भगवान श्रीराम की अयोध्या का कोरिया से वो संबंध जिससे आप अभी तक परिचित नहीं होंगे

कहानी अयोध्या की उस राजकुमारी की, जो बनी थीं दक्षिण कोरिया की महारानी। राजकुमारी का क्या था भगवान श्रीराम के वंश से संबंध?

Princess Suriratna of Ayodhya

Source- TFI

Princess Suriratna of Ayodhya:  प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। अयोध्या की पहचान एक प्राचीन शहर के रूप में होती है, जिसे साकेत के नाम से भी जाना जाता था। अयोध्या प्राचीन कोसल (कोशल) राज्य का हिस्सा था, जिसकी राजधानी साकेत (अयोध्या) थी। प्राचीन भारतीय ग्रंथों के अनुसार 2200 ईसा पूर्व के आसपास अयोध्या नगर की स्थापना की गई थी। इसका उल्लेख कई हिंदू पौराणिक ग्रंथों में भी मिलता हैं।

सत्ता में आने के बाद  मोदी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था, आत्मनिर्भरता, भारतीय सेना को मजबूती प्रदान करने, आतंकवाद पर लगाम लगाने, गरीब किसानों के हित में लगातार निर्णय लेने सहित कई बड़े काम किए हैं। वहीं दूसरी ओर यूपी की योगी सरकार भी सफलता के झंडे गाड़ रही हैं। योगी और मोदी की जोड़ी हर मामले में अव्वल है। अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर का निर्माण इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।

वैसे तो भगवान राम की नगरी अयोध्या के बारे में आप बहुत कुछ जानते होंगे। लेकिन क्या आप अयोध्या और कोरिया के विशेष संबंध से परिचित हैं? क्या आपको अयोध्या और कोरिया के एक बेहद ही खास कनेक्शन के बारे में पता हैं? यदि नहीं तो आज इस लेख में हम आपको अयोध्या के बारे में बेहद ही दिलचस्प बात बताएंगे, जिसके बारे में शायद आप न जानते हो।

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Princess Suriratna ने कोरिया जाकर रचाई थी शादी

दक्षिण कोरिया और भारत की दोस्ती 2000  वर्ष पूर्व से आरंभ होती है। ऐसा कहा जाता है कि पावन नगरी अयोध्या की एक राजकुमारी थीं सुरीरत्ना, जो 2000 साल पहले दक्षिण कोरिया जाकर वहीं पर बस गयी थी। कोरिया में उन्होंने उस समय के राजा किम सोरो से शादी रचा ली थी।

कोरिया के इतिहास के अनुसार महारानी हियो ह्वांग-ओक यानी राजकुमारी सुरीरत्ना (Princess Suriratna of Ayodhya) भारत से दक्षिण कोरिया के ग्योंगसांग प्रांत के किमहये शहर गई थीं। पौराणिक दस्तावेजों की मानें तो राजकुमारी सुरीरत्ना अपने धर्म का प्रचार-प्रसार करने के लिए अयोध्या से पानी के रास्ते होते हुए कोरिया पहुंची थीं। वहां पहुंचकर उनकी मुलाकात तत्कालीन राजा किम सोरो से हुई और दोनों को आपस में प्रेम हो गया। इसके बाद उन्होंने 16 साल की उम्र में राजा से शादी रचा ली थी।

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पिता के सपने में आये थे भगवान

चीन के पौराणिक दस्तावेज सामगुक युसा के अनुसार, राजकुमारी के पिता को स्वप्न में आकर स्वयं भगवान ने उनको ये निर्देश दिए थे कि वो अपनी बेटी को राजा किम सूरो से विवाह करने के लिए किमहये शहर भेजें।  जिसके बाद उनके पिता ने राजकुमारी को राजा सूरो के पास जाने की बात कही थी। लगभग दो महीने की समुद्री यात्रा करने के बाद राजकुमारी कोरिया के राजा के पास जा पहुंची थी।  राजकुमारी की शादी राजा किम सूरो से होने के बाद वो कोरिया की महारानी बन गई थीं। यह दस्तावेज मैंडेरिन भाषा में लिखे हुए है।

ऐसा कहा जाता है कि महारानी हियो ह्वांग-ओक और राजा किम सू-रो के कुल 12 बच्चे हुए थे। कोरिया में वैसे तो कई रानियों का जिक्र मिलता है, लेकिन रानी सुरीरत्ना को सभी से अधिक स्नेह मिला था। इसका मुख्य कारण यह भी माना जाता है कि वह श्रीराम नगरी से जुड़ी हुई थी। कोरिया के पौराणिक इतिहास के अनुसार जिस नाव के द्वारा राजकुमारी ने सफर किया था, उसे कोरिया ने 2000 वर्षों के बाद भी संभाल कर रखा हुआ है।

हालांकि अगर भारतीय दस्तावेजों की मानें तो उसमें ऐसा नहीं बताया गया है कि राजकुमारी सुरीरत्ना की शादी कोरिया के राजा से हुई थी। हालांकि, कोरिया के पौराणिक कथाओं में इस बात की पुष्टि साफ नज़र आती है। लोगों का ऐसा भी मानना है कि राजकुमारी श्रीराम के वंश से संबंध था, लेकिन ऐसी कोई भी बात दोनों देशों के इतिहास में दर्ज नहीं दिखती है।

वहीं बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति किम डेई जंग और पूर्व प्रधानमंत्री हियो जियोंग और जोंग पिल-किम भी कारक वंश से ही संबंधित थे। इस वंश के लोगों ने वह पत्थर भी संभल कर रखे हुए हैं, जिसे राजकुमारी ने नाव का संतुलन बनाने के लिए प्रयोग किया था। किमहये शहर में उनकी एक बड़ी सी प्रतिमा भी है।

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भगवान श्रीराम के वंश से था संबंध

ऐसा कहा जाता है कि अयोध्या की इस राजकुमारी का मृत्यु 157 साल की उम्र में हुई थी। दक्षिण कोरिया में राजकुमारी की जो कब्र बनी है, उसके बारे में ये कहा जाता है कि इस पर लगा पत्थर अयोध्या का है।

ऐसा भी कहा जाता है कि इन दोनों की शादी के बाद भारत और कोरिया के दोस्ती और भी ज्यादा मजबूत हो गयी थी। रिपोर्ट्स के अनुसार ,कोरिया ने अयोध्या में सरयू नदी के तट पर ‘रानी हो’ का स्मारक बनवाया हुआ है और हर साल फरवरी-मार्च के बीच सैकड़ों दक्षिण कोरियाई लोग अयोध्या आकर ‘रानी हो’ को श्रद्धांजलि देते हैं। वहीं अयोध्या के लोग भी किमहये शहर की यात्रा करते हैं।

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