TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    कथित तौर पर यह झड़प 22 जुलाई को राजधानी स्थित कर्नाटक भवन के प्रशासनिक कार्यालय में हुई थी।

    दिल्ली की ज़मीन पर कर्नाटक की लड़ाई: सीएम और डिप्टी सीएम खेमों में आर-पार की जंग

    दुनिया का भरोसा मोदी पर! 75% Approval के साथ बने No.1 Leader

    दुनिया का भरोसा मोदी पर! 75% Approval के साथ बने No.1 Leader

    आस्था की लूट? तमिलनाडु सरकार ने 1,000 किलो चढ़ावा पिघलाया

    आस्था की लूट? तमिलनाडु सरकार ने 1,000 किलो से चढ़ावे का सोना पिघलाया

    सहमति से यौन संबंध बनाने की उम्र 18 से 16 वर्ष करने के वामपंथी इंदिरा जयसिंह के प्रस्ताव पर केंद्रिय सरकार का सुप्रीम कोर्ट में कड़ा विरोध

    सहमति से यौन संबंध बनाने की उम्र 18 से 16 वर्ष करने के वामपंथी इंदिरा जयसिंह के प्रस्ताव पर केंद्रिय सरकार का सुप्रीम कोर्ट में कड़ा विरोध

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत-ब्रिटेन व्यापार समझौता: ‘फ्री ट्रेड’ डील डन, जानिए किन सेक्टरों को होगा सीधा फायदा?

    भारत-ब्रिटेन व्यापार समझौता: ‘फ्री ट्रेड’ डील डन, जानिए किन सेक्टरों को होगा सीधा फायदा?

    भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते को कैबिनेट की मंजूरी, पीएम की यात्रा के दौरान होगा हस्ताक्षर

    भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते को कैबिनेट की मंजूरी, पीएम की यात्रा के दौरान होगा हस्ताक्षर

    बिजनेस का पलायन: 2011 से अब तक पश्चिम बंगाल छोड़ गईं 6,688 कंपनियां, जानिए क्या है वजह?

    बिजनेस का पलायन: 2011 से अब तक पश्चिम बंगाल छोड़ गईं 6,688 कंपनियां, जानिए क्या है वजह?

    अमेरिकी सीनेटर ने भारत की अर्थव्यवस्था तबाह करने की दी धमकी, जानें क्या है मामला

    अमेरिकी सीनेटर ने भारत की अर्थव्यवस्था तबाह करने की दी धमकी, जानें क्या है मामला

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    1999 से ऑपरेशन सिंदूर तक: कारगिल विजय दिवस भारत की शौर्यगाथा का प्रतीक

    1999 से ऑपरेशन सिंदूर तक: कारगिल विजय दिवस भारत की शौर्यगाथा का प्रतीक

    ऑपरेशन सिंदूर अब भी जारी, सेना को रहना चाहिए 24×7 सतर्क: जनरल अनिल चौहान

    ऑपरेशन सिंदूर अब भी जारी, सेना को रहना चाहिए 24×7 सतर्क: जनरल अनिल चौहान

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद बीएसएफ की ड्रोन निगरानी और युद्ध क्षमताओं को किया जाएगा बेहतर

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद बीएसएफ की ड्रोन निगरानी और युद्ध क्षमताओं को किया जाएगा बेहतर

    सितंबर तक IAF से रिटरायर हो जाएंगे मिग-21 लड़ाकू विमान, जानें कौन लेगा इनकी जगह

    सितंबर तक IAF से रिटायर हो जाएंगे मिग-21 फाइटर जेट, जानें कौन लेगा इनकी जगह?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    दुनिया का भरोसा मोदी पर! 75% Approval के साथ बने No.1 Leader

    दुनिया का भरोसा मोदी पर! 75% Approval के साथ बने No.1 Leader

    बांग्लादेश में हिंदुओं के बढ़ते उत्पीड़न के बीच चिन्मय कृष्ण दास को फिर नहीं मिली जमानत

    बांग्लादेश में हिंदुओं के बढ़ते उत्पीड़न के बीच चिन्मय कृष्ण दास को फिर नहीं मिली जमानत

    फिलिस्तीन को मान्यता देगा फ्रांस: जंग के बीच इजरायल को क्यों लगेगा बड़ा डेंट, मैक्रों की मजबूरी जानें

    फिलिस्तीन को मान्यता देगा फ्रांस: जंग के बीच इजरायल को बड़ा झटका, जानें क्या है मैक्रों की मजबूरी

    वैश्विक आतंकवाद का केंद्र पाकिस्तान आंतरिक संघर्षों से भी जूझ रहा है

    पासपोर्ट रैंकिंग में पाकिस्तान फिर फिसड्डी, उत्तर कोरिया और सूडान जैसे देशों से भी नीचे रही रैंकिंग

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    अब तक आजाद नहीं हो सकीं आजाद की अस्थ्यिां, पांच दशक से लखनऊ में बंद है अस्थि कलश

    आज तक ‘आज़ाद’ नहीं हो सकीं चंद्रशेखर आजाद की अस्थियां, 5 दशक से लखनऊ में बंद है अस्थि कलश

