केजरीवाल के समर्थन से उसके मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कराया 10,000 हिंदुओं का ‘धर्मांतरण’

रामलला का भक्त बताकर, हनुमान चालीसा का पाठ करने का दिखावा कर केजरीवाल आपको बेवकूफ बनाता है, उसकी सच्चाई यही है!

राजेंद्र पाल गौतम

Source- TFI

राजेंद्र पाल गौतम: हम तो राजनीति बदलने आए हैं जी! हम तो भ्रष्टाचार मिटाने आए हैं जी! हम तो देश की राजनीति से सडांध मिटाने आए हैं जी! आम आदमी पार्टी कुछ ऐसे ही नारों के साथ देश की जनता के बीच उतरी थी लेकिन यह पार्टी जिस राजनीति को अपने झाड़ू से साफ करने आई थी, आज इसने उसमें ही डूबकर अपने मुंह पर कालिख पोत ली है। AAP के नेता आये दिन अपने ओछी हरकतों के कारण जनता के कोपभाजन का शिकार बनते रहते हैं। यहां तक कि भ्रष्टाचार का खात्मा करने आई AAP के कई नेताओं पर भी कई तरह के भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं, कुछ नेता तो कानून के शिकंजे में भी हैं।

इसी बीच इस पार्टी के कैबिनेट मंत्री ने कुछ ऐसा किया, जो आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल की विकृत मानसिकता को प्रदर्शित करता है। यह तो शुरु से ही सभी को पता था कि आम आदमी पार्टी अन्य पार्टियों की तरह हिंदुओं और हिंदुत्व की कोई चिंता नही करती लेकिन इसने तो अन्य पार्टियों से कई कदम आगे निकलते हुए लगभग 10,000 हिंदुओं का धर्मांतरण ही करा दिया है। जी हां, बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं आप! इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे अपनी राजनीति को चमकाने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करने वाले नक़ली हिंदू केजरीवाल की पार्टी के नेता और दिल्ली सरकार के कैबिनेट मिनिस्टर राजेंद्र पाल गौतम ने 10,000 से भी अधिक हिंदुओ को उनका धर्म छोड़ने के लिए प्रेरित कर उनका बौद्ध धर्म में धर्मांतरण करा दिया है।

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हिंदू देवी देवताओं का उड़ाया उपहास

दरअसल दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य कर रहे राजेंद्र पाल गौतम ने दशहरा के मौक़े पर जय भीम नामक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने 10,000 से भी अधिक हिंदुओं को शपथ दिलाई। उन्होंने शपथ में लोगों से यह बुलवाया कि मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश को कभी ईश्वर नहीं मानूंगा और ही कभी उनकी पूजा करूंगा। मैं राम और कृष्ण को ईश्वर नहीं मानूंगा और ही कभी उनकी पूजा करूंगा। मैं गौरी, गणपति आदि हिंदू धर्म के किसी भी देवी-देवताओं को नहीं मानूंगा और ही उनकी पूजा करूंगा। इस प्रकार से हिंदू देवी देवताओं के विरुद्ध ज़हर उगलने के बाद उन्होंने इन हिन्दुओं का बौद्ध धर्म में धर्मांतरण भी कराया।

अब सवाल यह उठता है कि क्या राजेंद्र पाल गौतम इस प्रकार की हरकत करने के लिए स्वतंत्र है? क्या संविधान उन्हें इसकी आज्ञा देता है? तो इसका जवाब है नहीं, जय भीम की राजनीति करने वाले राजेंद्र पाल गौतम ने जो घटिया कृत्य किया है वह नैतिक रूप से तो गलत है ही, साथ ही संवैधानिक दृष्टि से भी गलत है। वस्तुतः राजेंद्र पाल गौतम दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं, एक प्रकार से उनका यह कृत्य संविधान सम्मत नहीं है क्योंकि भारत का संविधान एक धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना करने की बात करता है और साथ ही साथ संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्तियों से यह अपेक्षा भी करता है कि वह अपने पद पर रहते हुए धर्मनिरपेक्षता का पालन करेंगे। किंतु दिल्ली सरकार के कैबिनेट मिनिस्टर राजेंद्र पाल गौतम यह भूल चुके हैं कि वो कोई टूटपूंजिया आदमी नही हैं।

