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‘गांधी परिवार’ को थरूर से नफरत क्यों है और वो कभी भी कांग्रेस अध्यक्ष क्यों नहीं बन सकते? यहां समझिए

थरूर जैसे नेताओं से डरती रही है कांग्रेस!

Animesh Pandey द्वारा Animesh Pandey
17 October 2022
in मत
कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव

Source- Google

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कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव: यदि हां, तो शशि थरूर में तीनों है पर दुर्भाग्य यह है कि वह कभी भी इस पद पर सुशोभित नहीं हो सकते और अगर हो भी गए तो उनका हाल भी वही होगा, जो कभी पीवी नरसिम्हा राव, के कामराज या फिर सीताराम केसरी का हुआ था। स्वयं शशि थरूर भी कहीं न कहीं इस बात को मानते हैं और उनके अनुसार, “पार्टी नेता खड़गे की तरफ से लोगों को आमंत्रित करते हैं और उन्हें उपस्थित होने के लिए कहते हैं। यह सब एक उम्मीदवार (मल्लिकार्जुन खड़गे) के लिए हुआ लेकिन मेरे लिए कभी नहीं।” थरूर ने कहा, मैंने राज्य कांग्रेस कमेटी का दौरा किया लेकिन वहां राज्य प्रमुख उपलब्ध नहीं थे। मैं शिकायत नहीं कर रहा हूं लेकिन क्या आपको व्यवहार में अंतर नहीं दिखता है?

परंतु बात वहीं पर नहीं रुकी। शशि थरूर ने कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव से जुड़े जरूरी कागजात देने में भी नेताओं पर भेदभाव का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उन्हें आज 17 अक्टूबर को होने वाले चुनाव में मतदान करने वाले कांग्रेस प्रतिनिधियों की एक अधूरी सूची मिली है। साथ ही उनसे संपर्क करने के लिए सूची में कोई फोन नंबर भी नहीं है। उन्होंने कहा, मुझे दो सूचियां मिलीं। पहली सूची में फोन नंबर नहीं थे तो कोई राष्ट्रीय अध्यक्ष की वोटिंग में भाग लेने वाले डेलिगेट्स से कैसे संपर्क कर सकता है? हालांकि, शशि थरूर सीधे-सीधे आरोप लगाने से बचते दिखे। उन्होंने कहा, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि यह जानबूझकर है। 22 वर्ष से चुनाव नहीं हुए थे, इसलिए हो सकता है कि कुछ चूक हुई हो।

और पढ़ें: 2012 के बाद से कांग्रेस हाईकमान की कोई नहीं सुनता, सीएम, मिनी पीएम बनकर बैठे हैं

कांग्रेस का डर

अब महोदय का स्वयं का रिकॉर्ड जैसा भी हो, इस बात में तो कोई संदेह नहीं है कि गांधी परिवार के अतिरिक्त यदि कोई कांग्रेस को संभालने हेतु वास्तव में योग्य है तो वो शशि थरूर ही हैं। इनकी लोकप्रियता ऐसी है कि धरती फट जाए या आसमान निगल जाए, इनका जनाधार कम नहीं होगा। शशि थरूर ही वो नेता है जो कांग्रेस में गांधी परिवार को चुनौती दे सकते हैं। भारत में उनकी फैन फॉलोइंग भी बहुत ज्यादा है और उनमें नेतृत्व करने की क्षमता भी है। जयराम रमेश और मनु सिंघवी जैसे नेता उस स्तर के नहीं है और न ही उतने प्रासंगिक है, जो गांधी परिवार को चुनौती दे सकें।

शशि थरूर देश में विपक्ष के उन नेताओं में से हैं, जिन्हें मोदी समर्थक भी अपना समर्थन देते है। वो बुद्धिजीवी होने के साथ-साथ देश में भी बहुत लोकप्रिय नेता हैं। उनकी अंग्रेजी और उनकी किताबों के भारत में करोड़ो फैंस हैं। साथ ही कभी अपने बयानों से तो कभी “द एरा ऑफ डार्कनेस” जैसी किताबों से, उन्होंने कई बार अंग्रेज़ो को जमकर लताड़ लगाई है, जिसकी वजह से उन्हें राष्ट्रवादी नेता के रूप में भी देखा जाता है। इसके अलावा वो सफल राजनेता भी हैं, जो तीन बार तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट जीत चुके हैं और इनमें से दो बार उन्होंने मोदी लहर के बीच जीत दर्ज की है।

