Delhi Liquor Policy: मित्रों आपने अनेक प्रकार की चर्चाएं सुनी होगी- जैसे चाय पे चर्चा, टैक्स पर चर्चा इत्यादि। पर कभी मदिरा पे चर्चा सुनी है? नहीं, तो आप अब भी मदिरा मित्रता के सिद्धांत से अपरिचित है, जिसमें कभी परस्पर विरोधी रहे दो राजनीतिक गुट अब अच्छे मित्र बन चुके हैं, जिन्हें जोड़ने में मदिरा ही काम आई। ये और कोई नहीं- आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं भारतीय राष्ट्रीय समिति की वरिष्ठ नेता के कविता हैं।
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चार्जशीट में बड़ा खुलासा
अब आप सोच रहे होंगे यह कैसे संभव है? असल में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर चार्जशीट में एक महत्वपूर्ण खुलासे में ये सामने आया है कि कैसे दिल्ली सरकार की विवादित आबकारी नीति (Delhi Liquor Policy) से राजकीय कोष को लगभग 2900 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ और कैसे इस पूरे प्रकरण में आम आदमी पार्टी और बीआरएस (पूर्व में टीआरएस यानि तेलंगाना राष्ट्र समिति) की अच्छी खासी मिलीभगत थी।
वास्तव में न्यायालय में दाखिल किए गए आरोप पत्र की मानें तो प्रवर्तन निदेशालय ने सूचित किया है कि कैसे दक्षिण भारत के कुछ लोगों ने सत्ताधारी AAP सरकार के कुछ मंत्रियों को अनुचित लाभ हेतु 100 करोड़ रुपए की रिश्वत दी। इसीलिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति (Delhi Liquor Policy) की वजह से सरकारी खजाने को कुल 2873 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
100 करोड़ की रिश्वत
जब पूछा गया कि वे ‘कुछ लोग’ कौन हैं? तो प्रवर्तन निदेशालय ने स्पष्ट रूप से तेलंगाना के वर्तमान मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी और विधान परिषद की सदस्य (MLC) के कविता का नाम बताया, जिन्होंने स्पष्ट रूप से AAP के संचार प्रभारी विजय नायर को 100 करोड़ रुपए की रिश्वत दी। ध्यान रहे कि विजय नायर वही व्यक्ति हैं, जिन्होंने बतौर OML के पीआर मैनेजर के रूप में कभी AIB जैसे विवादित यूट्यूब चैनल का प्रबंधन भी संभाला था। इसके साथ साथ इस षड्यंत्र में व्यवसायी समीर महेंद्रू, ओंगोल (आंध्र प्रदेश) से सांसद मगुनता श्रीनिवासुलु रेड्डी (एमएसआर), उनके बेटे राघव मगुनता और सरथ रेड्डी शामिल थे।
इसी के साथ इस चार्जशीट में कुछ महत्वपूर्ण खुलासे हुए हैं, जो इस बात को सिद्ध करते हैं कि सामने सामने भले ही बीआरएस और आम आदमी पार्टी में तनातनी दिखे, परंतु पर्दे के पीछे खेल कुछ और ही चलता है। वो कैसे?
आरोप पत्र में इस बात का भी उल्लेख है कि कैसे उक्त समूह सहित महेंद्रू और नायर ने रिश्वत वसूलने के लिए बहुत चालाकी से एक ‘उत्पादक संघ’ बनाया। इस संघ में शराब बनाने वाली कंपनी पेरनोड रिकार्ड, बिनॉय बाबू, विजय नायर, अरुण पिल्लई, के कविता, मगुनता श्रीनिवासुलु रेड्डी और उनके बेटे राघव, सरथ रेड्डी, अभिषेक बोइनपल्ली और बुच्ची बाबू शामिल थे।
अब प्रश्न ये उठता है कि आम आदमी पार्टी को राशि कैसे पहुंचाई कैसे जाती थी? उत्तर बड़ा ही सरल है- जो भी कारोबार होता, वह प्रत्यक्ष रूप से न होकर व्यवसायी महेंद्रू के स्वामित्व वाली इंडो स्पिरिट्स (Indo Spirits) के थोक संचालन और खुदरा संचालन से होने वाले मुनाफे के माध्यम से दिया जाता था। रिश्वत के एवज में इस समूह के साझेदारों को महेंद्रू की इंडो स्पिरिट्स में 65 फीसदी हिस्सेदारी दे दी गई। ये लो, काले धन के विरुद्ध कभी मोर्चा संभालने वाले अब काले धन की हेरफेर के लिए ऐसा मार्ग निर्मित किये हैं।
कमाल की बात तो यह है कि एक समय आम आदमी पार्टी और बीआरएस में बिल्कुल भी नहीं बनती थी और इनके अध्यक्ष एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते थे। उदाहरण के लिए आम आदमी पार्टी KCR के विरुद्ध अनर्गल प्रलाप करती थी और KCR को “छोटा मोदी” बोलने तक से पीछे नहीं हटती थी।
ये हम नहीं कहते, स्वयं AAP के विवादित नेता और कभी सरकार में विधि मंत्री रहे सोमनाथ भारती का कहना है। इनके अनुसार, “तेलंगाना में केसीआर को छोटा मोदी के नाम से जाना जाता है। वह पीएम मोदी की तरह से लोगों से झूठे वादे करते हैं। तेलंगाना में बेरोजगारी इतनी बड़ी मुसीबत है। इस बजट में एक भी पैसा इस काम के लिए नहीं है और ना ही उन्होंने बजट में प्लानिंग की है। एससी, एसटी लोन का पैसा आज तक रिलीज नहीं किया गया। ऐसे में शुरुआती 3 वादे भी पूरे नहीं किए।”
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ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि राजनीति में न तो कोई किसी का परस्पर शत्रु होता है और न ही किसी में दोस्ती युगों युगों तक चलती है, क्योंकि यहां मदिरा ने दो “कट्टर शत्रुओं” को मित्र बना दिया है।
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