बीच, समुद्र से परे भी एक गोवा है जिसका समृद्ध हिंदू इतिहास है

एक ऐसा गोवा भी है जिसके बारे में देश का युवा जानता ही नहीं है। एक ऐसा गोवा जो समृद्ध सनातनी इतिहास को संजोये हुए है और जहां सनातन संस्कृति आज भी सांस ले रही है।

गोवा का हिंदू इतिहास

SOURCE TFI

गोवा का हिंदू इतिहास: गोवा का नाम सुनते ही लोगों के मस्तिष्क में समुद्र किनारे बीच पर मौज मस्ती करने वाली छवि कौंद जाती है। लेकिन क्या गोवा केवल ऐसा ही गोवा है या फिर एक ऐसा भी गोवा है जिसके बारे में देश का नागरिक विशेषकर देश का युवा जानता ही नहीं है या ये कहें कि जानना ही नहीं चाहता हैं। एक ऐसा गोवा जो समृद्ध सनातनी इतिहास को संजोये हुए है और जहां सनातन संस्कृति आज भी सांस ले रही है, वो बात और है कि बीच और पार्टी की चकाचौंध में कहीं दब गयी है। ऐसे में एक प्रश्न अवश्य उठता है कि ऐसा क्या हुआ कि गोवा में सनातन संस्कृति कही दब सी गयी और उसके स्थान पर ईसाइयत फलने-फूलने लगी। इस लेख में हम ऐसे ही प्रश्नों के उत्तर को खोजेंगे और जानेंगे गोवा का वास्तविक इतिहास और वहां की मूल संस्कृति।

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प्राचीन काल का गोवा

दरअसल, गोवा के इतिहास को समझने के लिए पहले वहां के प्राचीन इतिहास को समझना आवश्यक है क्योंकि प्राचीन काल का गोवा आज के गोवा से बिल्कुल भिन्न हुआ करता था। गोवा एक प्राचीन हिंदू शहर था, जिसका अब बहुत कम भाग ही बचा है। इसका उल्लेख पुराणों और कई शिलालेखों में गोव, गोवापुरी और गोमंत के नाम से मिलता है। एक समय था जब यहां पर सामाजिक और सांस्कृतिक बैठकों का आयोजन किया जाता था।

प्राचीन समय से ही गोवा और मंदिरों का अटूट संबंध रहा है। कई हिंदू देवी-देवताओं के मंदिर हैं। गोवा के दक्षिण भाग में ईसाई समाज का अधिक प्रभाव देखने के लिए मिलता है लेकिन गोवा का वास्तुशास्त्र हिंदू संस्कृति से प्रभावित है।  गोवा के हिंदू संस्कृति के उदाहरणों के बारे में बात की जाए तो हमें महालसा नारायण मंदिर, भगवती मंदिर जैसे कई मंदिर देखने के लिए मिलते हैं।

यदि कोई बीच और मौज मस्ती को किनारे कर गोवा की यात्रा पर निकले तो यह यात्रा तीर्थयात्रा भी हो सकती है। यहां के मंदिरों के बारे में जानकर भी इस बात को समझा जा सकता है कि सनातन धर्म की जड़ें यहां कितनी मजबूत हैं।

श्री मंगेश या मंगेशी मंदिर को देख लीजिए, जो गोवा की राजधानी पणजी से 20 किलोमीटर दूर है जो सैकडों सालों से पोंडा क्षेत्र में मोंगरी पहाडी के बीच स्थित है। मंगेश शिव का ही एक रूप हैं और यह मंदिर शिवजी के इन्हीं रूप को समर्पित है। मंगेश शिवजी देशभर के सभी मंगेश गौड सारस्वत ब्राह्मणों के लिए पूज्य हैं और उमके कुलदेवता या आराध्य हैं।

