“एक इंसान जो पहले ही अपनी सजा भुगत चुका है और सभी नियमों का पालन कर चुका है। उस पर दोबारा उसी अपराध के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है और न ही उसे दोबारा सजा दी जा सकती है। इसलिए उन्हें दोबारा काम शुरू करने की इजाजत दी जानी चाहिए। साजिद को जीवित रहने और अपनी जीविका कमाने का पूरा अधिकार है। इसलिए वो बिग बॉस शो में शामिल हुए हैं। इसलिए उन्हें काम करने की अनुमति दें और दिल्ली महिला आयोग द्वारा की गई अपील के अनुसार उनके खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू न करें”।
साजिद खान का बचाव कर रहा है FWICE
यह बयान हमारे FWICE यानी फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया साइन इम्प्लॉइज़ की ओर से आया है वो भी साजिद खान के बचाव में। हां वही साजिद खान जो कभी भारत को ‘हिम्मतवाला’, ‘हमशकल्स’, ‘हाउसफुल’ के प्रथम दो संस्करण जैसे महारत्न दिए, जिसे देख आंख से निकल आएं। इसी साजिद खान के बचाव में बॉलीवुड सामने आ गया, वो भी तब, जब उसकी लंका लगी पड़ी है, और समूचे संसार में उसका उपहास उड़ाया जा रहा है।
हाल ही में साजिद खान मी टू के भंवर में फंसने के पश्चात पुनः लाईमलाइट में आए हैं। सलमान खान के वार्षिक रोजगार योजना, क्षमा करें, बिग बॉस के नए सीजोन के अंतर्गत बंधुवर तनिक फ़ेम ढूंढने के बहाने प्रकट हो गए इनके मंच पर, क्योंकि यहां नहीं जाएंगे तो और कहाँ जाएंगे? हमें बस इसी बात का आश्चर्य है कि कन्हैया कुमार, गोपाल इटालिया जैसे मखनचू काहे नहीं यहां दर्शन दिए, वरना लक्षण इनके भी बहुत बढ़िया थे, पैसा मिलता वो अलग।
मूविंग बैक टू द टापिक, बिग बॉस के 16वें संस्करण को लेकर काफी विवाद है। भाई विवाद तो होगा ही, ये शो ही इतने वर्ष खिंच गया कम है, पर देश में बिट्टू की मम्मियां भी कम नहीं है। इसके अतिरिक्त क्योंकि बिगबॉस की पहचान ही यही रही है, यहां ऐसे कंटेस्टेंट्स को वरीयता दी जाती है जिसका विवादों से नाता हो। तभी तो चैनल की टीआरपी बढ़ेगी और शो को पॉपुलैरिटी मिलेगी।
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टीआरपी के नाम पर नौटंकी
प्रथम दो संस्करणों को छोड़ दें, तो तीसरे संस्करण से यहां टीआरपी के नाम पर नौटंकी होने लगी। कमाल आर खान के चोंचले स्मरण हैं न? इसके अतिरिक्त यहां लाइव निकाह हो या फिर डॉली बिंदरा की लड़ाई, सब कुछ सार्वजनिक होने लगा।
सीजन 10 के सबसे कुख्यात कंटेस्टेंट स्वामी ओम तो याद ही होंगे, जिन्होंने अपनी एक को-कंटेस्टेंट बानी जे को अलग ही उपहार दिया था, जिसके बारे में कुछ भी बोलना या लिखना अपर्याप्त होगा।
परंतु प्रश्न तो अब भी उठता है – साजिद खान ही क्यों? उसने ऐसा क्या कर दिया जिसके पीछे लोग हाथ धोकर पड़े हैं? कबाड़, यातना से परिपूर्ण फिल्मों के अतिरिक्त साजिद खान पर 2018 में 10 महिलाओं ने मी टू मूवमेंट के अंतर्गत मानसिक प्रताड़ना एवं यौन शोषण के आरोप लगाए थे।
साजिद खान पर एक्ट्रेस सिमरन सूरी, सलोनी चोपड़ा और अहाना कुमरा सहित कई और महिलाओं ने यौन शोषण का आरोप लगाया था। उस समय साजिद खान इन आरोपों को झूठा बता रहे थे। अब उन पर कार्रवाई की गई है। आईएफटीडीए ने संस्थान की गरिमा और प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते हुए खान को पद से निलंबित कर दिया है।
यौन उत्पीड़न का आरोप
इससे पहले साजिद पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए एक महिला पत्रकार ने अपनी आपबीती भी शेयर की थी। महिला पत्रकार ने बताया था कि वह साजिद की बहन फरहा खान का इंटरव्यू लेने उनके घर गई थी। इसी बीच उनकी मुलाकात साजिद से हुई। साजिद ने इस मौके पर उसे बलपूर्वक किस करने की कोशिश की थी।
साजिद खान को निलंबित करते हुए आईएफटीडीए के अध्यक्ष अशोक पंडित ने अपने स्टेटेमेंट में कहा था कि “समिति POSH ऐक्ट के तहत शिकायत की जांच कर रही है। जांच में समिति खान द्वारा पद के दुरुपयोग और यौन उत्पीड़न की शिकायत की जांच करेगी। इसके लिए साजिद खान को निलंबित करने का फैसला लिया है।” इससे पहले साजिद खान पर लगे आरोपों के तुरंत बाद उन्हें फिल्म ‘हॉउसफुल 4’ से बाहर कर दिया गया था।
परंतु अब तो ऐसा लगता है कि वो सारी कार्रवाई, सब प्रक्रिया केवल ढोंग था, क्योंकि साजिद खान न केवल बिग बॉस में वापस आए हैं, अपितु पुनः बॉलीवुड में फिल्में बना रहे हैं। वे बॉलीवुड में ‘100 परसेंट’ नामक एक फिल्म बना रहे हैं। यदि वे दोषी नहीं है, तो निस्संदेह उन्हें अपने कर्तव्यों के निर्वहन का पूरा अधिकार है, परंतु यदि वे दोषी हैं तो उन्हें इतनी विशेष सुविधाएं क्यों प्रदान की जा रही है। वैसे ये वही बॉलीवुड है न, जो छाती पीट पीटकर महिला के अधिकारों के लिए चिंघाड़ता है? यहां क्यों सांप सूंघ गया?
