हिंदू बहुल फिजी का ‘इस्लामीकरण’ तीव्र गति से हो रहा है

फिजी में हिंदुओं की आबादी 30 फीसदी है और मुस्लिमों की लगभग 7 फीसदी, इसके बावजूद हिंदुओं के लिए चीजें आसान नहीं हैं.

Fiji flag हिंदू फिजी

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क्या आपने फिजी का नाम सुना है? अगर नहीं सुना तो हम बताते हैं। यह वही द्वीप देश है जहां हिंदू जनसंख्या बहुतायत है और कई वर्षों से वहां गर्व से भगवा लहरा रहा है। मेलानेशिया में स्थित इस द्वीप देश में हिंदुओं ने भारत को न सिर्फ जिंदा रखा बल्कि इसके इतिहास को गौरवशाली और सम्पन्न कर दिया। लेकिन अब यहां भी इस्लामिस्टों की घुसपैठ देखने को मिल रही है और स्थिति ऐसी हो चली है कि हिंदू समुदाय के लोगों को भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे फिजी में इस्लामिस्टों के घुसपैठ से अब इसके ‘इस्लामीकरण’ की चिंता सताने लगी है।

दरअसल, मेलानेशिया में स्थित द्वीपों के बीच में एक छोटा सा द्वीप देश है फिजी, जो दक्षिण प्रशांत महासागर में ओशिआनिया का हिस्सा है। यह न्यूजीलैंड से लगभग 1,100 समुद्री मील उत्तर पूर्व में स्थित है। फिजी में 330 द्वीपों का एक द्वीपसमूह है, जिनमें से लगभग 110 द्वीपों पर स्थायी रूप से वहां की आबादी बसी हुई है और उस आबादी में 50 प्रतिशत ईसाई, 30 प्रतिशत हिंदू, 7 प्रतिशत मुस्लिम और बाकी अन्य धर्मों के लोग रहते हैं। इन आंकड़ो को देखने के बाद आपको लग रहा होगा कि यह तो 30 प्रतिशत हिंदू आबादी वाला देश है और यहां कैसे इस्लामिक कट्टरपंथ राजनीति में हावी हो सकता है? लेकिन अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो आप गलत हैं, क्योंकि यहां पर इस्लामिक कट्टरपंथ बहुत तेजी से पनप रहा है और धीरे-धीरे सरकार पर भी हावी होता जा रहा है।

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समझिए क्या है पूरा मामला?

ज्ञात हो कि वर्तमान समय में फिजी में फ्रैंक बेनिमारामा प्रधानमंत्री हैं और अयाज सैयद-खैयूम उनके मंत्रिमंडल में अर्थव्यवस्था, सिविल सेवा और संचार मंत्री का पद संभाल रहे हैं। सरल भाषा में कहें तो मूल समस्या की जड़ अयाज सैयद-खैयूम ही हैं जिन पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से करीबी संबंध रखने और हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को हवा देने का आरोप है। इसके अलावा अयाज सैयद-खैयूम ने वर्ष 2018 के चुनाव परिणामों के साथ कथित रूप से छेड़छाड़ करने और फ्रैंक बेनिमारामा की जीत सुनिश्चित करने के लिए NADRA का इस्तेमाल किया।

आलोचकों का आरोप है कि बेनिमारामा ने जीत के बदले में खैयूम को खुली छूट दे दी और खैयूम ने अपना सारा ध्यान फिजी में हिंदू आबादी के खिलाफ लगा दिया। अब वहां न केवल मंदिरों पर हमले अधिक होते हैं बल्कि हिंदू बुद्धिजीवियों को भी पुलिस नियमित रूप से उठाती है और झूठे मामले दर्ज करती है। अयाज सैयद-खैयूम पर नियमों की धज्जियां उड़ाकर पाकिस्तानी मूल के मुसलमानों को सत्ता के प्रमुख पदों पर ‘भरने’ का आरोप लगा है।

ध्यान देने योग्य है कि फ़िजी डेवलपमेंट बैंक (FDB) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में सऊद मिनम की नियुक्ति विवादास्पद नियुक्तियों में से एक रही है। सऊद मिनम के बारे में आपको बता दें कि यह एक पूर्व पाकिस्तानी नागरिक हैं और वर्तमान समय में FDB के CEO हैं। इसके अलावा यह सवाल भी उठ रहा है कि फिजी में मुस्लिमों की जनसंख्या 7 प्रतिशत है परन्तु सभी बड़े पदों पर खैयूम मुस्लिम लोगों को ही नियुक्त कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर खैयूम की चाची नूर बानो अली, फिजी चैंबर ऑफ कॉमर्स को नियंत्रित करती हैं। यानी यह तो स्पष्ट है कि खैयूम ही फिजी को इस्लामीकरण के दलदल में धकेलने की कोशिश में लगे हुए हैं।

सरकार पर हावी होते जा रहे हैं कट्टरपंथी

जहां तक फिजी में हिंदुओं की 30 फीसदी आबादी की बात है तो आपको दें कि वर्ष 1874 में फ़िजी ब्रिटिश औपनिवेशिक साम्राज्य का एक हिस्सा हुआ करता था और अंग्रेज यहां पर गन्ने की खेती करवाते थे, इसलिए उन्हें गन्ने के खेतों में काम करने  के लिए मजदूरों की आवश्यकता थी। अंग्रेजों ने भारतीय मजदूरों के साथ एक अनुबंध किया जिसके तहत उन्हें भारत से फिजी और इंडोनेशिया जैसे देशों में ले जाकर मजदूरी में लगा दिया गया। यह वह समय था जब पूरे विश्व में गुलामों का व्यापार किया जाता था। इसके अलावा यही वे मजदूर थे जो भारत से अपने साथ वहां हिंदू धर्म को लेकर गए और न चाहते हुए भी वहीं बस गए।

परन्तु फिजी की आजादी के बाद से ही उन्हें उत्पीड़न और भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। अब फिजी के प्रधानमंत्री फ्रैंक बेनिमारामा के देखरेख में फिजी को ‘इस्लाम’ में धकेलने का प्रयास किया जा रहा है। मौजूदा हालात को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि फिजी में इस्लामिक कट्टरपंथ धीरे-धीरे अपने चरम पर पहुंच रहा है और सरकार पर हावी होता जा रहा है जोकि आऩे वाले समय में एक देश के रूप में फिजी को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है।

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