महालसा नारायण मंदिर के बारे में बात करें तो यह गोवा के सबसे सुंदर मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान विष्णु के मोहनी अवतार को समर्पित है, जिन्होंने राक्षसों से अमृत छिनने के लिए यह अवतार लिया था।

इसके अलावा तांबड़ी सरला महादेव मंदिर 12वीं शताब्दी में बनवाया गया एक महादेव मंदिर है, राजा रामचंद्र के मंत्री हेमाद्री ने इसे बनवाया था। ताम्बडी सुरला महादेव मंदिर पणजी से लगभग 65 किलोमीटर दूर है। आज भी यहां महाशिवरात्रि अत्यंत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

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कई राजाओं का शासन

मध्ययुगीन अरबी भूगोलवेत्ता इसे सिंदाबुर, या संदाबुर के नाम से जानते थे और पुर्तगालियों ने इसे वेल्हा गोवा नाम दिया था। यहां दूसरी शताब्दी ईस्वी से तीसरी शताब्दी तक सातवाहन, तीसरी से छठी सदी तक गोवा के भोज और छठवीं से आठवीं सदी तक बादामी चालुक्य  जैसे कई शक्तिशाली राजवंशों का शासन रहा था। यही नहीं चौदहवीं से पंद्रहवीं शताब्दी के बीच यहां पर विजयनगर सम्राज्य ने भी शासन किया। परन्तु जब विजयनगर सम्राज्य को बहामनी सल्तनत ने पराजित किया तो गोवा बहामनी सल्तनत के अधीन हो गया और पंद्रहवीं सदी से सोलहवीं सदी तक आदिल खान ने गोवा पर राज किया। लेकिन आदिल खान का राज अधिक न चल सका।

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अंधाधुंध धर्मांतरण

1510 ईस्वी में पुर्तगाली ‘अफोंसो डी अल्बुर्क’ ने गोवा पर आक्रमण कर इसे अपने अधीन कर लिया। पुर्तगालियों के अधीन होने के बाद गोवा में अंधाधुंध धर्मांतरण करवाया गया और वहां के हिंदू मंदिरों पर कब्जा कर उनकी मूर्तियों को बाहर निकाल दिया गया। यही नहीं गोवा में लोगों को धर्मांतरण करने के लिए बड़ी बहुत प्रताड़ित किया गया। भारत के स्वतंत्र होने के बाद सन् 1961 तक गोवा पुर्तगालियों के ही अधीन रहा इसलिए वहां पर आज हिंदू मंदिरों से अधिक ईसाईयों के चर्च और ईसाइयत ही देखने के लिए मिलती है। हालांकि आज भी गोवा की 60 प्रतिशत जनसंख्या हिंदूओं की है। इसके अलावा गोवा के ईसाईयों में आज भी हिंदु संस्कृति की छवि देखने को मिलती है। परन्तु लोगों के मन में गोवा की छवि ऐसी बना दी गई है जैसे वहां पर ईसाई धर्म के अलावा और कुछ है ही नहीं।

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बड़े-बड़े शासकों का शासन  

गोवा एक छोटा सा राज्य है उस पर सातवाहन से लेकर विजयनगर साम्राज्य तक और बहामनी सल्तन से लेकर पुर्तगालियों ने शासन क्यों किया था। इसका उत्तर है गोवा की भौगोलिक स्थिति यानी जिस स्थान पर गोवा है वहां से पूरे अरब सागर से होते हुए अफ्रीका महाद्वीप तक जुड़कर व्यापार किया जा सकता है। यही कारण था कि भारत के बड़े-बड़े साम्राज्यों ने गोवा पर शासन किया था।

यदि गोवा के इतिहास और उसके वर्तामन के बारे में संक्षेप में कहा जाए तो गोवा हमेशा से ही एक हिंदू शहर ही था। आज भले ही वहां की संस्कृति पर ईसाइयत का प्रभाव देखने के लिए मिलता है परन्तु उसका मूल आज भी हिंदू संस्कृति ही है।

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