दिल्ली के तथाकथित कट्टर ईमानदार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक बार एक्सपोज हो चुके हैं। आप संयोजक अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के नेता कितने झूठ बोलते हैं, इसके बारे में आपको इस लेख को पढ़ने के बाद पता चल ही जाएगा। जो केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के नेता अपने स्कूल मॉडल का ढिंढोरा हर समय पीटते फिरते हैं वो केवल और केवल झूठ का पुलिंदा है। अब आप ये कह रहे होंगे कि यह आप कैसे कह सकते हैं? हम तो अखबारों और टीवी में कुछ और ही पढ़ते हैं। दावे किए जाते हैं कि केजरीवाल ने दिल्ली में न्यूयॉर्क जैसे वर्ल्ड क्लास स्कूल बनवा दिए। परंतु कहते हैं न दावों और हकीकत में अंतर होता है।
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शिक्षा मॉडल की खुली पोल
ठहरिए इस विषय विस्तृत जानकारी दी जाएगी। दरअसल, दावे करने में तो अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को महारत हासिल हैं। आप नेता अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गुजरात या हिमाचल प्रदेश कोई अन्य राज्य हर जगह उन्होंने अपने स्कूल मॉडल के बारे में खूब गाया बजाया। परंतु सच कुछ और ही है।
केजरीवाल के दिल्ली के स्कूल मॉडल को एक झूठा मॉडल कहा जाए तो इसमें कुछ गलत नहीं होगा। क्योंकि जिस चुनावी राज्य गुजरात में जाकर अरविंद केजरीवाल गुजरात के लोगों को दिल्ली के स्कूल मॉडल का उदाहरण दे रहे हैं, उस राज्य के स्कूल तो दिल्ली से पहले ही बेहतर हैं। स्कूली शिक्षा प्रदर्शन के मामले में गुजरात, दिल्ली से कहीं अच्छा साबित हुआ है।
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स्कूली शिक्षा प्रदर्शन में गुजरात ने दिल्ली को पछाड़ा
जी हां, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने अपनी बहुप्रतीक्षित परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स रिपोर्ट जारी की है, जहां स्कूली शिक्षा के मामले में गुजरात ने दिल्ली को पछाड़ दिया है। जिससे केजरीवाल के दिल्ली के स्कूल मॉडल की पोल खुल गई है। बता दें कि केंद्र सरकार के स्कूली शिक्षा विभाग के प्रदर्शन ग्रेडिंग इंडेक्स की सूची में केरल, महाराष्ट्र और पंजाब 1000 अंकों के स्कोर में से 928 अंक पाकर पहले, 927 अंकों के साथ चंडीगढ़ दूसरे और 903 अंकों के साथ गुजरात तीसरे नंबर पर है। ये रिपोर्ट केजरीवाल के तमाम दावों की पोल खोलती है। सूची में राजस्थान और आंध्र प्रदेश ने क्रमशः 903 और 902 स्कोर किया। वही दिल्ली की बात करें तो वो 899 के स्कोर के साथ 8वीं रैंक पर रहा।
जिन लोकलुभावन वादों के साथ केजरीवाल सरकार दिल्ली की सत्ता में आए उन पर काम करने का वो केवल दिखावा ही कर रहे है। दिल्ली शिक्षा मॉडल का केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने खूब ढिंढोरा पीटा। गुजरात में चुनावी मंचों से दिल्ली जैसा स्कूल मॉडल बनाने का वादा तक किया। लेकिन गुजरात के स्कूल तो केजरीवाल के दिल्ली मॉडल से कहीं ज्यादा बेहतर निकले। देखा जाए तो उनके इन्हीं झूठे दावों और वादों से दिल्ली जनता भी परेशान हो चुकी है। इन वादों और दावों को सफल बनाने के लिए केजरीवाल और आम आदमी पार्टी सिर्फ और सिर्फ विज्ञापन में पैसा खर्च करती है और कुछ नहीं। लेकिन कब तक इस तरीके का ही झूठ जनता के सामने उनकी पार्टी परोसती रहेगी? दिल्ली का शिक्षा मॉडल विज्ञापनों, PR, झूठे प्रदर्शन के बल पर खूब बेचा गया है। अखबारों के पहले पृष्ठ पर दिल्ली के स्कूलों की तस्वीरों को दिखाकर खूब विज्ञापन में पैसा बहाया जा रहा है लेकिन जमीन स्तर पर निल बट्टे सन्नाटा ही नजर आता है।
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केजरीवाल के दावे केवल विज्ञापन तक सीमित
जिससे साबित होता है कि जो केजरीवाल ये कहते हैं कि हमने दिल्ली के स्कूलों को वर्ल्ड क्लास बना दिया वो केवल और केवल उनका झूठ है और ये झूठ पर ही टिका हुआ है। केजरीवाल के दावे हैं वो सिर्फ और सिर्फ विज्ञापन में दिखते हैं इनका जमीनी सच से दूर- दूर तक कोई वास्ता नही है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की बहुप्रतीक्षित परफोर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स की रिपोर्ट ने केजरीवाल के शिक्षा मॉडल की बखिया उधेड़ दी है। तो दूसरे राज्यों में जाकर ढपली बजाने के बजाय आम आदमी पार्टी और केजरीवाल को पहले अपनी व्यवस्थाओं में सुधार और अपने वादों को पूरा करने में ज्यादा काम करना चाहिए न कि झूठ की ढ़पली बजाकर जनता का मूर्ख बनाना चाहिए।
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