    ड्रूज़ समुदाय (Photo - The National News)

    इस्लाम से निकले ड्रूज़ समुदाय की कहानी जो करता है पुनर्जन्म में विश्वास; इन्हें बचाने के लिए इज़रायल ने किए सीरिया में हमले

    आरएसएस के चतुर्थ सरसंघचालक प्रो. राजेंद्र सिंह उपाख्य रज्जू भैया

    वैज्ञानिक और शिक्षक से सरसंघचालक तक: प्रो. राजेन्द्र सिंह उपाख्य ‘रज्जू भैया’ की प्रेरक जीवनयात्रा

    हजारों साल पहले भी हमारे पास थी अपनी नौसेना, नया नहीं है समुद्री क्षेत्र में हमारा आधिपत्य

    नया नहीं है समुद्री क्षेत्र में भारत का आधिपत्य, हजारों साल पहले भी हमारे पास थी अपनी नौ सेना

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    “उदयपुर फाइल्स” को हरी झंडी, कन्हैया लाल के बेटे का सवाल: “मेरे पापा को इंसाफ कौन देगा?”

    “उदयपुर फाइल्स” को हरी झंडी, कन्हैया लाल के बेटे का सवाल: “मेरे पापा को इंसाफ कब मिलेगा?”

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद बीएसएफ की ड्रोन निगरानी और युद्ध क्षमताओं को किया जाएगा बेहतर

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद बीएसएफ की ड्रोन निगरानी और युद्ध क्षमताओं को किया जाएगा बेहतर

    USOPC का बड़ा फैसला- ट्रम्प के आदेश के बाद ओलंपिक खेलों में ट्रांसजेंडर एथलीटों की एंट्री पर लगी रोक

    USOPC का बड़ा फैसला- ट्रम्प के आदेश के बाद ओलंपिक खेलों में ट्रांसजेंडर एथलीटों की एंट्री पर लगी रोक

    कैंपस हॉस्टल से कामिकेज ड्रोन: भारतीय सेना को युद्ध के लिए तैयार ड्रोन इस तरह पहुंचा रहे बिट्स के दो छात्र

    20 वर्षीय छात्रों ने हॉस्टल में बनाया 300 km/h की रफ्तार वाला कामिकेज़ ड्रोन, अब सेना करेगी इस्तेमाल

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    कथित तौर पर यह झड़प 22 जुलाई को राजधानी स्थित कर्नाटक भवन के प्रशासनिक कार्यालय में हुई थी।

    दिल्ली की ज़मीन पर कर्नाटक की लड़ाई: सीएम और डिप्टी सीएम खेमों में आर-पार की जंग

    दुनिया का भरोसा मोदी पर! 75% Approval के साथ बने No.1 Leader

    दुनिया का भरोसा मोदी पर! 75% Approval के साथ बने No.1 Leader

    आस्था की लूट? तमिलनाडु सरकार ने 1,000 किलो चढ़ावा पिघलाया

    आस्था की लूट? तमिलनाडु सरकार ने 1,000 किलो से चढ़ावे का सोना पिघलाया

    सहमति से यौन संबंध बनाने की उम्र 18 से 16 वर्ष करने के वामपंथी इंदिरा जयसिंह के प्रस्ताव पर केंद्रिय सरकार का सुप्रीम कोर्ट में कड़ा विरोध

    सहमति से यौन संबंध बनाने की उम्र 18 से 16 वर्ष करने के वामपंथी इंदिरा जयसिंह के प्रस्ताव पर केंद्रिय सरकार का सुप्रीम कोर्ट में कड़ा विरोध

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत-ब्रिटेन व्यापार समझौता: ‘फ्री ट्रेड’ डील डन, जानिए किन सेक्टरों को होगा सीधा फायदा?

    भारत-ब्रिटेन व्यापार समझौता: ‘फ्री ट्रेड’ डील डन, जानिए किन सेक्टरों को होगा सीधा फायदा?

    भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते को कैबिनेट की मंजूरी, पीएम की यात्रा के दौरान होगा हस्ताक्षर

    भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते को कैबिनेट की मंजूरी, पीएम की यात्रा के दौरान होगा हस्ताक्षर

    बिजनेस का पलायन: 2011 से अब तक पश्चिम बंगाल छोड़ गईं 6,688 कंपनियां, जानिए क्या है वजह?

    बिजनेस का पलायन: 2011 से अब तक पश्चिम बंगाल छोड़ गईं 6,688 कंपनियां, जानिए क्या है वजह?

