Morbi bridge collapse: कल पूरे देश में लोग बड़े ही हर्षोल्लास के साथ छठ पूजा मना रहे थे लेकिन इसी दिन गुजरात के मोरबी से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया। जिसकी तस्वीरें कुछ ऐसी थीं जिन्हें देखकर किसी की भी रुह कांप जाए। दरअसल, मोरबी में एक पुल टूट गया और पुल पर झूलती जिंदगियां मौत के आगोश में समा गईं और पल भर में सब कुछ बदल गया। इस हादसे में 140 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। इस हादसे के बाद सियासत भी गर्म हो गई है। जहां विपक्ष के द्वारा लगातार इस हादसा पर सत्ता पक्ष को निशाने पर लिया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ सभी के दिमाग में एक ही सवाल है कि आखिर इस हादसे का असली जिम्मेदार कौन है? सरकार या कोई और?
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क्या यह ओरेवा नाम की कंपनी की लापरवाही है?
जिस पुल पर यह हादसा हुआ है उस पुल के रखरखाव की जिम्मेदारी ओरेवा ग्रुप को दी गई थी। इस हादसे के बाद कंपनी चर्चा में है और कंपनी पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। बता दें कि 15 साल के लिए इस पुल की साफ-सफाई जैसी तमाम जिम्मदारियां इस कंपनी के पास ही थी। कंपनी पर आरोप है कि प्रशासन से मंजूरी लिए बिना ही इसने पुल को खोल दिया और कंपनी ने लालच में आकर लोगों को सैर सपाटे के लिए टिकट बेचने शुरू कर दिए। ये पुल पिछले सात माह से बंद था। बताया जा रहा है कि पुल का निर्माण ब्रिटिश काल में कराया गया था। पुल झूले की तरह झूलता दिखता है इसलिए इसे झूलता पुल भी कहा जाता है। इसे बीते 26 अक्तूबर को ही दोबारा खोला गया, उस दिन गुजराती नववर्ष था। ब्रिज की सैर के लिए 17 रुपये प्रति व्यक्ति का शुल्क कंपनी के द्वारा लिया जा रहा था।
इस पुल के क्षति ग्रस्त (Morbi bridge collapse) होने के कारण प्रशासन ने लोगों की आवाजाही बंद कर दी थी। पुल को बनाने के लिए केवल लकड़ी के तख्तों और बीम का इस्तेमाल किया गया था। ओरेवा ग्रुप अजन्ता ब्रांड की घड़ियों का निर्माण करने वाली कंपनी है जिसके संस्थापक ओधवजी पटेल थे और कंपनी का कारोबार फिलहाल दुनिया के 45 देशों तक फैला है।
मोरबी स्थिति ओरेवा ग्रुप एक और नाम अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड से जाना जाता है। दीवार घड़ियों से लेकर ई-बाइक्स के साथ ही यह कंपनी इलेक्ट्रिकल बल्व तक बनाती है। पुल का मेंटेनेंस कार्य को पाने से पहले ऐसे दावे किए थे कंपनी ने कि वह नवीनतम तकनीक के उपयोग करके पुल ऐसे विकसित करना चाहती है कि कंपनी को एक नई पहचान मिल सके।
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कंपनी ने बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के खोला पुल
वहीं हादसे के बाद मोरबी नगरपालिका के प्रमुख संदीप सिंह जाला ने कंपनी पर आरोप लगाते हुए कहा है कि कंपनी ने नगरपालिका से फिटनेस सर्टिफिकेट लिए बिना ही बीते हफ्ते पुल को आम लोगों के लिए खोल दिया। उनके अनुसार पुल जीर्णोद्धार का कार्य एक सरकारी निविदा के तहत किया गया था, ऐसे में ओरेवा ग्रुप को कराए गए कार्य की विस्तृत जानकारी नगरपालिका को उपलब्ध करानी चाहिए थी। उन्हें पुल को दोबारा शुरू करने से पहले क्वालिटी जांच भी करवानी चाहिए थी पर ऐसा नहीं किया गया। सरकार को भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि पुल को दोबारा चालू कर दिया गया है। ऐसे कंपनी पर आरोप लग रहे हैं कि कंपनी ने कमाई के लालच में इस तरह का फैसला लिया जिसका परिणाम ये रहा कि 140 से भी ज्यादा लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी।
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100 लोगों की क्षमता वाले पुल पर जुटी भारी भीड़
कहा जा रहा है कि पुल की क्षमता 100 लोगों की थी लेकिन कंपनी ने कमाई के चक्कर में जमकर टिकट काटे जिसका परिणाम ये हुआ कि पुल पर ज्यादा भीड़ जमा हो और पुल टूट गया जिसके कारण यह हादसा हो गया। जिस समय यह हादसा हुआ उस समय पुल पर लगभग 400 से 500 लोगों के मौजूद होने के बारे में बताया गया है। रविवार का दिन था और इस दिन लोगों की छुट्टी रहती हैं जिसके चलते पुल पर भीड़ जुटने की एक वजह यह भी बताई जा रही है। वहीं अब कंपनी पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया है। जांच के लिए कमेटी बना दी गई है और कंपनी पर 304, 308 और 114 के तहत क्रिमिनल केस दर्ज किया गया है।
सीधे तौर पर पुल टूटने (Morbi bridge collapse) के पीछे कंपनी की लापरवाही दिख रही है और आरोप भी कंपनी पर बड़े-बड़े लगाए जा रहे हैं। सवाल यह है कि आखिर कंपनी ने बिना प्रशासन की अनुमति के पुल को कैसे खोल दिया। पुल ढहना एक बड़ी अपराधिक लापरवाही है और इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है। हादसे में मरने वाले लोग तो वापस नहीं आ सकते हैं लेकिन सरकार ऐसे कदम जरूर उठा सकती है कि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाएं न घटे।
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