भारत अपनी ऐतिहासिक धरोहर, प्राचीन संस्कृति, रहन सहन और खान-पान के लिए दुनियाभर में लोकप्रिय हैं। परंतु देखा जाये तो आज के समय में हम अपनी ऐतिहासिकता, अपनी पहचान को पीछे छोड़ पश्चिम द्वारा थोपी गई तथाकथित आधुनिकता की ओर बढ़ते चले जा रहे हैं, जिसका इतिहास भारत की तुलना में अधिक समृद्ध नहीं है। हम लोग जब भी किसी गगनचुंबी इमारत को देखते हैं तो कहते हैं कि वाह क्या इमारत बनायी है, कैसे बनी होगी इतनी ऊंची इमारत और हमारे दिमाग में आज के समय की इंजीनियरिंग को लेकर कौतूहल उतपन्न होने लगता है। परंतु आज से हजारों सालों पूर्व हमारे देश के कारीगरों ने ऊंची न सही लेकिन बड़ी ही अद्भुत कलाकृति वाली इमारतें और प्राचीन शहर बसाये हैं। आज के इस लेख में हम भारत के हजारों साल से अधिक पुराने छह शहरों (Ancient Indian cities) के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जो आज के समय में हजारों वर्ष पुराने हो चुके हैं, परंतु इनकी चमक फीकी नहीं पड़ी। यह सभी शहर भारतीय संस्कृति का अटूट हिस्सा रहे हैं।
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काशी (Kashi)
इन शहरों की लिस्ट में सबसे पहला नाम आता है बम बम भोले का नारा लगाने वाली महादेव की नगरी काशी का। काशी को बनारस और वाराणसी के नाम से भी जाना जाता है। काशी को दुनिया के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक और भारत का सबसे प्राचीन शहर माना जाता हैं। साथ ही इसे हिंदू धर्म में सबसे पवित्र नगरों में से एक माना जाता है और इसे मोक्ष या मुक्ति क्षेत्र भी कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म से जुड़े लोग भी काशी को बेहद ही पवित्र मानते हैं। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं यहां की धार्मिक परंपरा से अटूट रिश्ता हमेशा से ही रहा हैं। यह शहर हजारों वर्षों से भारत का विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केंद्र रहा। प्राचीन समय में काशी शिक्षा और व्यापार का केंद्र भी हुआ करता था। यहां के सिल्क के बने हुए कपड़े दुनियाभर में प्रसिद्ध रहे। वहीं बनारसी साड़ी का अपना एक अलग ही स्थान है।
तंजावुर (Thanjavur)
प्राचीन शहरों की लिस्ट में दूसरा नाम आता है तमिलनाडु के तंजावुर शहर का, जिसे पूर्व में तंजौर के नाम से भी जाना जाता था। कावेरी नदी के उपजाऊ डेल्टा क्षेत्र में स्थित होने के कारण इसे ‘चावल का कटोरा’ भी कहा जाता है। 850 ईसवी में चोल वंश ने मुथरयार प्रमुखों को पराजित कर इसे अपनी राजधानी बनाया और 400 वर्षों से अधिक समय तक इस पर शासन किया था। इस दौरान यहां पर बहुत से मंदिरों का निर्माण कराया गया। बृहदेश्वर चोल मंदिर, विजयनगर किला समेत 75 छोटे-बड़े मन्दिर यहां पर स्थित हैं। इस प्रकार की ऐतिहासिकता (Ancient Indian cities) को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि तंजावुर शहर कितना पुराना है।
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उज्जैन (Ujjain)
महाकाल की नगरी उज्जैन क्षिप्रा नदी के किनारे बसा हुआ शहर है। यह एक अत्यंत प्राचीन शहर है और महान सम्राट विक्रमादित्य के राज्य की राजधानी भी रह चुका है। इसे कालिदास की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। यहां हर 12 वर्ष में सिंहस्थ महाकुंभ लगता है जो कि दुनियाभर में प्रसिद्ध है। उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है जिसकी पूजा करने बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं। सोलह महाजनपदों में से एक अवंति नाम का जनपद यहीं पर हुआ करता था, जिसकी ऐतिहासिकता के प्रमाण 600 ई. वर्ष पूर्व मिलते हैं।
मदुरै (Madurai)
मदुरै शहर 2500 से अधिक वर्षों से संस्कृति और व्यापार का केंद्र रहा है। मदुरै का उल्लेख प्रसिद्ध यात्री मेगस्थनीज के साहित्यिक कार्यों में मिलता है। मीनाक्षी अम्मन मंदिर के आवास के रूप में इस शहर को पूरे विश्व में जाना जाता है। इस शहर पर चोल, पांडेय और अंग्रेजों ने समय-समय पर शासन किया है। ऐसा माना जाता है कि मदुरै को लगभग 600 ईसा पूर्व में बनाया गया था और फिर इसे 17वीं शताब्दी में अपने वर्तमान स्वरूप में बनाया गया था।
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पटना (Patna)
Ancient Indian cities- बिहार की राजधानी पटना भी अपनी ऐतिहासिकता के लिए लोकप्रिय रहा है। इसका पुराना नाम पाटलिपुत्र है। यह देश के महानतम विद्वानों जैसे आर्यभट्ट और चंद्रगुप्त मौर्य, चाणक्य के दार्शनिक, अर्थशास्त्री और शाही सलाहकार का घर रहा है। नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में तो हम सभी जानते है हीं कि वह दुनिया के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में एक हुआ करता था। ऐसा बताया जाता है कि इसकी उत्पत्ति 2500 साल पुरानी है। साथ ही ये सिखों के 10 वें गुरु गुरु गोबिंद सिंह का जन्मस्थान भी है।
पुष्कर (Pushkar)
पुष्कर की ऐतिहासिकता एक रहस्य है। इस शहर के बारे में हिंदू धर्मग्रंथों से पता चलता है कि जब भगवान ब्रह्मा ने राक्षस वज्रनाभ को लोगों को परेशान करते देखा, तो लोगों की रक्षा के लिए वे पृथ्वी पर आये और उनके हाथ से एक फूल गिरा था तभी इसका नाम पुष्कर पड़ गया। इसके अलावा पूरे भारत में यहीं पर ब्रह्मा का एकमात्र मंदिर है। इस शहर को वार्षिक ऊंटों के मेले के लिए भी जाना जाता है। पुष्कर पर मुगलों और इसके बाद में सिंधियाओं का शासन रहा है।
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