समय बदल रहा है और बदलते समय के साथ तकनीक भी बदल रही है, नयी-नयी तकनीक आती जा रही है और पुरानी तकनीक पीछे छूटती जा रही है। मोबाइल के बढ़ते चलन ने नये-नये एप के विकास पर भी बल दिया है। अब इनमें से कुछ एप तो आपके लिए बहुत अच्छे हैं किंतु कुछ एप ऐसे हैं जो आपके लिए बहुत घातक साबित हो सकते हैं। वो आपके साथ धोखाधड़ी कर सकते हैं, आपकी सहमति के बिना आपकी फ़ोटो ले सकते हैं, आपके फ़ोन का ऐक्सेस प्राप्त कर सकते हैं। कुल मिलाकर कहें तो ये एप आपकी प्राइवसी का सीधे-सीधे बट्टा लगा सकते हैं।
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उपभोक्ताओं की निजी सूचना में सेंध
भारतीयों की निजता में सेंध लगाता ऐसा ही एक एप है ट्रू कॉलर, यह एक स्वीडन आधारित कंपनी है और भारत में ट्रूकॉलर के लगभग 22 करोड़ उपभोक्ता हैं। अब तनिक यह सोचिए कि यह एप 22 करोड़ उपभोक्ताओं की निजी सूचना में किस तरह से सेंध लगाए जा रहा है। ऐसा घटिया कृत्य यह भारतीय यूजर्स के साथ ही अधिक कर रहा है। उपभोक्ता की निजी जानकारी उनकी इच्छा के विरुद्ध निकाल कर वह उन्हें बाजार में बेच रहा है और बहुत पैसे भी कमा रहा है। मुख्यतः ट्रू कॉलर एप एक कॉलर ब्लॉकिंग और कॉलर आइडेंटीफीकेशन एप है।
आज हम आपको बताएंगे कि कैसे ट्रू कॉलर आपके डेटा को चुराकर उसे बाजार में बेचकर गाढ़ी कमाई करता हैं। इसके लिए सबसे पहले आपको कॉलर आइडी के बारे में जान लेना होगा। कॉलर आईडी एक ऐसी सुविधा है जो कॉल का उत्तर देने से पहले प्राप्तकर्ता के फोन पर कॉलर का नंबर, नाम, स्थान और उपलब्धता के आधार पर कॉलर के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्रदर्शित करता है। कॉलर आईडी यह भी दिखा सकता है कि कोई आपका जानने वाला कॉल कर रहा है। अब ट्रू-कॉलर कहता है कि उसकी कॉलर आइडी सामान्य कॉलर आइडी से बिल्कुल भिन्न है।
ट्रूकॉलर की कॉलर आईडी 2009 में लॉन्च हुई और उसके अनुसार यह बहुत सटीकता से कार्य करता है, क्योंकि यह ज्ञात, अज्ञात अथवा अवांछित कॉल की स्क्रीनिंग में अच्छी तरह से सहायता करती हैं। किंतु इसके लिए आपको अपने मोबाइल के फ़ोन एप का ऐक्सेस, अपने माइक्रफ़ोन का ऐक्सेस, मैसेज का ऐक्सेस, अपने कांटैक्ट का ऐक्सेस इत्यादि का उपयोग करने की अनुमति इस एप को देनी पड़ती है।
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कॉल से जुड़ी जानकारी
ट्रू कॉलर का दावा है कि इन सब अनुमति के कारण ट्रू कॉलर ऐप आपको कलर कोडेड कॉलर आईडी के साथ सामान्य, प्राथमिकता, स्पैम और व्यावसायिक कॉल के बीच अंतर करने में मदद करता है। ऐप रखने वाला कोई भी व्यक्ति स्कैमर्स, स्पैम कॉलर्स या किसी भी संदिग्ध नंबर से आयी कॉल को रोक सकता है या ब्लॉक भी कर सकता है। साथ ही व्यक्ति इसमें केवल नंबर दर्ज कर उस व्यक्ति का नाम भी जान सकता है जिसके नाम से वह नंबंर किसी अन्य उपभोक्ता के मोबाइल में दर्ज है। जब आप ट्रू कॉलर को अपने कॉटैक्ट ऐक्सेस करने की अनुमति देते हैं तो ट्रू-कॉलर आपके मोबाइल में दर्ज लोगों के नम्बर को ऐक्सेस करता है और फिर जब कोई अन्य व्यक्ति उस नंबर को ट्रू कॉलर पर ढूंढता है तो वह उसी नाम से दिखाता है जिस नाम से वह नम्बर आपके मोबाइल में दर्ज है।
Truecaller doesn’t care about your privacy if you’re in India – they get their hands on your personal information and monetise it.