    अमेरिकी सीनेटर ने भारत की अर्थव्यवस्था तबाह करने की दी धमकी, जानें क्या है मामला

    अमेरिकी सीनेटर ने भारत की अर्थव्यवस्था तबाह करने की दी धमकी, जानें क्या है मामला

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    1999 से ऑपरेशन सिंदूर तक: कारगिल विजय दिवस भारत की शौर्यगाथा का प्रतीक

    1999 से ऑपरेशन सिंदूर तक: कारगिल विजय दिवस भारत की शौर्यगाथा का प्रतीक

    ऑपरेशन सिंदूर अब भी जारी, सेना को रहना चाहिए 24×7 सतर्क: जनरल अनिल चौहान

    ऑपरेशन सिंदूर अब भी जारी, सेना को रहना चाहिए 24×7 सतर्क: जनरल अनिल चौहान

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद बीएसएफ की ड्रोन निगरानी और युद्ध क्षमताओं को किया जाएगा बेहतर

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद बीएसएफ की ड्रोन निगरानी और युद्ध क्षमताओं को किया जाएगा बेहतर

    सितंबर तक IAF से रिटरायर हो जाएंगे मिग-21 लड़ाकू विमान, जानें कौन लेगा इनकी जगह

    सितंबर तक IAF से रिटायर हो जाएंगे मिग-21 फाइटर जेट, जानें कौन लेगा इनकी जगह?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    दुनिया का भरोसा मोदी पर! 75% Approval के साथ बने No.1 Leader

    दुनिया का भरोसा मोदी पर! 75% Approval के साथ बने No.1 Leader

    बांग्लादेश में हिंदुओं के बढ़ते उत्पीड़न के बीच चिन्मय कृष्ण दास को फिर नहीं मिली जमानत

    बांग्लादेश में हिंदुओं के बढ़ते उत्पीड़न के बीच चिन्मय कृष्ण दास को फिर नहीं मिली जमानत

    फिलिस्तीन को मान्यता देगा फ्रांस: जंग के बीच इजरायल को क्यों लगेगा बड़ा डेंट, मैक्रों की मजबूरी जानें

    फिलिस्तीन को मान्यता देगा फ्रांस: जंग के बीच इजरायल को बड़ा झटका, जानें क्या है मैक्रों की मजबूरी

    वैश्विक आतंकवाद का केंद्र पाकिस्तान आंतरिक संघर्षों से भी जूझ रहा है

    पासपोर्ट रैंकिंग में पाकिस्तान फिर फिसड्डी, उत्तर कोरिया और सूडान जैसे देशों से भी नीचे रही रैंकिंग

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    अब तक आजाद नहीं हो सकीं आजाद की अस्थ्यिां, पांच दशक से लखनऊ में बंद है अस्थि कलश

    आज तक ‘आज़ाद’ नहीं हो सकीं चंद्रशेखर आजाद की अस्थियां, 5 दशक से लखनऊ में बंद है अस्थि कलश

    ड्रूज़ समुदाय (Photo - The National News)

    इस्लाम से निकले ड्रूज़ समुदाय की कहानी जो करता है पुनर्जन्म में विश्वास; इन्हें बचाने के लिए इज़रायल ने किए सीरिया में हमले

    आरएसएस के चतुर्थ सरसंघचालक प्रो. राजेंद्र सिंह उपाख्य रज्जू भैया

    वैज्ञानिक और शिक्षक से सरसंघचालक तक: प्रो. राजेन्द्र सिंह उपाख्य ‘रज्जू भैया’ की प्रेरक जीवनयात्रा

    हजारों साल पहले भी हमारे पास थी अपनी नौसेना, नया नहीं है समुद्री क्षेत्र में हमारा आधिपत्य

    नया नहीं है समुद्री क्षेत्र में भारत का आधिपत्य, हजारों साल पहले भी हमारे पास थी अपनी नौ सेना

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    “उदयपुर फाइल्स” को हरी झंडी, कन्हैया लाल के बेटे का सवाल: “मेरे पापा को इंसाफ कौन देगा?”

    “उदयपुर फाइल्स” को हरी झंडी, कन्हैया लाल के बेटे का सवाल: “मेरे पापा को इंसाफ कब मिलेगा?”

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद बीएसएफ की ड्रोन निगरानी और युद्ध क्षमताओं को किया जाएगा बेहतर

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद बीएसएफ की ड्रोन निगरानी और युद्ध क्षमताओं को किया जाएगा बेहतर

    USOPC का बड़ा फैसला- ट्रम्प के आदेश के बाद ओलंपिक खेलों में ट्रांसजेंडर एथलीटों की एंट्री पर लगी रोक

    USOPC का बड़ा फैसला- ट्रम्प के आदेश के बाद ओलंपिक खेलों में ट्रांसजेंडर एथलीटों की एंट्री पर लगी रोक

    कैंपस हॉस्टल से कामिकेज ड्रोन: भारतीय सेना को युद्ध के लिए तैयार ड्रोन इस तरह पहुंचा रहे बिट्स के दो छात्र

    20 वर्षीय छात्रों ने हॉस्टल में बनाया 300 km/h की रफ्तार वाला कामिकेज़ ड्रोन, अब सेना करेगी इस्तेमाल

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

100 वर्षों के बाद ईसाइयत अपने रास्ते से भटक रहा है

'ईसाइयत सीरीज़' के पांचवें चैप्टर में आज पढ़िए कि कैसे 100 वर्षों के बाद यह अपने रास्ते से भटक रही है।

TFI Desk द्वारा TFI Desk
24 December 2022
in प्रीमियम
100 Years of Christianity losing its way

