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लव जिहादी आफ़ताब TOI के लिए ‘फूड ब्लॉगर’ है, NDTV के लिए ‘मैन’ और कईयों के लिए बस ‘ब्वॉयफ्रेंड’

एक नृशंस अपराधी को संबोधित करने के लिए 'एक फूड ब्लॉगर', 'बॉयफ्रेंड', 'भारतीय', 'लिव-इन पार्टनर' आदि का प्रयोग करने वाले मीडिया संस्थान आफताब का सत्य क्यों नहीं लिख रहे हैं?

Vaishali Shukla द्वारा Vaishali Shukla
15 November 2022
in चर्चित, समीक्षा
श्रद्धा आफताब, Love Jihadi is a Food Blogger for TOI, 'Man' For NDTV and other benign characters for the rest-

Source- TFI

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एक प्रश्न है- किसी व्यक्ति को मारकर उसके 35 टुकड़े करना और फिर उन सभी टुकड़ों को शहर में अलग-अलग स्थानों पर फेंकना क्या किसी सामान्य व्यक्ति का काम हो सकता है? क्या इस तरह का राक्षसी और क्रूरतापूर्ण कृत्य सामान्य सोच रखने वाला व्यक्ति कर सकता है? निसंदेह नहीं। देश की राजधानी दिल्ली में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। दिल्ली के छतरपुर से सामने आए श्रद्धा हत्याकांड (Shraddha murder case) ने हाहाकार मचा दिया। आफताब अमीन पूनावाला ने अपनी गर्लफ्रेंड श्रद्धा वाकर (26 साल) की बेरहमी से गला घोटकर हत्या तो की ही, इसके बाद उसके शरीर के 35 टुकड़े कर शहर के अलग-अलग स्थानों पर ठिकाने लगा दिया।

इस समय मीडिया में ये खबर आग की तरह फैली हुई है। जहां एक ओर इस घटना पर आम जनता से लेकर कुछ मीडिया वाले अपना क्रोध प्रकट रहे है, वहीं इस क्रोध की आड़ में वो न जाने क्यों एक नृशंस अपराधी को संबोधित करने के लिए एक फूड ब्लॉगर, बॉयफ्रेंड, भारतीय, लिवइन पार्टनर आदि का प्रयोग कर रहे हैं। आखिर इसके पीछे उनकी क्या मंशा है? क्या इस तरह के शब्दों का प्रयोग करके वो उस व्यक्ति के सामान्य होने का परिचय दे रहे हैं या फिर एक लव जिहादी को परिरक्षित करने का प्रयास कर रही हैं?

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क्या है पूरा मामला ?    

आफताब अमीन पूनावाला ने पुलिस को इस बात की जानकारी दी थी कि उसकी और श्रद्धा की मुलाक़ात साल 2019 में एक डेटिंग ऐप के माध्यम से हुई थी। उस दौरान श्रद्धा मुंबई में एक कॉल सेंटर में काम कर रही थी। फिर दोनों की दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल गयी। उसी साल से आफताब और श्रद्धा एक साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहने लग गए थे। आफताब और श्रद्धा के परिवार ने इसका बहुत विरोध किया था जिसके बाद दोनों मुंबई छोड़कर दिल्ली आ गए और यहीं रहने लगे थे।

परिवार को पहले इस बात की जानकारी नहीं थी कि दोनों दिल्ली के किस इलाके में रहते हैं लेकिन बाद में उनको पता चला कि दोनों एक साथ महरौली इलाके में रह रहे थे। जिसके बाद श्रद्धा का परिवार उससे जुड़ी जानकारी लेता रहता था लेकिन बहुत समय से उनको श्रद्धा के विषय में कोई जानकारी नहीं मिल रही थी। जिस वजह से श्रद्धा के परिवार वाले दिल्ली के उस फ्लैट में पहुंच गए जहां वो दोनों रहते थे। लेकिन फ्लैट पर तो ताला लगा हुआ था।

जिसके बाद 8 नवंबर को परिवारवालों ने श्रद्धा (Shraddha murder case) के अपहरण का मामला दिल्ली के महरौली थाने में दर्ज करवाया था। उन्होंने पुलिस को इस बात की जानकारी दी कि श्रद्धा के दोस्त ने 14 सितंबर को उनके बेटे से संपर्क किया और बताया था कि वह मिल नहीं रही है। दो महीने से अधिक समय से वह श्रद्धा के संपर्क में नहीं थे और श्रद्धा का फोन भी बंद था। जिसके बाद इस बात का खुलासा हुआ कि मई महीने में ही श्रद्धा की हत्या हो चुकी है।

