“पहले सिनेमा हॉल में कमाओ, फिर देखेंगे,” OTT कंपनियों ने दबोचा बॉलीवुड का गला

सुनो बॉलीवुड, OTT तुम्हारा डस्टबिन नहीं है!

ott

संवाद 1-

हैलो, हां ब्रो, क्या हुआ? बिहार पे सीरीज़ डालनी है? नीरज बाबू बनाएंगे? स्पेशल 26 वाले? एक्सेप्ट करो, अरे अगर मगर मत करो, वैसे धंधे के वांदे पड़े हैं तू बस हां कर, वैसे ही RRR के पैसों पर जीवित हैं!

संवाद 2-

हैलो, हां, फिल्म डालनी है, ठीक है। अच्छी है? ठीक है? रिलीज़ हुई? नहीं, सीधे यहां करोगे? कबाड़घर समझा है क्या, कि कुछ भी उल्टा सीधा, अंट-संट बनाकर पटक दोगे यहां पर? चल फोन रख।

ये केवल एक संवाद नहीं, आज की जीती जागती सत्यता है, जो बॉलीवुड की देन है।

इस लेख में जानेंगे OTT प्लेटफॉर्म्स के एक नये कदम से जो बॉलीवुड के वर्तमान निर्माताओं के लिए न केवल घातक होगा, अपितु उन्हीं के कर कमलों की देन है।

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OTT के खिलाड़ियों ने एक तगड़ा झटका दिया

हाल ही में OTT के खिलाड़ियों ने एक तगड़ा झटका देते हुए फिल्म निर्माताओं को स्पष्ट रूप से Direct To Digital रिलीज की अवधि बढ़ाने से मना कर दिया है। बॉलीवुड हंगामा के रिपोर्ट के अनुसार, “पिछले शुक्रवार [14 अक्टूबर] से लगभग 10 से अधिक हिन्दी फिल्में प्रदर्शित हो चुकी हैं। अगर Doctor G को छोड़ दें, तो कई तो अनेक स्क्रीनिंग के बाद भी दहाई का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाई हैं। अनेकों दर्शकों ने इन फिल्मों को स्किप करना ही श्रेयस्कर समझा, क्योंकि उनके लिए ये OTT के योग्य है और वास्तव में होते भी तो फिर निर्माता इन्हें सिल्वर स्क्रीन तक खींचने का कष्ट क्यों उठा रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि सभी फिल्में ऑनलाइन रिलीज़ करने की जो प्रथा 2020 से चली आ रही थी, वह 2022 में बदल चुकी है, जिसके दुष्परिणाम केवल और केवल निर्माताओं को भुगतना पड़ा है”।

यानी दूसरे शब्दों में 2023 से पहले थियेटर में प्रदर्शन, फिर OTT का देखेंगे। परंतु ये प्रथा प्रारंभ कैसे हुई? किस भारतीय फिल्म से प्रथम प्रारंभ हुआ, यह कह पाना तनिक कठिन है परंतु ये रीति 2018 से प्रारंभ हुई थी, जब RSVP Pictures ने ‘Lust Stories’ को प्रत्यक्ष रूप से OTT पर बेचा। इसे मिश्रित प्रतिक्रिया मिली पर क्रिटिक्स की कथित सकारात्मक प्रतिक्रिया के आधार पर बॉलीवुड ने सोचा, क्यों न OTT पे हाथ साफ किये जाए और आ गई Drive।

बॉलीवुड की वास्तविक सोच को उजागर करते हुए Bollywood Hungama की इसी रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि “महामारी से पूर्व किसी भी फिल्म को प्रत्यक्ष रूप से OTT पर प्रदर्शित करने की रीति करण जौहर द्वारा निर्मित एवं सुशांत सिंह राजपूत और जैकलीन फर्नांडीज़ स्टारर ‘ड्राइव’ थी, जो Netflix पर 1 नवंबर 2019 को प्रदर्शित हुई और इसे सभी ने जमकर धोया। कोई नौसिखिया भी बता सकता था कि अगर फिल्म डायरेक्टली डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर प्रदर्शित हो रही है, तो इसका अर्थ है कि उत्पाद उत्कृष्ट तो नहीं होगा”।

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और इस तरह गयी भैंस पानी में

स्थिति तो यह हो गयी कि कई कलाकार तो OTT पर प्रदर्शन के विरुद्ध मोर्चा खोलने को तैयार हो गए। परंतु फिर आया COVID 19 और गई भैंस पानी में। न चाहते हुए भी इन्हें यही मार्ग अपनाना पड़ा और यहीं मिला बॉलीवुड को एक अवसर। जो कुछ भी हो, जैसा भी हो, परोस दो, चाहे जनता को पसंद आए या नहीं।

पिछले वर्ष अक्षय कुमार की एक फिल्म आई थी – ‘लक्ष्मी बॉम्ब’। ये फिल्म तमिल हॉरर कॉमेडी ‘कंचना’ पर आधारित थी, जिसे स्वयं वर्तमान फिल्म के निर्देशक राघव लॉरेंस ने निर्देशित किया और उसमें मुख्य भूमिका निभाई थी। हैरानी की बात यह है कि ‘लक्ष्मी बॉम्ब’ में मूल फिल्म से ठीक उलट न केवल सनातन धर्म का अपमान किया गया, अपितु इस फिल्म में जानबूझकर उन सभी बिंदुओं का प्रयोग किया गया जिससे सनातन धर्म की सहिष्णुता पर प्रश्न चिह्न लगाया जा सके। अर्थात मूल फिल्म की भावना के साथ अक्षय कुमार और फिल्म के लेखक फरहाद सामजी ने जबरदस्त खिलवाड़ किया। भले ही फिल्म का नाम ‘लक्ष्मी बॉम्ब’ से बदलकर ‘लक्ष्मी’ कर दिया गया हो, परंतु स्थिति ढाक के तीन पात रही।

लेकिन ये बॉलीवुड इतना रीमेक प्रेमी क्यों है? इसके दो प्रमुख कारण है : रचनात्मकता के कारण आने वाले जोखिम उठाने में भय और अच्छी स्क्रिप्ट लिखने के लिए परिश्रम करना जितना परिश्रम एक ‘गदर’ बनाने में लगता है, उतना परिश्रम एक ‘वांटेड’ या ‘राधे’ बनाने में बिल्कुल नहीं लगेगा। इसीलिए तो खान तिकड़ी रीमेक के पीछे सबसे अधिक लगती है। सलमान खान को तो तमिल सुपरहिट ‘मास्टर’ की रीमेक भी ऑफर की गई है। इसे बॉलीवुड का आलस नहीं तो और क्या कहेंगे?

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OTT न हुआ, मानो कूड़ाघर हो गया

इन सबका मूल अर्थ क्या है? स्पष्ट है – OTT न हुआ, मानो कूड़ाघर हो गया कि अपनी अधकचरी फिल्म लाओ, उसे प्रदर्शित कर जनता का मानसिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक संतुलन बिगाड़ो और फिर कहो कि ये सबसे ज्यादा व्यू की गई है। ऐसी बेशर्मी से प्रोमोट की जाती है, मिले चाहे दो व्यूवर भी नहीं। OTT पर व्यूवरशिप से कितना राजस्व आता है इसका कोई ठोस आधार नहीं है, अन्यथा सभी को पता चलता कि ‘सड़क 2’, ‘राधे’, ‘सम्राट पृथ्वीराज’, ‘शमशेरा’ जैसी फिल्में कितनी बुरी तरह OTT पर पिटी हैं।

परंतु आपको क्या प्रतीत होता है, ये कथा यहीं समाप्त होती है? बिल्कुल नहीं। लाल सिंह चड्ढा को ही देख लीजिए। आमिर खान को अपनी फिल्म पर इतना विश्वास था कि छाती चौड़ी कर बोल दिए, “मैं अपनी फिल्म छह महीने से पूर्व OTT पर प्रदर्शित ही नहीं करूंगा”।

