कोरोना महामारी के दौरान जहां कई क्षेत्रों का बुरा हाल हुआ, वहीं कुछ क्षेत्रों ने तीव्र गति के साथ विकास किया। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है ‘ई-स्पोर्ट्स’। लोग लॉकडाउन में घर में थे ऐसे में ई-स्पोर्ट्स में रुचि ले रहे थे। इसके अलावा लोग इंटरनेट से पैसे कमाने का बढ़िया अवसर भी नहीं छोड़ना चाहते थे और तब लोगों के लिए यह अवसर ई-स्पोर्ट्स रहा था। हालांकि ऐसे कई ई-स्पोर्ट्स वाले गेम भी थे जिनको उस समय प्रतिबंधित कर दिया गया था।
मल्टी-स्पोर्ट इवेंट
भारत में ई-स्पोर्ट्स के माध्यम से गेम खेलने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई जिसे ध्यान में रखते हुए भारत सरकार की ओर से ई-स्पोर्ट्स को मल्टी-स्पोर्ट इवेंट के रूप में मान्यता दे दी गयी है। भारत सरकार ने बीते दिन पहली बार देश में ई स्पोर्ट्स को आधिकारिक रूप से मान्यता प्रदान की है। सरकार की ओर से इसके नियमों में बदलाव के बाद ई-स्पोटर्स को अब बहु-खेल आयोजनों में शामिल करने का निर्णय किया गया है, जो की खेल मंत्रालय के अधीन होगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के द्वारा संविधान की धारा 77 के प्रावधान तीन में मिलने वाले अधिकारों का उपयोग करते हुए ई-स्पोर्ट्स से संबंधित नियमों में बदलाव करने का निर्णय लिया गया है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि देर से ही सही भारत ई-स्पोर्टिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है।
जकार्ता एशियन गेम्स साल 2018 में ई-स्पोर्ट्स को प्रदर्शनी खेल के रूप में सम्मिलित किया गया था। उसके बाद से ही इसे बहु खेल आयोजन का हिस्सा बनाने की मांग की जा रही थी। 23 दिसंबर को राष्ट्रपति की जारी अधिसूचना के बाद से ही आई टी मंत्रालय ऑनलाइन गेमिंग संबंधी मामलों पर नोडल एजेंसी होगा और खेल मंत्रालय को अपने विषयों में इसे सम्मिलित करना होगा।
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1950 और 1960 के दशक में हुई शुरुआत
गेमिंग पहली बार 1950 और 1960 के दशक के बीच आरम्भ हुआ था, तब कंप्यूटर पर काम करने वाले वैज्ञानिकों ने सरल गेम डिजाइन करना और खेलना शुरू किया था। गेमिंग में सभी प्रकार के वीडियो गेम शामिल हैं- कैंडी क्रश और एडवेंचर गेम आदि। जो लोग गेमिंग की दुनिया से नहीं आते हैं उनके लिए गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स एक जैसा लग सकता है लेकिन ऐसा नहीं हैं। गेमिंग शब्द किसी भी वीडियो गेम को किसी भी माध्यम से खेलने के लिए उपयोग किया जा सकता है, वहीं ई-स्पोर्ट्स गेमिंग एक तरह की प्रतिस्पर्धा होती है, जिसमें एक पक्ष या व्यक्ति जीतता है और दूसरा हारता है।
ई-स्पोर्ट्स को लेकर भारत सरकार के द्वारा लिया गया निर्णय ई-स्पोर्ट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के निदेशक और एशियन ई-स्पोर्ट्स फेडरेशन (एईएसएफ) के उपाध्यक्ष लोकेश सूजी ने कहा है कि नया साल आरम्भ करने के लिए यह हमारे लिए बहुत ही अच्छी खबर है। हम लगातार ई- स्पोर्ट्स और iGaming के बीच अंतर स्थापित करने की मांग करते आए हैं और आखिरकार हमारे प्रयास सफल हुए।
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ई-स्पोर्ट्स उद्योग का राजस्व
वित्तीय वर्ष 2021 में भारत में ई-स्पोर्ट्स उद्योग का राजस्व लगभग 2.5 बिलियन भारतीय रुपये में था। स्ट्रीमिंग राजस्व उस वर्ष की राजस्व आय का एक बड़ा भाग था। पूर्वानुमानों के अनुसार साल 2025 में, 20 अलग-अलग ई-स्पोर्ट्स स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर 85 मिलियन दर्शकों की संख्या के साथ राजस्व 11 बिलियन भारतीय रुपये तक पहुंच सकता है। इसका श्रेय ई-स्पोर्ट्स को खेलने और देखने में बढ़ती हुई लोगों की रुचि के साथ-साथ ई-स्पोर्ट्स कंपनियों में होने वाले निवेश में वृद्धि को दिया जाता है। बैटलग्राउंड्स मोबाइल इंडिया और गरेना फ्री फायर 2021 के सबसे लोकप्रिय ई-स्पोर्ट्स गेम्स में शामिल है।
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति भी ई-स्पोर्ट्स खेलों को बहुत बढ़ावा दे रही है और ऐसा करते हुए अगले साल जून में पहला ओलंपिक ई-स्पोर्ट्स सप्ताह सिंगापुर में भी मनाया जाएगा। भारतीय डीओटीए टू टीम ने बर्मिंघम में अगस्त माह में हुई पहली राष्ट्रमंडल ई खेल चैम्पियनशिप में न्यूजीलैंड को हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया था। अधिकतर लोगों के लिए जहां यह केवल उनके मोबाईल तक ही सीमित था वहीं अब ई-स्पोर्ट्स के तहत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलों को खेला जा रहा है। आने वाले साल चीन में होने वाले एशियाई खेलों में ई खेलों का भी पदार्पण होगा।
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दुनिया के सबसे बड़े ई-स्पोर्ट्स टूर्नामेंट
वर्तमान समय में दुनिया के सबसे बड़े ई-स्पोर्ट्स टूर्नामेंट द इंटरनेशनल (Dota 2), फ़ोर्टनाइट वर्ल्ड कप और ऑनर ऑफ़ किंग्स वर्ल्ड चैंपियनशिप हैं। इन प्रतियोगिताओं के सबसे हाल के पुरस्कार (किस्तों में) क्रमशः $40,018,400, $20,000,000 और $7,728,000 थे। ये टूर्नामेंट सुपर इवेंट होते हैं, इनको अरबों प्रशंसक घर पर ही बैठकर देखते है और दसियों हज़ार लोग व्यक्तिगत रूप से इसमें भाग लेते हैं।
एक अनुमान के अनुसार, भारत में साल 2021 में 1,50,000 खिलाड़ी और लगभग 60,000 टीमें थीं। वहीं ई-स्पोर्ट्स खिलाड़ियों की संख्या साल 2025 तक 78% सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद की जा रही है जो 1.5 मिलियन खिलाड़ियों और 250,000 टीमों तक पहुंच सकती है।
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कई और देश कर रहे हैं प्रयास
दक्षिण कोरियाई लोगों के साथ-साथ चीनी, रूसी, जर्मन, फ्रेंच, ब्रिटिश, अमेरिकी, कनाडाई भी इससे जुड़े हुए थे। इसकी प्रतियोगिता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही थी। इन प्रतियोगिताओं के बावजूद राष्ट्रीय टूर्नामेंट, टेलीविजन और इंटरनेट प्रसारण, प्रायोजकों, पुरस्कार राशि, ई-स्पोर्ट्स को इसकी उचित पहचान पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा। रूस ने 2001 की शुरुआत में ही इसे पहचान लिया था, लेकिन सरकार को कई सारे विरोधों का सामना करना पड़ा। अमेरिका, जर्मनी, दक्षिण कोरिया और श्रीलंका जैसे अन्य देश भी प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करने के लिए अपनी ओर से प्रयास कर रहे हैं।
ध्यान देने वाली बात है कि ई-स्पोर्ट्स एक तेजी से बढ़ता वैश्विक उद्योग बनता जा रहा है, ऐसे में दूसरे देशों की तरह ही भारत को इस उद्योग को लेकर बड़े कदम उठाने चाहिए, साथ ही इस संबंध में नियमों को भी तय करना चाहिए ताकि ई-स्पोर्ट्स को लेकर संतुलन भी न बिगड़े। जब भी उद्योग की बात आती है तो भारत एक बड़े मार्केट के रूप में देखा जाता है, ऐसे में भारत को भी ई-स्पोर्ट्स के क्षेत्र में अधिक से अधिक काम करना होगा ताकि जब भी ई-स्पोर्ट्स की बात हो तो दुनिया भारत की ओर ही देखे।
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