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आफताब की गिरफ्तारी

पुलिस ने बीते दिन दिल्ली के छतरपुर में स्थित फ्लैट से आफताब को गिरफ्तार किया है। पूछताछ के दौरान आफताब ने बताया कि उसके और श्रद्धा के रिश्ते बहुत खराब थे और अक्सर दोनों के झगड़े हुआ करते थे। श्रद्धा आफताब पर शादी करने का दबाव बना रही थी जिस कारण दोनों के बीच झगड़ें बढ़ गए थे। 18 मई को बहस इतनी ज्यादा बढ़ गयी कि आफताब ने श्रद्धा का गला ही घोट दिया। फिर उसने श्रद्धा के शरीर को एक धारदार हथियार (आरी) से काटकर उसके 35 टुकड़ों को स्टोर करने के लिए एक 300 लीटर का फ्रिज भी खरीदा था।

इसके बाद वो अगले 16 दिनों तक निडरता से रात के अंधेरे में बाहर जाता और दिल्ली के आसपास के विभिन्न स्थानों पर शरीर के कटे हुए टुकड़ों को ठिकाने लगा देता था। आफताब ने यह भी बताया कि घर में लाश के टुकड़ों की दुर्गंध न फैले, इसके लिए वह एक विशेष तरह की अगरबत्ती भी जलाता था। कुछ रिपोर्ट में ऐसा भी बताया गया कि श्रद्धा ने अपनी मां से फोन पर कहा था कि आफताब उसके साथ मारपीट किया करता था।

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दूसरी लड़कियों के साथ भी थे संबंध

आरोपी ने बताया कि श्रद्धा के मर्डर (Shraddha murder case) को अंजाम देने के 15-20 दिन के अंदर ही उसने दूसरी गर्लफ्रेंड भी बना ली थी जोकि अक्सर उसके फ्लैट पर आया करती थी। उस दौरान आफताब के घर पर श्रद्धा के कई बॉडीपार्ट फ्रिज में पड़ें हुए थे। लेकिन उसकी गर्लफ्रेंड को कभी भी इस बात की भनक तक नहीं लगी। पुलिस को इस बात की भी जानकारी हासिल हुई है कि श्रद्धा के मर्डर के बाद आफताब श्रद्धा के इंस्टाग्राम अकाउंट से उसके कुछ दोस्तों से बातचीत किया करता था। पूरे एक माह तक उसने श्रद्धा का इंस्टाग्राम यूज किया था जिससे लोगों को लगे कि श्रद्धा अभी भी जिंदा है।

इस निर्मम अपराध को अंजाम देने के बाद आफताब ने फर्श को धोने के लिए एसिड के बारे में और बॉडी को काटने के तरीकों की जानकारी के बारे में गूगल सर्च का सहारा लिया था। दिल्ली शहर में हुए इस जघन्य अपराध के बारें में सुनकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएं। इस पूरे मामले को जानने के बाद आप क्या कहेंगे। क्या ऐसी घटना को अंजाम देने वाला व्यक्ति किसी का बॉयफ्रेंड या कोई साधारण व्यक्ति हो सकता है? फिर कुछ मीडिया वाले क्यों इस चेष्टा में लगे हैं कि आफताब लोगों के सामने साधारण सा लड़का प्रतीत हो।

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श्रद्धा के ‘दोषी’ आफताब पर मीडिया का प्रोपेगेंडा

उदाहरण के लिए आप NDTV के इस ट्वीट में लिखे शब्द को देखिए कैसे इस हत्यारे को ‘बॉयफ्रेंड’ शब्द से बुलाया गया है। और तो और अपने हेडलाइन में तो NDTV ने इस नृशंस हत्यारे को बड़ी ही सरलता से एक आदमी कहा है।

#Shraddha pic.twitter.com/1TzEQrDrDz

— NDTV (@ndtv) November 15, 2022

श्रद्धा आफताब
Source- NDTV

अब ABP को ही देख लीजिए कैसे आफताब को लिव-इन पार्टनर बता रहा है।

यहां देखिए कैसे सारी सच्चाई को दबाते हुए आजतक फूड ब्लॉगर, LGBT सपोर्टर और एक्टिविस्ट के रूप में आफताब को दिखा रहा है।

और इसी तरह टाइम्स ऑफ इंडिया के लिए यह व्यक्ति केवल आदमी के संबोधन तक सीमित हो जाता है।

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इन मीडियावालों की नज़रों में ये लव जिहादी एक सामान्य फूड ब्लॉगर, बॉयफ्रेंड और एक सामान्य आदमी हैं। एक नृशंस अपराधी को संबोधित करने के लिए ‘एक फूड ब्लॉगर’, ‘बॉयफ्रेंड’, ‘भारतीय’, ‘लिव-इन पार्टनर’ आदि का प्रयोग करने वाले मीडिया संस्थान आफताब का सत्य क्यों नहीं लिख रहे हैं? अपने एजेंडे को साधने वाले ये मीडिया वाले जो कर रहे हैं वह समाज के लिए कितना घातक है इसे भी समझना अति आवश्यक है। सतर्क रहना अति आवश्यक है।

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