कांग्रेस शुरू से ही थरूर जैसे नेता से डरती रही है। इसकी सिर्फ एक ही वजह है और वह यह कि किसी भी बड़े जन नेता से गांधी परिवार का महत्व कम हो जाएगा। लोकसभा चुनावों में हार के बाद जब कांग्रेस लोकसभा में एक मजबूत नेता की खोज में थी तब यह कयास लगाए जा रहे थे कि थरूर को ही लोकसभा में कांग्रेस का नेता बनाया जाएगा लेकिन कांग्रेस ने उन्हें दरकिनार कर दिया। थरूर ने चुनाव में हार के बाद एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि “अगर पेशकश की गई तो लोकसभा में कांग्रेस पार्टी का नेता पद संभालने को तैयार हूं।” गांधी परिवार के चाटुकारों को यह डर था कि कहीं वह गांधी परिवार के लिए चुनौती न बन जाए। इसके बाद जब राहुल गांधी ने लोकसभा चुनावों में हार के बाद अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था, तब पार्टी में युवा नेता की तलाश की जा रही थी उस समय भी शशि थरूर यही उम्मीद कर रहे थे कि उन्हें अध्यक्ष पद ऑफर किया जा सकता है लेकिन पार्टी में सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया और थरूर ने इस फैसले का स्वागत किया।

थरूर ही गांधी परिवार को अप्रासंगिक बना सकते हैं!

हालांकि, जब प्रियंका गांधी या मोती लाल वोरा जैसे नाम अध्यक्ष पद के लिए सामने आ रहे थे तब शशि थरूर मौन धारण किये हुए थे। शशि थरूर खुद इस पद पर आसीन होना चाहते थे लेकिन कांग्रेस पार्टी में यहां भी उन्हें कोई महत्व नहीं दिया परन्तु शशि थरूर ने अच्छे नेता का उदहारण देते हुए पार्टी के फैसले को स्वीकार किया। सच बोला जाए तो कांग्रेस शशि थरूर से डरती है क्योंकि सिर्फ वही ऐसे इकलौते नेता हैं, जो गांधी परिवार के वर्चस्व को चुनौती दे कर उन्हें अप्रासंगिक बना सकते हैं।

इसके अतिरिक्त शशि थरूर उन चंद कांग्रेसी नेताओं में से हैं, जो कम से कम राष्ट्रीय सुरक्षा पर समझौता करने को तैयार नहीं होते। उदाहरण के लिए मार्च में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने युद्धग्रस्त यूक्रेन से भारतीयों को निकालने पर ‘व्यापक ब्रीफिंग’ और ‘ सवालों का स्पष्ट जवाब’ देने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर की प्रशंसा की। थरूर ने कहा, “यही वह भावना है जिसमें विदेश नीति चलाई जानी चाहिए।” थरूर और राहुल गांधी समेत अन्य विपक्षी नेता रूस-यूक्रेन संकट पर चर्चा करने वाली विदेश मामलों की सलाहकार समिति की बैठक का हिस्सा थे। बैठक में छह दलों के नौ सांसद शामिल हुए थे। तब थरूर ने ट्वीट करते हुए कहा था कि “सौहार्द्रपूर्ण माहौल में स्पष्ट चर्चा हुई, जब राष्ट्रीय हितों की बात आती है तो हम सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण भारतीय हैं।”

थरूर ने कहा, ”मैंने टिप्पणियों के लिए मीडिया अनुरोधों को अस्वीकार कर दिया है क्योंकि बैठक गोपनीय है। हालांकि, हमने विदेश मंत्रालय से सामान्य से अधिक विस्तृत बयान जारी करने का आग्रह किया। बैठक एक रचनात्मक भावना में हुई और सभी पार्टियां हमारे नागरिकों को सुरक्षित रूप से वापस देखने की इच्छा में एकजुट हैं”-

और पढ़ें: चुनावी राज्यों में जाने से डरते हैं राहुल गांधी? ‘भारत जोड़ो यात्रा’, एक पिकनिक यात्रा है?

Excellent meeting of the Consultative Committee on External Affairs this morning on #Ukraine. My thanks to ⁦@DrSJaishankar⁩ & his colleagues for a comprehensive briefing & candid responses to our questions &concerns. This is the spirit in which foreign policy should be run. pic.twitter.com/Y3T3UIrm9z

— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) March 3, 2022

ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि शशि थरूर केवल G-23 के पुरोधा कम और सशक्त स्तम्भ अधिक हैं, जो कांग्रेस की दशा और दिशा दोनों ही बदल सकते हैं। परंतु ऐसे लोग भाजपा में अधिक टिकते और पल्लवित होते हैं, कांग्रेस में नहीं!

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Tags: कांग्रेसकांग्रेस अध्यक्ष चुनावशशि थरूरसोनिया गाँधी
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