Source- TFI

Share on FacebookShare on X

इस श्रृंखला के पिछले अध्याय में हमने जाना कि कैसे रिचर्ड द लायनहार्ट प्रभावी ढंग से एक जीता हुआ युद्ध हार गया। यह युद्ध कई स्तरों पर विनाशकारी था। वहीं रिचर्ड ने साइप्रस के अपने कब्जे वाले क्षेत्र को वापस करने से भी मना कर दिया था और बदले में इसे नाइट्स टेम्पलर को बेच दिया था। इस बीच इस्लामिक दुनिया में सलादीन की मौत हो गई थी, उनका राज्य बंटा हुआ था। जब सलादीन और रिचर्ड द्वारा तय की गई युद्धविराम संधि की अवधि समाप्त हो गई तो मिस्र के सुल्तान अल-अजीज उथमान ने शैम्पेन के हेनरी द्वितीय, यरूशलेम साम्राज्य के नये शासक के साथ एक विस्तार संधि पर हस्ताक्षर करके इसे बढ़ाया।

1197 ईस्वी में, जर्मनों ने एक अवसर को भांप लिया और हेनरी द्वितीय की अनुमति के बिना अपना स्वयं का धर्मयुद्ध शुरू कर दिया। उन्होंने दमिश्क के अल-आदिल I पर हमला किया लेकिन हेनरी की अचानक मृत्यु के कारण आगे नहीं बढ़ सके, हालांकि वे बेरूत पर कब्जा करने में सफल रहे।

संबंधितपोस्ट

‘ठीक होना है तो ईसाई बन जाओ…’: बीमार हिंदू महिला के जबरन धर्मांतरण की कोशिश, घर से मूर्तियां हटाकर लटकाया क्रॉस

Reservation to Dalit Christians: ईसाई बने दलितों को आरक्षण दिलवाने की ज़िद पर अड़े स्टालिन

ईसाई धर्म जैसा आज है, वैसा वो कैसे बना- चतुर्थ अध्याय: ‘दो अब्राहमिक दिग्गजों की लड़ाई’

और लोड करें

साइप्रस के हेनरी के उत्तराधिकारी एमीरी ने 1198 ईस्वी में अल-आदिल के साथ 5 साल 8 महीने के युद्धविराम पर हस्ताक्षर किए। अल-आदिल ने अपना समय सलादीन के पूर्व साम्राज्य को एकजुट करने में बिताया। जबकि मुसलमान एकजुट थे, बीजान्टिन अंदरूनी कलह से प्रभावित थे। इसाक II को उसके भाई एलेक्सिस III एंजेलोस ने अंधा और निर्वासित कर दिया था। वह भी अप्रभावी साबित हुआ क्योंकि बीजान्टिन और वेनिस गणराज्य के बीच व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता गति पकड़ रही थी।

और पढ़ें: ईसाई मिशनरियों की उपज था द्रविड़ आंदोलन? सबकुछ जान लीजिए

चौथा धर्मयुद्ध

1198 ई. में पोप इनोसेंट तृतीय सत्ता में आया। उनका घोषित लक्ष्य यरूशलेम की बहाली था। प्रारंभिक प्रतिक्रिया कमजोर थी क्योंकि यूरोपीय राजा अंतर-यूरोप युद्ध लड़ रहे थे। फुल्क ऑफ न्यूली को नेता के रूप में चुनने में एक साल लग गया। 1201 ईस्वी में उनकी मृत्यु हो गई, जिससे उनके स्थान पर मोंटेफेराट के बोनिफेस का मार्ग प्रशस्त हो गया।

विभिन्न दूतों को यूरोपीय शहर राज्यों में भेजा गया था, जो धर्मयुद्ध के घोषित लक्ष्य, मिस्र तक पहुंचने में समर्थन मांग रहे थे। वेनिस 33,500 जेहादियों भेजने के लिए सहमत हुए। यह अंततः एक ऐसा स्थान बन गया जहां से क्रूसेडर्स अक्टूबर 1202 ईस्वी में निकलेंगे। बहुत सारे धर्मयोद्धाओं ने फ़्लैंडर्स, मार्सिले और जेनोआ से अपने कदम आगे बढ़ाए लेकिन उनमें से अधिकांश ने वेनिस से अपना मिशन शुरू करने का फैसला किया।

अपने जहाज के बदले में वेनिस ने जेहादियों से पैसे की मांग की। जब वे भुगतान नहीं कर सके तो डोगे एनरिको डैंडोलो ने क्रूसेडर्स से ईसाई क्षेत्र ज़ारा पर कब्जा करने के लिए कहा। धर्मयोद्धाओं के एक गुट ने ऐसा नहीं किया और लौट आए। यहां तक ​​कि पोप ने उन्हें ज़ारा पर हमला करने पर बहिष्कार की धमकी भी दी थी। कहा जाता है कि उनका पत्र क्रूसेड आर्मी से छुपाया गया था और नवंबर 1202 ईस्वी में ज़ारा क्रूसेडर्स के नियंत्रण में थी।

यहां तक ​​कि ज़ारा के नागरिकों ने अपना समर्थन दिखाने के लिए क्रॉस का इस्तेमाल करते हुए अपने शहर को लुटने से नहीं रोका। पोप इनोसेंट III ने बहिष्कार का एक पत्र लिखा, लेकिन फिर से क्रूसेडर्स के कमांडरों ने इसे सैनिकों से छिपा दिया। 1203 में, पोप ने अपना विचार बदल दिया और बहिष्कार को रद्द कर दिया, लेकिन वेनेशियन के लिए नहीं।

ज़ारा में, क्रूसेडर्स को इसहाक II के बेटे एलेक्सिस IV से एक प्रस्ताव मिला। वह क्रूसेडर्स की मदद से अपने चाचा को गद्दी से हटाना चाहता था और बदले में उनके मिशन में सहायता की पेशकश की। एक बार फिर पोप इनोसेंट III ने एलेक्सिस के प्रस्ताव को स्वीकार करने के खिलाफ एक पत्र लिखा।

जुलाई 1203 ई. में धर्मयोद्धाओं ने कांस्टेंटिनोपल जाकर घेर लिया। क्रूसेडर्स को अपने लोगों के समर्थन के बारे में एलेक्सिस की भविष्यवाणी फलीभूत नहीं हुई और स्थानीय लोगों ने उनका विरोध किया। इसके बावजूद, धर्मयोद्धा एलेक्सिस अपने वादे को पूरा करने के लिए इंतजार कर रहा था। एलेक्सिस अपने वादे को पूरा नहीं कर सका और अपने बीजान्टिन साम्राज्य में, धर्म-विरोधी गुट रईस एलेक्सियोस डौकास के नेतृत्व में प्रमुखता से बढ़ा। उसने फरवरी 1204 ईस्वी में एलेक्सियोस चतुर्थ को मार डाला और एलेक्सिस वी को राजा के रूप में ताज पहनाया।

असंतुष्ट होकर, क्रूसेडर्स ने उस वर्ष बाद में कॉन्स्टेंटिनोपल को बर्खास्त कर दिया। शहर की ऐतिहासिक विरासत को नष्ट कर दिया गया था और धर्मयुद्ध दयनीय तरीके से विफल हो गया था। यहां तक ​​कि वे क्रूसेडर भी जिन्होंने वेनिस को अपने लॉन्चपैड के रूप में नहीं चुना था, पवित्र भूमि तक नहीं पहुंच सके। वेनिस और क्रूसेडर्स ने बीजान्टिन क्षेत्रों को आपस में बांट लिया।

और पढ़ें: कथा दो राज्यों की: एक है ईसाई प्रेमी पंजाब तो दूसरा है धर्म प्रिय हरियाणा

पांचवां धर्मयुद्ध

धर्मयुद्ध की विफलता ने पापल प्राधिकरण को गहरा आघात पहुंचाया। धर्मयुद्ध के बाद, यूरोपीय शासकों के बीच अंदरूनी कलह की एक नई लहर शुरू हो गई। अपने सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, पोप शांति स्थापित करने में विफल रहे।

उन्हें एक करने के लिए 1213 ई. में एक नये धर्मयुद्ध की घोषणा की गयी। सभी प्रकार के प्रोत्साहन दिए गए और यहां तक कि युद्ध के वित्तपोषकों को भी प्रतिभागियों के समान लाभ देने की बात कही गयी। फ्रांसीसियों ने इसका गर्मजोशी से जवाब नहीं दिया क्योंकि उनके शूरवीर पहले से ही अल्बिजेन्सियन धर्मयुद्ध में शामिल थे। हंगरी के एंड्रयू द्वितीय, पवित्र रोमन साम्राज्य के फ्रेडरिक द्वितीय, ऑस्ट्रिया के लियोपोल्ड VI और जॉन ऑफ ब्रिएन प्रमुख नेता बन गए।

एंड्रयू II और लियोपोल्ड VI ने पूर्व की ओर कार्यभार संभाला। 10 नवंबर, 1217 ई. तक, धर्मयोद्धाओं ने एकजुट होकर अल-आदिल के इलाके पर हमला कर दिया था। उत्साहित हंगेरियन ने माउंट ताबोर की ओर धावा बोला लेकिन उस पर कब्जा करने में असफल रहे। उन्होंने तीन बार कोशिश की और हार मान ली जब दिसंबर 1217 ई. में एंड्रयू के भतीजे के नेतृत्व वाली टुकड़ी का सफाया हो गया। एंड्रयू ने सैन्य विजय के बजाय अवशेष इकट्ठा करने का फैसला किया। फरवरी 1218 ई. में उसने हंगरी लौटने का निश्चय किया।

क्रूसेडर्स के लिए सौभाग्य से, उन्हें पैडरबोर्न के ओलिवर और डच की मिश्रित सेना के रूप में कोई खालीपन महसूस नहीं हुआ। काहिरा लेने से पहले, उन्होंने दमित्ता को निशाना बनाने का फैसला किया। इसकी किलेबंदी इतनी मजबूत थी कि क्रूसेडर्स को शहर को उसके टॉवर से अलग करने में 4 महीने लग गए।

और पढ़ें: ईसाई धर्म जैसा आज है, वैसा वो कैसे बना- चतुर्थ अध्याय: ‘दो अब्राहमिक दिग्गजों की लड़ाई’

इस बीच, अल-आदिल की मृत्यु हो गई और उसके उत्तराधिकारी अल-कामिल ने क्रूसेडर्स को एक सौदा पेश किया। इस प्रस्ताव में यरूशलेम शामिल था। जॉन ऑफ ब्रिएन ने इसे स्वीकार कर लिया लेकिन पेलागियस और टेंपलर, हॉस्पिटालर्स और वेनेशियन के नेता अधिक चाहते थे। अल-आदिल इसे पेश नहीं कर सका और युद्ध छिड़ गया। नवंबर 1219 की शुरुआत तक, शहर क्रूसेडर्स के नियंत्रण में था। यह धर्मयुद्ध के नवगठित नेता, कार्डिनल पेलागियस गलवानी के लिए एक विशाल आत्मविश्वास बढ़ाने वाला था।

अब, धर्मयोद्धाओं ने अल-कामिल को नष्ट करने पर अपनी नजरें जमाईं। उन्होंने डेमिएट्टा में इसके लिए एक साल की योजना बनाई। पेलागियस और जॉन के बीच अगली योजना के बारे में मतभेद थे। जॉन ने पेलागियस को नील यात्रा में बहुत अधिक निवेश न करने की सलाह दी। पेलागियस ने इसकी बात नहीं मानी और मंसूराह की लड़ाई में निर्णायक हार के कगार पर था।

जॉन द्वारा अंतिम-मिनट के पुनर्जीवन ने क्रूसेडर्स को बात करने की मेज पर जगह प्रदान की। सभी अपराधियों को दमित्ता को आत्मसमर्पण करना था और वे सुरक्षित लौट सकते थे। अल-कामिल जानता था कि भले ही उसने जेहादियों को मार डाला, दमित्ता अन्य उत्साही लोगों के लिए एक लॉन्च पैड प्रदान करेगा। पेलागियस और जॉन ने औपचारिक रूप से क्रूसेडर्स के लिए एक और विफलता की घोषणा करते हुए आत्मसमर्पण कर दिया। पापल प्राधिकरण के नेतृत्व में पांचवें और अंतिम धर्मयुद्ध में क्रूसेडर्स ने जीवन, संसाधनों और प्रतिष्ठा को खो दिया।

और पढ़ें: ईसाई धर्म जैसा आज है, वैसा वो कैसे बना- द्वितीय अध्याय : इस्लाम से ईसाइयों का परिचय

छठा धर्मयुद्ध और यरूशलेम पर फिर से कब्जा

इसके बाद पापल प्राधिकरण केवल एक मार्गदर्शक शक्ति के रूप में रहा। पोप होनोरियस III ने फ्रेडरिक II से 1215 में ली गई अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए कहा। पांचवें धर्मयुद्ध के दौरान उन्हें बहुत देर हो गई थी। इस बीच, अल-कामिल ने अपने भाइयों के खिलाफ अपराध शुरू कर दिया था। वह यह भी जानता था कि फ्रेडरिक एक अवसर की तलाश में था। मिस्र पर हमला करने के खिलाफ फ्रेडरिक को मनाने के लिए, उसने उससे मित्रता की। फ्रेडरिक से वादा किया गया था कि अगर उसने मिस्र पर हमला नहीं करने का वादा किया तो यरूशलेम उसके सामने आत्मसमर्पण कर देगा। पोप ग्रेगरी IX (होनोरियस III के उत्तराधिकारी) ने फ्रेडरिक को बहिष्कार की धमकी दी जिसके कारण रोमन सम्राट ने धर्मयुद्ध योजना के साथ जाने का फैसला किया।

अगस्त 1227 में, पहली लहर ब्रिंडिसि से रवाना हुई और अक्टूबर में सीरिया पहुंची। यह विंचेस्टर के बिशप विलियम ब्रेवेरे, पीटर डेस रोचेस के नेतृत्व में एक अंग्रेजी दल था। बिशप फ्रेडरिक के कट्टर समर्थक थे और पोप द्वारा फ्रेडरिक के बहिष्कार की धमकी के बावजूद, वे साथ थे।

सीरिया में, उन्होंने एक्विनो के थॉमस और लिम्बर्ग के हेनरी की कमान के तहत जर्मनों के साथ सहयोग किया। कैसरिया, जाफ़ा और कलात अल-बह्र के द्वीप के तटीय शहरों को मजबूत करने में उन्हें अधिक समय नहीं लगा। तथ्य यह है कि फ्रेडरिक इन विजयों में भागीदार नहीं था, पोप के लिए उसे बहिष्कृत घोषित करने के लिए पर्याप्त था।

फ्रेडरिक ने ग्रेगरी को जमीनी हकीकत समझाने की कोशिश की, लेकिन पोप की उससे कुछ खास दुश्मनी थी। हालांकि, उन्हें बाकी क्रूसेडरों का समर्थन प्राप्त था, जिसके दम पर उन्होंने 28 जून 1228 ई. को ब्रिंडिसि छोड़ दिया। जब वह एकर पहुंचे, तो टेम्पलर और हॉस्पिटालर्स ने उनका साथ छोड़ दिया, जबकि इटालियंस, जर्मन, नॉर्मन्स और ट्यूटनिक शूरवीरों ने उनका स्वागत किया।

