पंबन ब्रिज (Pamban Bridge) जो कि देश का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे सी ब्रिज है जिसे लेकर रेलवे की तरफ से एक ट्वीटकर जानकारी दी गयी है कि इस पुल का लगभग 81 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। तमिलनाडु में बन रहे इस ब्रिज को लेकर वैसे तो कई विशेष बाते हैं लेकिन ध्यान देना होगा कि इस पुल के द्वारा जल्द ही पूरे विश्व के सामने भारतीय रेलवे हाईटेक इंजीनियरिंग का एक उत्तम उदाहरण प्रस्तुत करेगा। ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत की मुख्य भूमि को यह पंबन ब्रिज रामेश्वरम द्वीप से जोड़ेगा।
India's 1st vertical lift Railway Sea Bridge- Pamban Bridge connecting the mainland of India with Rameswaram Island.
• 81% work completed
• Piling Work: All 333 piles completed
• Pile cap & Sub-Structure: All 101 completed
• 76 out of 99 girders launched pic.twitter.com/rJs3KG1SWd— Ministry of Railways (@RailMinIndia) October 25, 2022
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नये पुल के बारे में
मंडपम शहर को पंबन ब्रिज पंबन द्वीप और रामेश्वरम से जोड़ता है। नये पुल की अनुमानित लागत की यदि बात की जाए तो यह 560 करोड़ रुपये है। जहाजों का क्रॉस-नेविगेशन हो सके इसको ध्यान में रखते हुए इस नये पुल में वर्टिकल लिफ्ट स्पैन तकनीक को उपयोग में लाया गया है। पुराने वाले पंबन ब्रिज के समानांतर नये पुल को बनाया जा रहा है जिसमें 18.3 मीटर के 100 स्पैन के साथ ही 63 मीटर के नेविगेशनल स्पैन लगाए गए होंगे। नया पुल पुराने पुल से तीन मीटर ऊंचा होगा और पुल में 75 मीटर लंबी सेंट्रल स्पैन होगा जिससे जहाज बहुत सरलता से गुजर पाएंगे। ध्यान इस बात पर भी देना होगा कि बंगाल की खाड़ी में बार-बार तूफान आना सामान्य घटना है और इसी स्थिति को देखते हुए स्टेनलेस स्टील ब्रिज के स्तंभों में उपयोग में लाया जा रहा है। नये ब्रिज से ट्रेनों के गुजरने की गति 80 किलोमीटर प्रति घंटे होगी।
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नये ब्रिज की विशेषताएं
विशेषताएं-
- नया पंबन ब्रिज जो कि देश का पहला वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज होगा।
- इस ब्रिज के बीच का 72.5 मीटर का भाग अपने दोनों ओर लगी लिफ्ट के कारण ऊपर की ओर उठ पाएगा।
- इसके ऊपर उठने से समुद्री जहाज सरलता से निकल पाएंगे।
- ब्रिज की लंबाई 2.05 किमी होगी।
- तेज रफ्तार से यदि हवाएं चलीं तो अपने आप ही अलर्ट सिग्नल मिल जाएगा।
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पुराने पंबन पुल के बारे में
अब जरा पुराना पंबन पुल के बारे में जान लेते हैं, यह 24 फरवरी, 1914 को शुरू हुआ लेकिन समय के साथ इसकी स्थिति बुरी हो गयी और इस पर 10 किमी प्रति घंटे की गति से ही ट्रेनें चल पा रही हैं। वर्ष 1964 में एक समुद्री तूफान आया जिससे इस पुराने पुल को बहुत क्षति पहुंची जिसमें इसके कुछ भाग समुद्र में समाहित हो गए। जिसके बाद ई श्रीधरन के द्वारा इसको ठीक किया गया जिससे इसमें बहुत मजबूती आ गयी। इस समय की बात करें तो ट्रेनें इसी पुल के माध्यम से रामेश्वरम तक पहुंच पा रही हैं। हर दिन 12 जोड़ी ट्रेनों का इस पुल से गुजरना हो पाता है। समुद्र के खारे पानी के कारण पुल में जंग लगने से भी इस पुल की स्थिति खराब हुई है।
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