हालांकि, उनकी यह हरकत एक सड़कछाप वाली ही है। एक प्रकार से संवैधानिक पद पर होने के बावजूद उनका इस प्रकार से धर्मांतरण कराना देश की अखंडता एवं संविधान दोनो के विरुद्ध है। लेकिन कहते हैं न कि बेटे के संस्कार तो उसके मां-बाप से ही उसे विरासत में मिलते हैं। अब इनके राजनीतिक मां-बाप तो केजरीवाल हैं, जो इस पूरे प्रकरण पर मूक दर्शक बने हुए हैं। वैसे तो केजरीवाल राम जानकी के दर्शन, हनुमान चालीसा की बात करते हैं किंतु जब बात आयी हिंदुत्व को बचाने की तो देखिए कितनी सरलता के साथ भोले बनकर अपने मंत्री का साथ दे रहे हैं!

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केजरीवाल का मौन समर्थन

ज्ञात हो कि इस पूरे प्रकरण पर केजरीवाल ने मौन व्रत धारण कर लिया है। उनके मंत्री ने 10,000 से भी ज़्यादा हिंदुओ का धर्मांतरण करा दिया, हिंदू देवी देवताओं का भरसक उपहास भी उड़ा लिया लेकिन ‘केजरुद्दीन’ के मुख से एक स्वर भी नहीं फूटे हैं। ऐसे में मूक दर्शक बने रहना भी इस कृत्य का समर्थन करना ही कहलाएगा। इसी क्रम में बात करें तो केजरीवाल के दोहरे चरित्र का इतिहास पुराना रहा है। वो अपने झूठ, फ़रेब और मक्कारी के किए प्रसिद्ध रहे हैं! तभी तो राजेंद्र पाल गौतम ने इस धर्मांतरण को एक अभियान के रूप में बताया, बावजूद इसके न तो दिल्ली सरकार द्वारा इसपर कोई एक्शन लिया गया और न ही पार्टी ने कुछ कहा और न ही पार्टी के मुखिया केजरीवाल कुछ बोलते दिखे।

खैर केजरीवाल के नक्शे कदम पर चलते हुए उनके मंत्री उनसे दो कदम आगे निकल गए हैं किंतु इस प्रकार के तुच्छ संस्कार के बीज तो स्वयं केजरीवाल ने ही बोए हैं। याद कीजिए केजरीवाल का वह ट्वीट जिसमें उन्होंने दिल्ली के उपराज्यपाल को लेकर ट्वीट किया था। भाषा की मर्यादा को भूलकर केजरीवाल ने जिस प्रकार से दिल्ली के उप राज्यपाल के प्रति भाषा का प्रयोग किया था वह किसी सड़क छाप से कम नही थी। वस्तुतः दिल्ली की शराब नीति, बस खरीद एवं बिजली सब्सिडी को लेकर केजरीवाल और उपराज्यपाल के बीच तकरार शुरू हुई है। इसी बीच गुरुवार को मुख्यमंत्री केजरीवाल ने एलजी पर तंज कसते हुए ट्वीट किया, एलजी साहेब आजकल मुझे जितना डांटते हैं, उतनी मेरी पत्नी भी नहीं डांटती। पिछले छ: महीनों में एलजी साहब ने मुझे जितने लव लेटर लिखे हैं, उतने पूरी जिंदगी में मेरी पत्नी ने मुझे नहीं लिखे। एलजी साहब, थोड़ा चिल करो।’

केजरीवाल द्वारा किए गए इस ट्वीट की भाषा बेहद शर्मनाक है। अब जब मुखिया ही इस प्रकार की हरकतें करेगा तो उसके चेले तो मर्यादा को तार तार करेंगे ही। धर्मांतरण के मामले में चुप्पी साध केजरीवाल स्वयं को रामलला का भक्त बताते हैं। वो स्वयं को हिंदू भी कहते हैं, हिंदुत्व के नाम पर वोट लेने के जतन भी करते हैं किंतु केजरीवाल को यह समझना होगा की हिंदू अब मूर्ख नहीं रहा, वह केजरीवाल का दोहरा चरित्र भली-भांति पहचान गया है और आने वाले समय में यही हिंदू केजरीवाल की ऐसी बैंड बजाएंगे कि यह कहीं के नहीं रहेंगे।

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