This is the allegation Viceroy made in its report titled “Truecaller’s True Colors”. ☕️ (1/n)
— Finshots (@finshots) October 7, 2022
हालांकि ट्रू-कॉलर का कहना है कि हम अन्य संस्थाओं के साथ उपयोगकर्ताओं के नाम, फ़ोन नंबर या कोई अन्य डेटा नहीं बेचते हैं। किंतु साइबर रीसर्चर ने कहा है कि वर्ष 2019 से 4.75 करोड़ भारतीय ट्रू कॉलर यूजर की निजी जानकारी डार्क वेब पर उपलब्ध है। अब अगर आप भारतीय हैं तो ट्रू कॉलर आपकी निजता की चिंता नहीं करती हैं। हां, अगर आप पश्चिमी देशों के नागरिक हैं तो ट्रू कॉलर आपके डेटा को हर मुमकिन प्रयास करके बचाएगी। वस्तुतः ट्रू कॉलर आपका डेटा बेंचती है इसका प्रत्यक्ष प्रमाण आपने भी कभी न कभी अपने मैसेज बॉक्स में देखा होगा जब किसी कंपनी का प्रमोशनल मैसेज आपके पास आया होगा। अब ऐसे में ट्रू कॉलर कितना सच बोल रहा है यह बताने और समझने की आवश्यकता नहीं है।
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कड़े कानून की आवश्यकता है
ट्रू कॉलर के बारे में आपको बताते चलें कि स्वीडन की इस कंपनी कंपनी के पास यदि 22 करोड़ भारतीयों का डेटा होता है तो भारत की आंतरिक एवं बाह्य दोनों प्रकार की सुरक्षा पर घोर संकट है। डेटा का इस प्रकार से क्रय विक्रय नैतिक रूप से तो गलत है ही, किंतु अगर बड़े परिदृश्य में देखें तो यह भी मुमकिन है कि इतने भारतीयों का डेटा, यह देश एवं कंपनी भारत के विरुद्ध अपना एजेंडा चलाने के लिए उपयोग कर सकती है और दुश्मन देशों के साथ जानकारी साझा करके भारत के खिलाफ षडयंत्र भी कर सकती हैं। दरअसल, ट्रू कॉलर भारतीयों के डेटा को संकट में डाल सकता है ऐसे में भारत में प्राइवसी को लेकर बहुत कड़े कानून लाने होंगे ताकि यूजर्स अपने डेटा की सुरक्षा को लेकर आस्वस्थ रहें।
हाल ही में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि हम जल्द डेटा संरक्षण अधिनियम लाएंगे जिसमें डेटा लोकलाईजेशन पर बल दिया जाएगा। पूर्व की सरकारों की लचर आईटी नीतियों का ही परिणाम है कि आज यह कॉलर कम्पनी धड़ल्ले से भारतीयों के डेटा को बेंच रही है और मोटा लाभ कमा कर भारत के लोगों एवं सरकार को चूना लगा रही हैं। ऐसे में मोदी सरकार को चाहिए कि वह इस तरह के एप पर जल्द नकेल कसे, क्योंकि आने वाला युग 5जी का है और भारत जैसे देश में दिन ब दिन स्मार्ट्फोन उपयोग करने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोत्तरी ही होगी। ऐसे में समय में भारतीयों की निजता की सुरक्षा को भी और सुदृढ़ करना होगा।
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