कहते हैं कि सच को कितना भी छुपा लिया जाए वो एक न एक दिन सबके सामने आ ही जाता है और इसका जीता जागता सबूत हमें हाल ही में देखने को मिला। अपनी दमदार आवाज़ और पैने सवालों से सभी को चौंका देने वाले अर्नब गोस्वामी को आप सभी जानते ही होंगे। अर्नब गोस्वामी देश के जाने माने पत्रकारों में से एक हैं। वो अक्सर टीवी के माध्यम से लोगों का सच सामने लाने का प्रयास करते हैं लेकिन एक केस के चलते उनको खुद ही कटघरे में खड़ा होना पड़ गया था।
रिपब्लिक टीवी के खिलाफ साक्ष्य ही नहीं मिले
अभी हाल ही में उन्होंने चैन की सांस ली है, ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के द्वारा मुंबई की एक विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल कर इस बात का दावा किया गया है कि कथित टीआरपी घोटाले में रिपब्लिक टीवी के खिलाफ किसी भी तरह का कोई भी साक्ष्य नहीं मिला है। केंद्रीय एजेंसी ने आरोप पत्र में यह कहा कि इस संबंध में मुंबई पुलिस की जांच उनकी जांच से “भिन्न” थी। साथ ही ईडी ने कहा है कि उसे कुछ सबूत प्राप्त हुए हैं जिससे इस बात का पता चलता है कि कुछ क्षेत्रीय और मनोरंजन टेलीविजन चैनल सैंपल या ‘पैनल’ परिवारों को भुगतान करके टेलीविजन रेटिंग पॉइंट्स यानी टीआरपी में फेरबदल कर रहे थे।
विशेष पीएमएलए अदालत के न्यायाधीश एमजी देशपांडे ने इस आरोप पत्र पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। साल 2020 में ईडी ने इस मामले में Enforcement Case Information Report (ECIR) दर्ज की थी जिससे ये बात तो स्पष्ट हो जाता है कि ये अर्नब गोस्वामी के खिलाफ एक बहुत बड़ी साजिश थी. आइए जानते हैं कि पूरा मामला क्या है।
और पढ़ें- ईडी ने कांग्रेस नीत विपक्ष को दिया रियलिटी चेक
ईडी की जांच–पड़ताल
दरअसल, टीवी रेटिंग घोटाला के आरोपों के सिलसिले में फंसे जाने-माने पत्रकार अर्नब गोस्वामी के खिलाफ ईडी की जांच-पड़ताल चल रही थी। अभी कुछ दिनों पहले ही ईडी ने टीवी रेटिंग को लेकर एक आरोपपत्र दाखिल किया था। इसके बाद ‘आर भारत’ को हरी झंडी मिल गई है। ईडी ने अपने आरोपपत्र में बोला है कि इस टीवी रेटिंग घोटाला के केस में अर्नब के खिलाफ किसी तरह का कोई भी सबूत हासिल नहीं हुआ है जिससे इस केस में उनको दोषी कहा जाए। वरिष्ठ पत्रकार अर्नब गोस्वामी के स्वामित्व वाले रिपब्लिक टीवी और आर भारत पर अक्टूबर 2020 में टीआरपी नंबरों में छेड़-छाड़ करने का आरोप लगाया गया था, जिससे विज्ञापनों में बढ़ोतरी हो।
मुंबई पुलिस की ओर से रिपब्लिक टीवी के साथ-साथ दो मराठी चैनलों और कुछ लोगों के खिलाफ कथित टीआरपी घोटाले का मामला दर्ज होने के बाद ईडी ने ईसीआईआर दर्ज की थी। इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब रेटिंग एजेंसी ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल हंसा रिसर्च ग्रुप के माध्यम से इसके खिलाफ केस दर्ज किया गया था। ईडी के द्वारा दी गई चार्जशीट के अनुसार, चैनल के दर्शकों, कुछ एजेंटों और क्षेत्रीय प्रबंधकों के बीच फायदें के लिए कुछ चैनलों को अधिक देखने के लिए पैनल परिवारों को अधिक प्रभावित करने के लिए एक बड़ी योजना बनायीं थी।
और पढ़ें- नेशनल हेराल्ड मामले पर ईडी की ताबड़तोड़ कार्रवाई राहुल-सोनिया के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं
मामले में महेश बोम्पल्ली का नाम
मुंबई की टीआरपी देखें तो 1800 घरों और पूरे भारत में 45,000 घरों के आंकड़ों पर निर्भर होती है। हालांकि ये बात निर्धारित करना आसान नहीं है कि ये हेर-फेर कब से प्रारभ हुई। महा मूवीज, बॉक्स सिनेमा, फकट मराठी और अन्य दूसरे चैनलों ने केबल रिसर्च सर्वे को मद्देनज़र रखते हुए हंसा समूह के पूर्व शीर्ष कार्यकारी बोम्पल्ली मिस्त्री के साथ ये षड्यंत्र रचा। चार्जशीट में ये बात बोली गई है कि मुंबई पुलिस ने फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट पर “सतही” और कुछ सीमित पहलुओं के चलते रिपोर्ट तैयार की थी। ईडी ने कहा है कि महेश बोम्पल्ली ने बॉक्स सिनेमा और फकट मराठी जैसे चैनलों के टीआरपी विषय में हेरा-फेरी की थी। इसी कारण बोम्पल्ली और बॉक्स सिनेमा तथा फकट मराठी के मालिकों के साथ अन्य को आरोप पत्र में आरोपी बताया गया था।
जून 2021 में क्राइम ब्रांच ने अर्नब गोस्वामी के ऊपर लगाये गए आरोपों के चलते एक चार्जशीट भी दायर की थी लेकिन अभी हाल ही में इस बात का खुलासा हुआ है कि मुंबई पुलिस के द्वारा की गई जांच और उनकी जांच में काफी अंतर था। ईडी को इसके खिलाफ कोई भी सबूत नहीं मिला है फिर चाहे वह डिजिटल रूप में हो या फिर कोई बयान। ऐसे में यह बात तो साफ़ हो जाती है कि अर्नब गोस्वामी के खिलाफ एक बहुत बड़ी साजिश रची गयी। 2 सालों तक उनको इस जाल में फंसाने का बहुत अधिक प्रयास किया गया लेकिन अंततः सच सबके सामने आ ही गया।
और पढ़ें- पेटीएम, रेजरपे और कैशफ्री पर क्यों चला ईडी का डंडा, ये रहा असली कारण
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें.