लालची और चालाक चीन का एकमात्र उद्देश्य हर जगह पर अपना कब्जा जमाना नजर आता है। चीन की विस्तारवादी नीति से तो हम आपको कई बार परिचित करा ही चुके हैं। किस तरह चीन इस नीति के तहत दूसरे देशों की जमीनों पर अपनी नजरें गड़ाए रखता है और उन्हें कब्जाने के प्रयास में जुटा रहता है। कई पड़ोसी देशों के साथ चीन का सीमा विवाद चला आ रहा है, उसमें एक देश ताइवान भी शामिल है जिस पर कब्जा करने का सपना ड्रैगन लंबे समय से संजोय बैठा हैं।
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ताइवान को ताकतवर बना रहा अमेरिका
हालांकि उसके मिशन के रास्ते में कई अड़चने भी हैं, जिसमें भारत के साथ अमेरिका का नाम भी शामिल है। इस पूरे विवाद को लेकर अमेरिका हमेशा से ही ताइवान के समर्थन में खड़ा रहा है। अमेरिका किसी भी कीमत पर चीन को उसके मंसूबों में सफल नहीं होने देना चाहता। समर्थन करने के लिए साथ ही अमेरिका अब ताइवान को और मजबूत करने की तैयारी कर रहा है। इसी क्रम में अमेरिका ने ताइवान को खतरनाक हथियार देने जा रहा है, जो उसे ड्रैगन का सामना करने के लिए मजबूती प्रदान करेंगे।
दरअसल, अमेरिका ने ताइवान की सहायता करने के लिए बड़ा कदम उठाया है, जिससे चीन को बड़ा झटका लगा है। अमेरिका ने चीन के मिशन में बड़ी बाधा उत्पन्न करते हुए ताइवान को अपना सबसे खतरनाक पैट्रियॉट एयर डिफेंस सिस्टम देने का निर्णय लिया है। बता दें कि अमेरिका की तरफ से ताइवान को 100 पैट्रियॉट एयर डिफेंस सिस्टम देने का प्रस्ताव दिया गया है। इसके साथ ही अमेरिका रडार और सपोर्ट उकरण भी देने को भी तैयार है।
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चीन के उड़ जाएंगे होश
रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिका और ताइवान के बीच यह डील 882 मिलियन डॉलर में होने की संभावना है। पैट्रियॉट एक लंबी रेंज का एयर डिफेंस सिस्टम है जो हर मौसम में ऑपरेट किया जा सकता है। यह इतना शक्तिशाली होता है कि बैलेस्टिक, क्रूज मिसाइल और किसी भी एडवांस्ड एयरक्राफ्ट तक को ढेर कर सकता है। अमेरिका के साथ साथ कई अन्य देशों की सेना भी इसका प्रयोग करती हैं। जाहिर तौर पर अगर यह हथियार ताइवान को मिल जाता है तो वो चीन का मुकाबला करने के लिए और ताकतवर हो जायेगा।
गौरतलब है कि चीन हमेशा से ही ताइवान को अपना हिस्सा बताता आ रहा है और उस पर कब्जा करने के लिए नये नये हथकंडे भी अपनाता रहता है। ड्रैगन बेशक ताइवान को अपना हिस्सा होने का दावा करता हो लेकिन वहां के लोग स्वयं को स्वतंत्र मानते हैं। अमेरिका कई बार ताइवान की रक्षा के लिए उसके साथ खड़े होने की बात कह चुका है और अब अमेरिका ने ताइवान को शक्ति देने का निर्णय लिया अवश्य ही चीन की नीदें उड़ा दी हैं।
चीन और अमेरिका के बीच ताइवान के मुद्दे को लेकर पिछले कुछ समय से तल्खी बढ़ती हुई दिख रही है। अगस्त के महीने में अमेरिकी प्रतिनिधिसभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी ने ताइवान का दौरा किया था, तब भी अमेरिका और चीन के बीच विवाद काफी बढ़ गया था। इससे ड्रैगन पूरी तरह से तिलामिला गया था और उसने अपनी बेफिजूल की ताकत दिखाने के लिए ताइवान के सीमा के पास सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया था। साथ ही ताइवान पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए थे।
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चीन का सपना होगा चूर-चूर
बता दें कि ताइवान के मामले पर भारत समेत दुनिया के कई देश चीन के विरोध में खड़े हैं। अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के डायरेक्टर डेविड कोहेन ने कहा था कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 2027 तक ताइवान पर अपना कब्जा चाहते हैं, जिसके लिए प्रयासरत भी है। ताइवान का अपने झंडा है, अपनी सरकार और अपनी सेना है। यहां लोग सीधे लोकतांत्रिक तरीके से अपने राष्ट्रपति चुनते हैं लेकिन चीन वहां अपना राज चलाना चाहता है। हालांकि उसका यह सपना दूर दूर तक पूरा होता नहीं दिखाई पड़ रहा है क्योंकि ताइवान कब्जा करने की चीन की मंशा के विरुद्ध दुनिया के कई देश खड़े हैं। इस बात से चीन बुरी तरह से बिलबिलाया हुआ है।
अब अमेरिका, ताइवान को यूं ताकतवर हथियार देकर उसे और मजबूत करने की तैयारी कर रहा है, जिससे चाहकर भी ड्रैगन उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। ऐसे में अगर आने वाले समय में ताइवान हमला करने की हिमाकत करता भी है तो उसे इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा।
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