ऐसा कहा जाता है कि बॉलीवुड में अपनी जगह बनाने के लिए आपके सर पर गॉडफादर का हाथ होना चाहिए. आपके संपर्क बेहतर होने चाहिए, आपको झुकना आना चाहिए. हालांकि, नेपोटिज्म का मामला अलग है लेकिन आज कल नेपो किड्स भी मीडिया में अपने स्ट्रगल का रोना रोते दिख जाते हैं. जबकि उनका स्ट्रगल क्या होता है यह शायद ‘स्ट्रगल’ को भी नहीं पता होगा! लेकिन कई स्टार्स ऐसे हैं जिनके लिए उनका नेपो किड होना ही अभिशाप बन गया, बड़े बाप का बेटा होना अभिशाप बन गया और बड़े स्टार के बेटे होने के कारण वो दब कर रह गए या उन्हें दबा दिया गया. इन्हीं में से एक हैं अभिषेक बच्चन. इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे अभिषेक बच्चन के ऊपर ‘स्टार किड’ का लगा दाग ही उनके एक्टिंग करियर पर ग्रहण बन गया और उन्हें वो सम्मान नहीं मिला, जिसके वो हकदार हैं.
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अभिषेक बच्चन का करियर
अब आप सोच रहे होंगे कि हम अभिषेक बच्चन की बात क्यों कर रहे हैं. हम आपको आगे बताएंगे उससे पहले अभिषेक बच्चन के करियर और उनके अभिनय पर एक नजर डाल लेते हैं. आप अभिषेक बच्चन को शायद द्रोणा, हाउसफुल या हैपी न्यू ईयर जैसी फिल्मों के लिए जानते होंगे परंतु अभिनय में भी इस अभिनेता ने कम झंडे नहीं गाड़े हैं. कहने को अभिषेक बच्चन प्रख्यात अभिनेता अमिताभ बच्चन के सुपुत्र हैं परंतु एक अभिनेता के रूप में उनकी अपनी अलग पहचान है. गुरु फिल्म में उनकी एक्टिंग का उदाहरण आज भी दिया जाता है.
युवा फिल्म में तो अपने रोल से उन्होंने सभी को आश्चर्यचकित ही कर दिया था और इसके लिए कई पुरस्कार भी बटोरे. इसके बाद अभिषेक बच्चन ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने सरकार, कभी अलविदा न कहना, बंटी और बबली, मनमर्जियां जैसी कई फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया और लोगों के दिलों में जगह बनाई लेकिन अपने ऊपर से अमिताभ बच्चन के बेटे का टैग नहीं हटा पाए. सोशल मीडिया पर लोग उन्हें उलाहने देते रहे, उन्हें ट्रोल किया जाता रहा.
हालांकि, फिर भी वह प्रयोग से पीछे नहीं हटे, खराब स्क्रिप्ट होने के कारण उनकी कुछ फिल्में पिट गई लेकिन अगर अभिनय की बात की जाए तो हर कैरेक्टर में अभिषेक बच्चन लोगों की उम्मीदों पर खरे उतरे. अगर आपने अमिताभ बच्चन की फिल्मों पर गौर किया है तो आपको ज्ञात होगा कि अमिताभ बच्चन अपनी हर फिल्म में ‘अमिताभ बच्चन’ ही दिखते थे, जैसे अभी सलमान खान दिखते हैं लेकिन अभिषेक बच्चन ने जो भी रोल किया, अपने आप को उसमें ढ़ाल दिया. पिछले कुछ वर्षों में प्रदर्शित हुई उनकी फिल्में बिग बुल, बॉब बिस्वास, दसवीं इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है. इन फिल्मों में अभिषेक बच्चन की एक्टिंग की जमकर तारीफ हुई, लोगों ने उनके कैरेक्टर को आत्मसात तक कर लिया. ये फिल्में हिट भी हुईं.
नेपोटिज्म के साइड इफेक्ट
ओवरऑल बात यही है कि अभिषेक बच्चन एक्टिंग के मामले में बॉलीवुड के बड़े-बड़े शूरमाओं को पीछे छोड़ने की काबिलियत रखते हैं, जो उनके अभिनय में झलकता भी है. उनके पिता अमिताभ बच्चन को ‘सदी के महानायक’ का दर्जा दिया जाता है. इनकी मां जया बच्चन हैं, जो अपने समय की बेहद कुशल अभिनेत्री रही हैं. अभिषेक की पत्नी ऐश्वर्या राय बच्चन भी अपने आप में एक प्रतिभावान और कुशल अभिनेत्री हैं, जिन्होंने हॉलीवुड और बॉलीवुड दोनों में ही अपनी छाप छोड़ी है. स्वयं अभिषेक बच्चन अपने आप में एक बेहद कुशल और प्रतिभावान अभिनेता हैं लेकिन इन सब के बावजूद अभिषेक बच्चन उतने प्रसिद्ध नहीं हुए, जितना उनके पिता या मां या फिर पत्नी.
कारण यही है कि आज भी लोग उनकी एक्टिंग में अमिताभ बच्चन को ही ढूंढ़ने लगते हैं. लोग बॉलीवुड में नेपोटिज्म की बात तो करते हैं लेकिन नेपोटिज्म के जो साइड इफेक्ट हैं, उसे अभिषेक बच्चन से बेहतर कोई और नहीं समझ सकता. दरअसल, निरंतर लाइमलाइट में रहने के कारण और अपेक्षाओं के बोझ तले ऐसे अभिनेता कहीं दब से जाते हैं.
इसके अलावा हमारे यहां एक समस्या यह भी है कि नेपोटिज्म के मामले में लोग वैसे लोगों को ही निशाने पर लेते हैं, जो लाइमलाइट में होते हैं और उसी भेड़ चाल में अभिषेक बच्चन जैसे अभिनेता रौंद दिए जाते हैं. जबकि अन्य अयोग्य ‘नेपो किड्स’ पर किसी का ध्यान ही नहीं जाता. एक आर्टिस्ट अपने काम की तारीफ के लिए जमकर कड़ी मेहनत करता है और प्रशंसकों से जो उन्हें तारीफ मिलती है वहीं उनके लिए सबसे बड़ा अवॉर्ड होता है लेकिन अभिषेक बच्चन को अच्छा करने के बावजूद वो तारीफ नहीं मिलती, जिसके वो हकदार हैं.
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