बहुत घातक है चीन की “सलामी स्लाइसिंग” नीति, इस बार नेपाल है ड्रैगन का शिकार

चीन की धूर्ततापूर्ण रणनीति हमेशा से ही अपने पड़ोसी देशों की भूमि हड़पने की रही हैं। उसके ऐसे षड्यंत्रों से अधिकतर देश परेशान हैं। कई देशों को बर्बाद करने के बाद अब ड्रैगन की आंखें नेपाल पर जा गड़ी हैं।

सलामी स्लाइसिंग China's "Salami Slicing" is proving to be more dangerous than Pak bleed India with thousand cuts

Source- TFI

सलामी स्लाइसिंग (Salami Slicing) नीति: धूर्तता की पराकाष्ठा का यदि आपको उत्कृष्ट उदाहरण देखना है तो चीन को देखिए, इस काम की सूची में वह सबसे ऊपर है। अपने अधिकतर पड़ोसी देशों के साथ चीन के संबंध ठीक नहीं रहे हैं, चीन का उनके साथ सीमा विवाद ही रहा है। क्योंकि ड्रैगन हमेशा अपने पड़ोसी देशों के विरुद्ध किसी न किसी तरह का षड्यंत्र रचता ही रहता है। उसकी धूर्ततापूर्ण रणनीति हमेशा से अपने पड़ोसी देशों की भूमि हड़पने की रही हैं। उसके ऐसे षड्यंत्रों से अधिकतर देश परेशान हैं। कई देशों को बर्बाद करने के बाद अब ड्रैगन की आंखें नेपाल पर जा गड़ी हैं।

चीन की सलामी स्लाइसिंग नीति

दरअसल, अब सूचना यह है कि चीन नेपाल की 10 जगहों पर कब्जा कर उन्हें अपनी सीमा में मिला चुका है। जानकारी है कि चीन ने नेपाल की 36 हेक्टेयर भूमि पर कब्जा कर लिया है। नेपाल सरकार की एक सर्वे रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चीन नेपाल की 10 जगहों को अपनी सीमा में शामिल कर चुका है। वहीं नेपाल सरकार इन तथ्यों से अपना पीछा छुड़ाने के लिए मीडिया रिपोर्ट को झुठला रही है। कहा जा रहा है कि चीन ने यह कार्रवाई सलामी-स्लाइसिंग नीति के तहत की है।

दरअसल, चीन द्वारा सलामी स्लाइसिंग नीति (Salami Slicing tactics) का प्रयोग लंबे समय से किया जा रहा है। सलामी स्लाइसिंग नीति ड्रैगन की वह नीति है जिसके तहत चीन अपने सीमावर्ती देशों की भूमि पर छोटी-छोटी कार्रवाई करते हुए पहले छोटे भाग पर अपना कब्जा जमाता है और फिर अपने सीमावर्ती देशों के बड़े भागों पर कब्जा कर लेता है। इस नापाक नीति से चीन अपने क्षेत्र का विस्तार करता जा रहा है। अर्थात सलामी स्लाइसिंग नीति से अवैध कार्यों को एक ही बार पूरा करने की जगह छोटे-छोटे भागों में पूरा किया जाता है जिससे की अपने षड्यंत्र को पूरा करने के दौरान कम से कम रुकावटों का सामना करना पड़े। इस नीति का उपयोग अवैध कार्यों को गुप्त रूप से पूरा करने के लिए ही किया जाता है। इस नीति के तहत ही चीन ने तिब्बत और भारत के अक्साई चिन क्षेत्र पर अवैध कब्ज़ा किया।

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नेपाल ने भी चीन का विरोध नहीं किया

दरअसल, साल 2016 में चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी ने नेपाल के एक जिले में घुसकर पशुपालन के लिए पशु चिकित्सा केंद्र बना लिया था। लेकिन तब नेपाल ने चीन की इस कार्रवाई का कोई विरोध ही नहीं किया। वो एक कहावत है न कि उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, ठीक इसी तरह का खेल चीन ने खेला है। साल 2022 के फरवरी में एक यूके स्थित मीडिया की रिपोर्ट में उल्टे चीन ने ही नेपाल पर साझा सीमा वाले क्षेत्र में अतिक्रिमण करने का आरोप लगा दिया था। जहां अब चीन ही अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने नेपाल के पश्चिमी जिले हुमला में बॉर्डर पोस्ट के आसपास नहरें और सड़कें बनाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।

दरअसल, चीन जिस देश की जिस भी भूमि को कब्जाना चाहता है उसे सबसे पहले अपनी भूमि बताने का ढिढोंरा पीटना शुरू कर देता है। जिसके बाद वो भूभाग विवादित घोषित हो जाता है। जिसके बाद वह अपनी राजनीतिक, कूटनीतिक, वित्तीय एवं सैन्य शक्ति के माध्यम से उस भाग पर अपना पूर्ण अधिकार कर लेता है। वर्षों से चीन इसी नीति का इस्तेमाल करके अपने सीमावर्ती देशों की भूमि को हड़पता आ रहा है।

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भारत के भूभागों पर भी चीन का दावा

भारत के अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल-प्रदेश एवं लद्दाख के विभिन्न भू-भागों पर चीन के द्वारा अपना दावा करना भी चीन की सलामी स्लाइसिंग नीति का ही हिस्सा है। इसी नीति के तहत साल 1962 में भी चीन ने भारतीय सीमाओं में सैकड़ों किलोमीटर तक घुसपैठ की। जब भारतीय सेना ने जबावी कार्रवाई की तो चीन ने अपनी सेना को वापस बुला लिया। लेकिन इसके बाद उसने सलामी स्लाइसिंग नीति (Salami Slicing tactics) अपनाते हुए अक्साई चिन को अपना क्षेत्र होने का दावा किया और बाद में उसे अपने नियंत्रण में ले लिया है।

हाल के समय में चीन नेपाल के विरुद्ध अपनी कार्रवाई करता जा रहा है और नेपाल की भूमि को अपनी सलामी स्लाइसिंग नीति के तहत कब्जाता जा रहा है। वहीं इतना सब होने के बाद भी नेपाल सरकार मौन है। अपने मौन को त्यागकर इस देश को चीन के विरुद्ध मोर्च खोल देना चाहिए ताकि धूर्त चीन को सबक मिल सके।

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