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बॉलीवुड का नैतिक पतन
साजिद खान के साथ जो हो रहा है, वो केवल उनकी नहीं, अपितु बॉलीवुड के नैतिक पतन का सूचक है, जो इतने घटिया फिल्मों और निरंतर असफलताओं के बाद भी सुधरने को तैयार नहीं है। इसका संकेत तो महोदय अर्जुन कपूर ने ही दे दिए थे। जब आपके उद्योग के फिल्म एक के बाद एक फ्लॉप हो रहे हों, तो आप क्या करेंगे? तनिक सोचेंगे, कि कुछ तो गलत कर रहे हैं न? कुछ नहीं तो ये तो काम करेंगे न आप?
परंतु नहीं, अर्जुन महोदय को लाईमलाइट चाहिए थी, और मिली भी तो किसलिए? दरअसल, उन्होंने बयान दिया कि “जवाब देने की बारी अब आ चुकी है। यह हर रोज बढ़ता ही चला जा रहा है। इंडस्ट्री के लोगों ने चुप रहकर गलती की। लोगों ने हमारी शालीनता का फायदा उठाया। लोगों के मन में जो आ रहा है, वे हमारे बारे में बोल रहे हैं। मैंने सोचा कि हमारा काम जवाब देगा, हम अपने हाथ क्यों गंदे करें परंतु अब चीजें हद से अधिक बढ़ रही हैं। बायकॉट सिस्टम लोगों की आदत बनता चला जा रहा है। हम सभी को एक साथ आना होगा और इसके खिलाफ आवाज उठानी पड़ेगी।”
अब आती हैं आलिया भट्ट, जो अपनी फिल्मों के लिए भी जानी जाती है और विवादों के लिए भी। उन्होंने भी अपनी आगामी फिल्म ब्रह्मास्त्र के प्रदर्शन के पूर्व अपना ब्रह्मज्ञान देते हुए कहा कि हमें बार-बार अपने को डिफेंड करने की आवश्यकता नहीं है। अगर जनता को हमारी फिल्में नहीं देखनी तो मत देखें। परंतु इस मामले में सबसे मस्त तड़का दिया फरहान अख्तर ने। उन्होंने कहा, “बॉलीवुड को अब ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है उन्हें ग्लोबल ऑडिएंस को देखते हुए कंटेंट तैयार करना होगा। हमें ज्यादा लोगों तक पहुंचने का तरीका ढूंढना होगा जैसा ‘द अवेंजर्स’ ने किया। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन सी भाषा में बात कर रहा है या कोई इंग्लिश समझ पा रहा है या नहीं। जरूरी है कंटेंट, जिससे आप कनेक्ट कर सकें।”
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बॉलीवुडिया गैंग
यानी ‘बॉलीवुडिया गैंग’ को यह लगने लगा है कि देश की जनता उन्हें बुरी तरह से नकार चुकी है और उनकी फिल्में भारत में फ्लॉप ही होंगी। फरहान अख्तर के बयान से यह तो स्पष्ट है कि देसी बिरादरी को माल हजम नहीं हुआ तो विदेसी बिरादरी को ठुसायएंगे। लेकिन इस महाशय को समझना होगा कि इज्जत घर से ही आती है और जब घर पर ही भाव न मिले तो दुनिया से दो चार वाह वाही बटोर कर कोई क्या ही कर लेगा? और रही बात ग्लोबल कनेक्टिविटी की, तो चाटने में और नमन करने में अंतर होता है और यह अंतर ‘रौद्रम रणम रुधिरम’ (RRR) ने बहुत ही स्पष्ट बता दिया है, और यह बात हमें डिटेल में समझाने की आवश्यकता नहीं, WatchMojo aur ScreenJunkies जैसे ऊटूब चैनल आपको विस्तार में बता देंगे।
नाश की तरफ अग्रसर बॉलीवुड साजिद खान को बढ़ावा देकर अपनी बची खुची-साख का भी सत्यानाश कर रहा है। फिल्में तो चलती नहीं, एक्टर काम करने के बजाए सब कुछ करते हैं, और ऊपर से अब यह बॉलीवुड वही कार्य कर रहा है, जिसके लिए राजनीति में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी उपहास के पात्र बने हुए हैं, हो चुका बॉलीवुड और बॉलीवुडियों का कल्याण।
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