अपनी स्वतंत्रता के पश्चात सबसे बदतर स्थिति में है अमेरिका

बाइडन 'कंफ्यूज' हैं!

Biden and American economy

Source- TFI

हमारे विदेश मंत्री एस सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने हाल ही में कहा, “इस्लामाबाद और वाशिंगटन के बीच संबंधों से न तो पाकिस्तानियों का भला है और न ही अमेरिकियों का। अमेरिका को पाकिस्तान से अपने संबंधों पर सोचना चाहिए कि उसे इससे क्या हासिल हुआ। मैं ये बात इसीलिए कह रहा हूं क्योंकि ये आतंकवाद विरोधी समान है। जब आप एफ-16 की क्षमता जैसे विमान की बात कर रहे हैं, हर कोई जानता है, ये आप भी जानते हैं कि विमानों को कहां तैनात किया गया है और उनका क्या उपयोग किया जा रहा है। आप ये बातें कहकर किसी को बेवकूफ नहीं बना सकते।”

अब ये बात उन्होंने यूं ही नहीं कहा, क्योंकि हाल ही में जो बाइडन ने कहा था कि “यह एक शख्स (शी जिनपिंग) है, जो समझता है कि वह जो चाहता है, वही होगा. लेकिन उसके पास समस्याओं का अंबार है। हम इसे कैसे संभालेंगे? रूस में जो हो रहा है, हम उसको कैसे संभालेंगे? और जो मुझे लगता है, वह शायद एक यह है कि पाकिस्तान दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक है, जिसके पास बिना किसी सामंजस्य के परमाणु हथियार है।” अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का यह बयान पाकिस्तान से बढ़ रही उनकी नजदीकियों पर विराम के समान है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे अमेरिकी प्रशासन एवं लोकतंत्र की अवस्था स्वतंत्रता के पश्चात सबसे बदतर स्थिति में है और इसमें भारत की भी एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

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कंफ्यूज बाइडन!

हाल ही में पाकिस्तान से बढ़ती निकटता के बीच में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया। लॉस एंजिल्स (कैलिफोर्निया) में एक डेमोक्रेटिक कांग्रेसनल कैंपेन कमेटी में उन्होंने चीन और रूस दोनों को फटकार लगाते हुए पाकिस्तान पर यह टिप्पणी की। उस समय बाइडन, चीन और व्लादिमीर पुतिन के रूस के संबंध में अमेरिकी विदेश नीति को लेकर बात कर रहे थे। बाइडन ने अपने संबोधन के आखिर में निष्कर्ष के तौर पर कहा कि वह पाकिस्तान को दुनिया का सबसे खतरनाक देश मानते हैं। ऐसे में बाइडन की इस टिप्पणी को अमेरिका के साथ संबंध सुधारने के पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की प्रयासों के एक झटके के रूप में देखा जा सकता है।

बाइडन ने इसी विषय पर आगे कहा, “दुनिया बदल रही है, बहुत तेज़ी से बदल रही है। यह स्थिति नियंत्रण से बाहर की है। ऐसा किसी एक व्यक्ति और एक देश की वजह से नहीं है। आप अमेरिकी देशों के संगठनों को देखिए कि यहां क्या हो रहा है। नेटो के लिहाज़ से भी देखें तो पता चलता है कि क्या घटित हो रहा है। हर कोई दुनिया में अपनी जगह को लेकर फिर से सोच रहा है। हर कोई अपनी साझेदारी और सहयोग को लेकर फिर से सोच रहा है।”

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, “अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखने के लिए बहुत कुछ है। एक साथ कई चीज़ें हो रही हैं। हम उस स्थिति में हैं, जहां तकनीक ने चीज़ों में भयावह तब्दीली लाई है। दुनिया भर की राजनीति में व्यापक बदलाव आया है। लोगों तक सच्चाई कैसे पहुंच रही है?” वाह जी वाह भाई, बड़ी उत्तम सोच है जी, परंतु एक बताओ जी, ये आप ही का मीडिया है न, जिसमें यह विज्ञापन निकाला है –

 

इसमें कहा गया है कि Meet The Officials who Make India an Unsafe Place to Invest. वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित इस घटिया विज्ञापन के माध्यम से जानते हैं क्या प्रसारित किया जा रहा था? जब हमारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अमेरिका के यात्रा पर हैं तो यह मीडिया पोर्टल Global Magnitsky Act 2016 के अंतर्गत कार्रवाई करने की मांग कर रहा है यानी यदि भारत, अमेरिका के कहे अनुसार न चले तो फिर भारत को पूर्णतया ब्लैकलिस्ट ही कर दिया जाए क्योंकि भारत ने कथित तौर पर मानवाधिकार के अधिकारों का उल्लंघन किया है। यह इस अमेरिकी पोर्टल का कहना है! तालियां बजती रहनी चाहिए इन नमूनों के लिए। ऐसा लॉजिक और कहां मिलेगा?अब या तो बाइडन पागल हैं, जो इधर उधर की बातें कर रहे हैं या फिर वो अपने ही विदेश नीति को लेकर स्पष्ट नहीं है और यदि यह सत्य है, तो यह अमेरिकी प्रशासन के लिए डूब मरने वाली स्थिति है।