सारी हेकड़ी 5 अक्टूबर को निकल गई, जब नेटफ्लिक्स पर देर रात को अद्वैत चंदन द्वारा निर्देशित एवं आमिर खान स्टारर ‘लाल सिंह चड्ढा’ प्रदर्शित हुई। यह ‘फॉरेस्ट गम्प’ की आधिकारिक भारतीय रीमेक है, जिसमें आमिर खान टॉम हैंक्स वाली भूमिका को आत्मसात करने का प्रयास भी ठीक से नहीं कर पाए। फिल्म तो औंधे मुंह गिरी ही और अब स्थिति यह हो गई कि इसे गुपचुप तरह से बिना किसी शोर शराबे के नेटफ्लिक्स पर प्रदर्शित किया गया और यह ऐप के मेन पेज पर भी दिखाई नहीं दे रही है।

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90 करोड़ में ही बेचने को मजबूर हुए

परंतु इतना क्या बुरा था इस फिल्म में? वैसे तो आमिर खान अपनी इस फिल्म को OTT पर 150 करोड़ में बेचना चाहते थे। पहले तो नेटफ्लिक्स इसके लिए तैयार भी हो गया, परंतु जब उसने लाल सिंह चड्ढा का बॉक्स ऑफिस पर हाल देखा तो वो सौदा रद्द करने की तैयारी में थे। नेटफ्लिक्स की शर्त थी कि वह इसे 80 से 90 करोड़ में ही खरीदेंगे। जब बात नहीं बनी तो आखिरकार आमिर खान ने नेटफ्लिक्स को यह फिल्म 90 करोड़ में ही बेचने को मजबूर होना पड़ा।

कुछ समय पूर्व आई रिपोर्ट्स के अनुसार नेटफ्ल‍िक्‍स और लाल सिंह चड्ढा के मेकर्स के बीच यह बातचीत एडवांस लेवल तक पहुंच चुकी थी। दावा किया गया है कि आमिर खान अपनी इस फिल्‍म के डिजिटल राइट्स के लिए 150 करोड़ रुपये की बड़ी रकम मांग रहे थे। मोल-भाव का दौर जारी था और आमिर खान फिल्‍म को नेटफ्ल‍िक्‍स पर रिलीज करने के लिए बहुत उत्‍साहित थे। ऐसा इसलिए कि यह एक ग्‍लोबल प्‍लेटफॉर्म है और साथ ही इसके 200 मिलियन से अध‍िक सब्‍सक्राइबर्स हैं। आमिर ने इसके लिए 150 करोड़ रुपये की मांग की थी। एक्‍टर को पूरी उम्‍मीद थी कि उनकी फिल्‍म बॉक्‍स ऑफिस पर बंपर कमाई करेगी।

बिल्कुल ठीक समझे आप गड़बड़ी तो थी और बहुत बड़ी। रिपोर्ट में आगे बताया गया, “आमिर जहां इन दो शर्तों पर सौदेबाजी कर रहे थे। वहीं उनके दिमाग में चीन के बॉक्‍स ऑफिस पर कमाई भी थी। आमिर खान की फिल्‍में चीन में बहुत तगड़ा बिजनस करती हैं, और ‘थ्री इडियट्स’ से लेकर ‘दंगल’ और ‘सीक्रेट सुपरस्‍टार’ की कमाई इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है।”

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अब ऐसे प्रपंचों को OTT प्लेटफ़ॉर्म भी समझने लगे हैं। जब उन्हें बिजनेस ही करना है तो वो भला पराजित, पस्त घोड़ों पर दांव लगाने का पाप क्यों करें? ऐसे में इतना तो स्पष्ट है कि OTT का एक ही ध्येय है – व्यापार हो तो अपने हिसाब से, कृपया अपना कूड़ा कहीं और फेंके।

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