सीमा पार आतंकवाद को रोकने का एकमात्र तरीका PoK को वापस लेना है

पाकिस्तान में सेना की कमान अब असीम मुनीर के हाथों में आने वाली है, जो कट्टरपंथी सोच रखता है और भारत विरोधी मुहिम में माहिर है। ऐसे में आने वाले खतरे को देखते हुए जरूरी है कि भारत PoK पर जल्द फैसला लें।

New Pakistan Army Chief

Source- TFI

New Pakistan Army Chief: आतंकवाद को पालो-पोसो और फिर पूरी दुनिया की नाक में दम करके रख दो, शुरू से ही पाकिस्तान ऐसी कट्टरवादी सोच के साथ बढ़ता आया है। उसी भक्षक पाकिस्तान को अब उसका सही उत्तराधिकारी मिल गया है। जी हां, पाकिस्तान ने एक बार फिर अपनी बुद्धिमत्ता का प्रमाण देते हुए कट्टरवादी सोच रखने वाले और कुरान को पूर्ण रूप से स्मरण करने वाले व्यक्ति असीम मुनीर को सेनाध्यक्ष (New Pakistan Army Chief) की कमान सौंपने का निर्णय लिया है।

इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे भारत-विरोधी New Pakistan Army Chief असीम मुनीर पाकिस्तानी सेना की बागडोर अपने हाथ में लेने के बाद भारत की समस्या को बढ़ा सकते हैं और ऐसे में सीमा पार आतंकवाद से निपटने का एकमात्र विकल्प PoK को वापस लेना ही है।

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नए सेनाध्यक्ष का पुलवामा हमले से कनेक्शन

पाकिस्तान के मौजूदा सेनाध्यक्ष जनरल सिंह बाजवा 29 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं, जिसके बाद असीम मुनीर उनकी जगह लेंगे। असीम मुनीर की पूरी कुंडली को यदि हम खंगालकर देखें तो वो एक कट्टरवादी सोच रखने वाले व्यक्ति नजर आते हैं। साथ ही वो भारत विरोधी सोच भी पालते हैं।

पाकिस्‍तान के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा, जब  ‘मुल्‍ला जनरल’ को इतने शक्तिशाली पद पर बिठाया जा रहा है। मुनीर पाकिस्तान खुफिया एजेंसी ISI के मुखिया भी रह चुके हैं। असीम मुनीर सबसे अधिक चर्चा में तब आए थे जब वर्ष 2019 में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के सामने ही उनकी पत्नी बुशरा बीबी पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगाए थे। केवल इतना ही नहीं 14 फरवरी 2019 को घटित दिल दहला देने वाले पुलवामा हमले जिसमें हमारे 40 जवानों शहीद हुए थे, उससे भी New Pakistan Army Chief Munir का कनेक्शन सामने आ चुका है । दरअसल जिस समय पुलवामा अटैक हुआ था तब असीम मुनीर ISI के प्रमुख पद पर विराजमान थे। दावा किया गया था कि इस अटैक में पाकिस्तान की सेना और ISI का भी हाथ था।

पाकिस्तान में ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी को सशस्त्र बलों में एक बड़ा और शक्तिशाली पद माना जाता हैं लेकिन सेना में सैनिकों की तैनाती से लेकर उनकी नियुक्तियों और उससे जुड़े जरूरी शक्तियों का निर्णय थल सेनाध्यक्ष के द्वारा किए जाते हैं। यही कारण है कि पाकिस्तानी फौज में सेना प्रमुख को सबसे शक्तिशाली पद माना जाता है। देखा जाये तो पाकिस्तान में सरकार तो केवल कठपुतली की भूमिका ही निभाती है जबकि असल में पूरा का पूरा नियंत्रण तो सेना के हाथों में ही होता है।

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PoK में पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियां

नए सेनाध्यक्ष बनने के बाद असीम के हाथ में काफी ताकत आने वाली हैं। आप सोच सकते हैं कि एक कट्टरपंथी सोच, पुलवामा हमले और न जाने किन-किन आतंकी गतिविधियों में शामिल व्यक्ति को इतने बड़े पद पर बैठा देने के क्या परिणाम हो सकते हैं। इनके रहते सीमावर्ती इलाकों में आतंकवाद में वृद्धि होना जरा-भी चौंकाने वाला नहीं होगा।

PoK ही पाकिस्तान का वो अड्डा है, जहां से वो भारत के विरुद्ध आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने की कोशिशों में रहता है। हाल ही में आई एक खुफिया रिपोर्ट के अनुसार FATF की ग्रे लिस्ट से हटने के बाद पाकिस्तान एक बार फिर बेलगाम हो गया और उसने PoK में आतंकी गतिविधियां तेज कर दी है। रिपोर्ट के अनुसार PoK के टेरर कैंपों की संख्या में बड़ी वृद्धि हुई है। इस वक्त पाकिस्तान PoK में 300 टेरर कैंप चला रहा है, जिसमें आतंकी कमांडरों को पाक आर्मी और ISI का पूरा सहयोग मिल रहा है।

इसमें जरा भी संदेह करने वाली बात नहीं है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी PoK भारत का ही अहम हिस्सा हैं और पाकिस्तान उस पर अवैध रूप से कब्जा जमाकर बैठा हुआ है। हालांकि PoK को लेकर भारत सरकार का रूख एकदम स्पष्ट है। मोदी सरकार सत्ता में आने के बाद से ही PoK वापस लेने को लेकर प्रतिबद्ध है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा बार-बार PoK वापस हासिल करने को लेकर बयान दिये जा रहे हैं।

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‘PoK हमारा है, हमारा ही रहेगा’

कुछ समय पूर्व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से पाकिस्तान को संदेश देते हुए कहा गया था कि PoK हमारा है और हमेशा हमारा ही रहेगा। इस पर बुरी नजर डालने वाला कोई भी हो भारत उसे मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार हैं। रक्षा मंत्री ने भरोसा जताया कि अगर कोई युद्ध हुआ तो भारत उसमें विजयी बनकर निकलेगा। वहीं भारतीय सेना ने भी स्पष्ट किया है कि PoK वापस लेने के लिए वे केवल सरकार के एक आदेश के इंतेजार में बैठी हैं।

रूस जैसे मित्र देश तो PoK को लेकर पहले से ही भारत के साथ खड़े हैं और वो इसे भारत का अभिन्न अंग भी मानते हैं। हालांकि अगर जरूरत पड़ी तो भारत अपनी रणनीतिक क्षमताओ के माध्यम से कई देशों को अपने पक्ष में ला सकता है। क्योंकि विश्व पटल पर आज भारत काफी मजबूत स्थिति में हैं।

बदकिस्मती से ही सही लेकिन है तो पाकिस्तान हमारा पड़ोसी ही और उसके द्वारा लिए गए निर्णयों का प्रभाव भी भारत पर पड़ता है। असीम मुनीर का सेनाध्यक्ष बनना चिंता की बात है। ऐसे में भारत के पास एक ही विकल्प है कि जल्द से जल्द PoK पर अपना कब्ज़ा कर लें, जिससे सीमा पार आतंकवाद पर लगाम लग सके।

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