फ्रेडरिक ने अपने प्रस्ताव की स्वीकृति के बारे में अल-कामिल को एक नया पत्र भेजा। अब, अल-कामिल अपने भाइयों से लड़ने में व्यस्त था। वह दमिश्क को अपने अधीन करने का प्रयत्न कर रहा था। जब फ्रेडरिक को इसका एहसास हुआ, तो उसने प्रस्ताव के साथ नहीं जाने का फैसला किया और दमिश्क पर पूर्ण नियंत्रण पाने से पहले अल-कामिल पर हमला करने की कसम खाई। यह एक ऐसी योजना थी जिसने टेम्पलर्स और हॉस्पिटालर्स को भी प्रभावित किया।

और पढ़ें: ईसाई धर्म जैसा आज है, वैसा वो कैसे बना- तृतीय अध्याय: ‘पहला धर्मयुद्ध’

उन्होंने जाफ़ा के क्षतिग्रस्त किलेबंदी को बहाल करने में फ्रेडरिक की सहायता की। जाफ़ा में वे यरुशलम पर हमला करने की तैयारी कर रहे थे, जिससे अल-कामिल घबरा गया। वह दमिश्क के साथ-साथ यरूशलेम को भी नहीं छोड़ना चाहता था। अंततः, उनके पास फ्रेडरिक को एक सौदा पेश करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।

फ्रेडरिक को जेरूसलम, बेथलहम और नाजरत की पेशकश की गई थी। उसने इस सौदे को आसानी से स्वीकार कर लिया और जाफा की एक और संधि के माध्यम से खुद को यरूशलेम का राजा घोषित करते हुए पवित्र शहर में प्रवेश किया। अब, फ्रेडरिक जर्मन साम्राज्य का कानूनी उत्तराधिकारी, सिसिली का ताज, रोमन सम्राट और यरूशलेम का राजा भी था।

उनकी शक्तियों में वृद्धि हुई और पोप ग्रेगरी ने अपने बहिष्कार के कारण बेदखल महसूस किया। लेकिन फ्रेडरिक ने कभी भी अपने अधिकार को कमजोर नहीं किया और व्यक्तिगत प्रतिशोध के रूप में पोप की कार्रवाई को कभी नहीं लिया। 28 अगस्त, 1230 ई. को उन्होंने सैन जर्मनों की संधि के तहत पोप से राहत प्राप्त की। उन्होंने अपना शेष जीवन पापल सेना सहित अन्य ईर्ष्यालु ईसाइयों से खुद का बचाव करते हुए बिताया।

वास्तव में, फ्रेडरिक धर्मयुद्ध में भाग लेने वाला अंतिम दुर्जेय शासक निकला। उनकी तुलना अक्सर रिचर्ड, द लायनहार्ट, तीसरे धर्मयुद्ध के नायक से की जाती है। यह दूसरों को उस पर हमला करने से नहीं रोक पाया। छठे धर्मयुद्ध का नायक स्वयं सातवें धर्मयुद्ध के लक्ष्यों में से एक बन गया।

1244 ईस्वी में जेरूसलम गिर गया था और पोप इनोसेंट चतुर्थ ने सम्राट फ्रेडरिक द्वितीय, बाल्टिक विद्रोह और मंगोल घुसपैठ के खिलाफ एक और धर्मयुद्ध की घोषणा की। इस नये धर्मयुद्ध के नेता, फ्रांस के राजा लुई IX को 1250 ईस्वी में मुसलमानों द्वारा पकड़ लिया गया था।

इस कमजोर अभियान के पीछे मुख्य कारण यह था कि फ्रेडरिक लक्ष्य का हिस्सा था न कि उनके पक्ष में। हालांकि उसने यरूशलेम के राज्य को अपने बेटे कोनराड II के हाथों में दे दिया था। उस आदमी ने मिस्रियों के बीच भी प्रतिष्ठा और सम्मान का आनंद लिया। फिर भी, मिस्रवासियों ने लुई को तुरंत रिहा नहीं किया।

लुइस को मामलुक्स के साथ बातचीत करनी पड़ी, बर्बर लोग जिन्होंने अपनी रिहाई को सुरक्षित करने के लिए अय्यूबिड्स को अलग कर दिया था। अपमानजनक शर्तों पर रिहा होने के बाद, वह एकर में 4 साल तक रहे। इस बीच, एक चरवाहों का धर्मयुद्ध 1251 ईस्वी में शुरू किया गया था जिसे मुसलमानों द्वारा क्रूरता से कुचल दिया गया था। लुइस ने अगले 4 साल मुस्लिम दुनिया के शासकों के साथ राजनयिक संपर्क स्थापित करने में बिताए।

इन सबके बीच, एकर में भी गुट फिर से जुड़ गए। लुइस एकर में एक स्थायी फ्रांसीसी गैरीसन स्थापित करने के बाद ही लौटे। हालांकि, लोग हार को आसानी से नहीं भूलते हैं और इसे अभी भी क्रूसेडर्स के इतिहास में सबसे खराब में से एक माना जाता है। इस धर्मयुद्ध से एकमात्र उपलब्धि यह थी कि अय्यूबियों को मामलुकों के लिए अपना दबदबा खोने के लिए काफी हिला दिया गया था।