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परंतु ऐसा नहीं है कि यह अमेरिका के लिए कोई नयी बात हो। जिनसे एक महामारी नहीं संभाली जा रही, वे प्रशासन क्या खाक संभालेंगे? इसके अतिरिक्त उन्हें केवल और केवल नौटंकी झाड़ना ही अपनी शक्ति प्रदर्शन का सबसे उच्चतम मार्ग प्रतीत होता है। उदाहरण के लिए अमेरिका की जो बाइडन सरकार ने पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमानों के उच्चीकरण के लिए 45 करोड़ डॉलर की राशि मंजूर की। भारत की ओर से सवाल उठाए जाने पर अमेरिका ने इस पर सफाई दी थी। अमेरिका ने अपनी सफाई में कहा था कि पाकिस्तान को यह सहायता भारत को संदेश देने के लिए नहीं दी गई। पाकिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ अभियान में सहयोग के इरादे से यह मदद दी गई है। अमेरिका ने कहा था कि इससे पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की भी सुरक्षा होगी। यह तो वही बात हो गई कि बंदर के हाथ में उस्तरा थमा दिया और यहां तो उस्तरा नहीं, एफ 16 ही थमा रहे हैं।

हाल ही में जयशंकर ने जमकर धोया था

यह तो कुछ भी नहीं है बंधु। जयशंकर ने भारतीय-अमेरिकियों के साथ एक संवाद में हाल ही में कहा था कि ‘‘मैं मीडिया में आने वाली खबरों को देखता हूं। कुछ समचार पत्र हैं, जिनके बार में आपको अच्छी तरह पता होता है कि वे क्या लिखने वाले हैं और ऐसा ही एक समाचार पत्र यहां भी है।’’ जयशंकर ने इशारे-इशारे में वाशिंगटन पोस्ट पर हमला बोला था। उन्होंने भारत विरोधी ताकतों के मजबूत होने से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘मेरा यह कहना है कि कुछ लोग पूर्वाग्रही हैं। वे फैसले तय करने की कोशिश करते हैं और जैसे-जैसे भारत अपने फैसले खुद करना शुरू करेगा, इस तरह के लोग जो अपने को संरक्षक की भूमिका में देखते हैं उनके विचार बाहर आएंगे। ऐसे समूहों कि ‘‘भारत में जीत नहीं हो रही है।’’

एस जयशंकर वही पर नहीं रुके। उन्होंने कहा कि ऐसे समूह देश के बाहर जीतने की कोशिश करते हैं और बाहर से ही भारत की राय व धारणाएं बनाने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमें इसे लेकर सतर्क रहने की जरूरत है। चुनौती देना जरूरी है। ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि अधिकांश अमेरिकियों को यह नहीं पता होगा कि घर में किस तरह की बारीकियां और जटिलताएं हैं, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि बैठे न रहें, दूसरों को मुझे परिषाभित करने का मौका न दें। यह एक ऐसी चीज है जो मुझे लगता है कि एक समुदाय के रूप में हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।’’

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अब जयशंकर ये व्यवहार यूं ही नहीं अपना रहे। अमेरिका की हरकतें ही ऐसी है, अमेरिका ने हाल ही में अपने नागरिकों से अपराध व आतंकवाद’ के मद्देनजर भारत की यात्रा करते समय अधिक सावधानी बरतने को कहा था। अमेरिका ने इस एक एडवाइजरी के नाम पर अपनी बड़ी बेइज्जती कराने की पटकथा लिखी। इस धूर्त देश ने अपने नागरिकों से कहा है कि वे केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की यात्रा पर न जाएं। अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी नए यात्रा परामर्श में भारत यात्रा परामर्श स्तर को घटाकर दो कर दिया है। यात्रा परामर्श पैमाने में एक से चार तक स्तर होते हैं। चार सबसे ऊंचा स्तर होता है। इसके माध्यम से अमेरिका ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि भारत में जाने से अमेरिकियों की जान को खतरा हो सकता है।

ये तब है, जब न्यूयॉर्क से लेकर वॉशिंगटन तक में कानून व्यवस्था की हालत लचर से निचले स्तर पर पहुंचती जा रही है। यहां के गन कल्चर का ही परिणाम है कि आए दिन लोगों को सड़क पर खुलेआम गोली मार दी जाती है। अपराधी खुली सड़क पर बंदूक लहरा के निकल जाते हैं और पुलिस मूकदर्शक बनकर रह जाती है। इसके अलावा अमेरिका में नस्लीय से लेकर क्षेत्रीय आधार पर भी बड़े स्तर पर अपराध होते हैं। अभी हाल ही में अमेरिका के कैलिफोर्निया में अपहरण किए गए सिख परिवार के चार सदस्य एक बगीचे में मृत मिले हैं। जिन लोगों को मारा गया था उनमें 8 माह की मासूम बच्ची तक शामिल थी। अपहरणकर्ता ने फिरौती की कोई मांग नहीं की लेकिन माना जा रहा है कि अपहरण धन के लिए ही किया गया था। ऐसे में एक बात तो स्पष्ट है कि अमेरिका से खुद का घर संभला नहीं जा रहा और ज्ञान भारत को दे रहा है।

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