात्र और कांग्रेस के चश्मोचिराग राहुल गांधी के करीबी मल्लिकार्जुन खड़गे का है।
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मल्लिकार्जुन खड़गे की अनुपस्थिति
दरअसल, मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के बड़े नेता हैं और कांग्रेस आलाकमान के इर्द गिर्द दिख ही जाते हैं। इन्हें कांग्रेस पार्टी ने अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया। खुद सोनिया गांधी ने उन्हें अपने घर बुलाकर पार्टी का नेतृत्व करने की बात कही थी। राज्यसभा सांसद ने कहा था कि “सोनिया गांधी ने उन्हें अपने घर बुलाया था और उनसे कांग्रेस का नेतृत्व करने के लिए कहा था। मैंने उनसे कहा कि मैं तीन नाम सुझा सकता हूं। उन्होंने कहा कि वह नाम नहीं मांग रही हैं और मुझे पार्टी का नेतृत्व करने के लिए कहा।” लेकिन अब स्थिति ऐसी बन गई है कि इस ‘वफदार’ ने भी कांग्रेस आलाकमान या यूं कहें कि राहुल-सोनिया को कैंसल कर दिया है।
ज्ञात हो कि राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हैं। पिछले दिनों जब उनकी यह यात्रा कर्नाटक पहुंची तो सोनिया गांधी भी इस यात्रा में शामिल हुई थीं। इस दौरान कर्नाटक कांग्रेस के तमाम बड़े से लेकर छोटे नेता तक सब पहुंचे थे। यहां तक कि सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार भी इस दौरान यात्रा में शामिल हुए थे लेकिन जिसकी उपस्थिति नहीं थी वो थे मल्लिकार्जुन खड़गे। बताया जा रहा है कि कर्नाटक के जिस इलाके से यह यात्रा निकल रही थी, वहां से मल्लिकार्जुन खड़गे का निवास काफी नजदीक है और इसके बावजूद वह इसमें शामिल नहीं हुए। उनकी अनुपस्थिति को लेकर कई तरह के कयास लगने शुरू हो गए हैं और अध्यक्ष की उम्मीदवारी से पीछे हटने की बात कही जा रही है।
गहलोत, दिग्विजय और खड़गे, तीनों गए!
हालांकि, देखा जाए तो इसके पहले कांग्रेस अध्यक्ष के लिए कांग्रेस आलाकमान की पहली पसंद अशोक गहलोत थे। नामांकन से पहले और नामांकन के कुछ समय बाद तक तो स्थिति सब सही रही लेकिन अशोक गहलोत अपने राजस्थान प्रेम को त्याग नहीं पाए। राजस्थान में अंदरुनी कलह सामने आने लगी, जिसके बाद गहलोत का पत्ता कट गया। उनके बाद सोनिया-राहुल ने दिग्विजय सिंह को आगे करने की सोची और दिग्विजय सिंह ने नामांकन भी दाखिल कर दिया लेकिन उसके कुछ ही समय बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह कहते हुए नामांकन दाखिल किया कि उन्हें सोनिया गांधी ने स्वयं नेतृत्व करने को कहा है। उसके बाद दिग्विजय सिंह साइड हो गए और उन्होंने खड़गे को समर्थन देने की बात कही लेकिन अब खड़गे भी पीछे हटने में अपनी समझदारी दिखा रहे हैं।
आपको बताते चलें कि कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष अभी तक कोई न कोई गांधी परिवार का ही रहा है। कुछ अन्य नेता भी अध्यक्ष पद पर रहे लेकिन उनके साथ क्या सुलूक हुआ यह बताने की आवश्यकता नहीं है। कांग्रेस में परिवारवाद काफी अंदर तक फैला हुआ है, जिसके कारण यह पार्टी अन्य पार्टियों के निशाने पर बनी रहती है। इसी के कारण अब कांग्रेस आलाकमान अध्यक्ष पद का चुनाव करा रही है और इसके लिए गांधी परिवार से अलग हटकर कई नेता नामांकन दाखिल कर चुके हैं। शशि थरूर भी इसमें शामिल हैं। अगर इनमें से कोई भी अध्यक्ष बनता है तो वो अध्यक्ष नहीं एक ‘कठपुतली’ होगा, जिसे गांधी परिवार द्वारा संचालित किया जाएगा। ऐसे में अब सोनिया-राहुल के वफादार भी पीछे हटने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं।
दूसरी ओर बात यह भी है कि अध्यक्ष की कुर्सी पर कांग्रेसी, गांधी परिवार के लोगों को ही देखना चाहते हैं। नामांकन कर चुके नेताओं के पीछे हटने का एक बड़ा कारण यह भी हो सकता है। वहीं, भविष्य में स्थिति ऐसी भी हो सकती है कि कांग्रेस पार्टी की ओर से यह बोल दिया जाए कि ‘कांग्रेस के लोग गांधी परिवार से ही किसी को अध्यक्ष पद पर देखना चाहते हैं’ और राहुल गांधी या प्रियंका गांधी में से किसी को अध्यक्ष बना दिया जाए तो आश्चर्यचकित मत होइएगा!
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