और पढ़ें: ईसाई धर्म जैसा आज है, वैसा वो कैसे बना- प्रथम अध्याय

भाईचारे का धीरे-धीरे पतन

1270 में, लुई IX ने फिर से क्रॉस ले लिया, लेकिन बहुत कम लड़ाई हुई क्योंकि वह खुद ट्यूनीशिया के तट पर पेचिश के कारण मर गया। अंतत: 1 नवंबर को, ट्यूनिस की एक संधि पर फ्रांस के फिलिप III, अंजु के चार्ल्स प्रथम और पश्चिम के लिए नवरे के थोबाल्ड द्वितीय और ट्यूनीशिया के लिए मुहम्मद प्रथम अल-मुस्तानसिर के बीच हस्ताक्षर किए गए। ईसाई ट्यूनिस के साथ मुक्त व्यापार के लिए सहमत हुए और बदले में भिक्षुओं और पुजारियों को शहर में निवास दिया गया।

आठवां धर्मयुद्ध आखिरी धर्मयुद्ध माना जाता है जहां कम से कम इरादे में यरूशलेम पर नियंत्रण पाने के लिए पूरे दिल से प्रयास किया गया था। इसके बाद, दो और छोटे धर्मयुद्ध हुए, अर्थात् लॉर्ड एडवर्ड का धर्मयुद्ध और मेक्लेनबर्ग के हेनरी का धर्मयुद्ध, लेकिन वे बड़े पैमाने पर विफल रहे। 1280 तक, पवित्र भूमि के लिए उत्साह मरना शुरू हो गया था और 1291 ईस्वी में मामलुकों द्वारा एकर की घेराबंदी से इसे और मजबूत किया गया था।

तीसरे धर्मयुद्ध और एकर की घेराबंदी के बीच लगभग 100 साल की अवधि ईसाई इतिहास में एक निर्णायक क्षण है। इसने अंतर्कलह देखा, इसने पूर्व-पश्चिम विद्वता को मजबूत होते देखा, इसने पापतंत्र के पतन को देखा, इसने भाइयों को अपने ही भाइयों की हत्या करते देखा। ईसाई धर्म दो गुटों में विभाजित हो गया, एक जो यीशु के प्रति उनकी भक्ति के साथ खड़ा था और दूसरे जो सत्ता के प्रति समर्पण के साथ खड़े थे। इस अवधि ने ईसाई धर्म को एक अप्रत्याशित तरीके से बदल दिया।

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।

Tags: ईसाई धर्मक्रूसेडर्सधर्मयुद्धफ्रेडरिक धर्मयुद्ध
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

नवीन निश्चल- एक सौम्य मुख वाले अभिनेता के पीछे छिपा एक ‘डरावना दैत्य’

अगली पोस्ट

Self Respect meaning in hindi : vilom paryayvachi and examples –

संबंधित पोस्ट

कस्तूरबा गांधी
इतिहास

महात्मा गांधी ने कस्तूरबा गांधी के ऊपर जो अत्याचार किए वो डरावने हैं

22 February 2023

उस महिला से बड़ा दुर्भाग्य किसका होगा, जिसके पति कहने को तो एक अद्वितीय समाज सुधारक थे- राष्ट्र के मार्गदर्शक थे- परंतु वास्तव में वो...

हरीपाल कौशिक
इतिहास

लेफ्टिनेंट कर्नल हरीपाल कौशिक की वो कहानी जो आपके रोंगटे खड़े कर देगी

18 February 2023

लेफ्टिनेंट कर्नल हरीपाल कौशिक की कहानी: भारत और पाकिस्तान के बीच में आधिकारिक रूप से चार युद्ध लड़े गए: 1948, 1965, 1971 एवं 1999। परंतु...

आल्हा-ऊदल की कहानी
प्रीमियम

वीर आल्हा-ऊदल की अनकही कहानी

8 February 2023

आल्हा-ऊदल की कहानी: भारत के इतिहास के पन्नों में अनेक वीरों के शौर्य और साहस की गाथाएं मौजूद हैं। महाराणा प्रताप, रानी लक्ष्मीबाई और छत्रपति...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

PM Modi’s Blueprint for Tamil Nadu Begins at Rajendra Chola’s Capital Gangaikonda Cholapuram

PM Modi’s Blueprint for Tamil Nadu Begins at Rajendra Chola’s Capital Gangaikonda Cholapuram

00:07:57

One Woman. Two Brothers. Jodidaran- A Living Example of Polyandry in Himachal's Hatti Tribe.

00:05:32

Lashkar-e-Taiba on the Run from Muridke: Is Bahawalpur Becoming Pakistan’s New Terror Capital?

00:07:26

Britain’s Million-Dollar Bird Finally Takes Off!

00:06:43

Maharashtra targets crypto christians. fake dalit quota scam exposed.

00:04:16
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप
MASHABLE IS A GLOBAL, MULTI-PLATFORM MEDIA AND ENTERTAINMENT COMPANY. FOR MORE QUERIES AND NEWS, CONTACT US AT info@mashablepartners.com


©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited