रक्षा अधिग्रहण परिषद: इसमें कोई संदेह नहीं कि मोदी सरकार ने पिछले 8 वर्षों में कई क्षेत्रों में इतना शानदार प्रदर्शन किया है, जिसकी तुलना पिछले कई दशकों और कई सरकारों के कार्य तक से नहीं की जा सकती है। वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने से लेकर रक्षा क्षेत्र में भारतीय सेना की मजबूती प्रदान करना इसमें प्रमुख विषय रहे हैं। चीन के साथ पिछले कुछ वर्षों में जो टकराव देखने को मिला है वो भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है। वहीं पाकिस्तान तो हमेशा से ही भारत का दुश्मन रहा है। ऐसे में ये दोनों लगातार भारत के विरुद्ध कोई न कोई षड्यंत्र रचकर परेशानी खड़ी करने की कोशिश करते रहते हैं। इसके लिए भारत भी अपनी सैन्य ताकत को मजबूत कर रहा है, जिससे यदि टू फ्रंट वॉर वाली स्थिति बने भी तो भारत, चीन और पाकिस्तान दोनों का एक साथ मजबूती से सामना कर सके।
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रक्षा अधिग्रहण परिषद: 84 हजार करोड़ के रक्षा सौदों को मंजूरी
अरुणाचल प्रदेश के तवांग में हुई भारत और चीन के सैनिकों की हिंसक झड़प के भारत ने पहले तो चीनियों को धूल चटाई और अब भारत अपनी सैन्य शक्ति को मजबूत करने में जुट गया है। दरअसल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने 24 पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (AON) के लिए वित्तीय मंजूरी दी है। इसके तहत करीब 84 हजार करोड़ के नए उपकरणों की खरीद होगी, जिससे सैन्य ताकत को पहले से अधिक मजबूत किया जा सकेगा।
यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि 24 प्रस्तावों में से 84 हजार करोड़ रुपये से अधिक के 21 प्रस्तावों को स्वदेशी स्रोतों से खरीद शामिल है। रक्षा मंत्रालय ने इसको लेकर एक बयान में कहा, “यह उल्लेख करना उचित है कि 82,127 करोड़ रुपये (97.4%) के 21 प्रस्तावों को स्वदेशी स्रोतों से खरीद के लिए अनुमोदित किया गया है। रक्षा अधिग्रहण परिषद की यह अभूतपूर्व पहल न केवल सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण करेगी बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रक्षा उद्योग को भी पर्याप्त बढ़ावा देगी।
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रक्षा अधिकारियों के अनुसार जिन प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई है, उनमें माउंटेड गन सिस्टम, बख्तरबंद वाहन और रडार की खरीद भी शामिल है। इन 24 प्रस्तावों में भारतीय थल सेना के लिए 6, वायु सेना के लिए 6, नौसेना के लिए 10 और इंडियन कोस्ट गार्ड के लिए 2 प्रस्ताव शामिल हैं। रक्षा मंत्रालय के अनुसार प्रदान किए गए AoNs भारतीय सेना को फ्यूचरिस्टिक इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स, लाइट टैंक और माउंटेड गन सिस्टम जैसे प्लेटफॉर्म और उपकरणों से लैस करेंगे, जो भारतीय सेना की परिचालन तैयारियों को एक क्वांटम जंप प्रदान करेंगे। स्वीकृत प्रस्तावों में सैनिकों के लिए उन्नत सुरक्षा स्तरों के साथ बैलिस्टिक हेलमेट की खरीद भी शामिल है। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि नेवल एंटी-शिप मिसाइलों, बहुउद्देश्यीय जहाजों और हाई एंड्यूरेंस ऑटोनॉमस व्हीकल्स की खरीद के लिए मंजूरी भारतीय नौसेना की क्षमताओं को बढ़ावा देने वाली समुद्री ताकत को और बढ़ाएगी।
इसके अलावा नई रेंज के मिसाइल सिस्टम, लंबी दूरी के गाइडेड बम, पारंपरिक बमों के लिए रेंज ऑग्मेंटेशन किट और उन्नत निगरानी प्रणाली को शामिल करके भारतीय वायु सेना को और अधिक घातक क्षमताओं के साथ और मजबूत किया जाएगा। भारतीय तट रक्षक के मामले में, अगली पीढ़ी के गश्ती जहाजों की खरीद तटीय क्षेत्रों में निगरानी क्षमता को नई ऊंचाइयों तक बढ़ाएगी। सटीक शब्दों में कहा जाए तो इन 84 करोड़ रुपयों का प्रयोग भारतीय सेना को अत्याधुनिक तकनीकों से लैस करने के लिए किया जाएगा।
अब अहम यह भी है कि 97 प्रतिशत उपकरण जब भारत में ही बनेंगे तो इससे भारत को एक बड़ा आर्थिक फायदा तो होगा ही, साथ ही रक्षा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा। गौरतलब है कि वैसे तो मोदी सरकार लगातार ही रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बल देने में जुटी हुई है। भारत में तेजस लड़ाकू विमानों से लेकर ब्रह्मोस मिसाइल बनाई जा रही है जो कि दुनियाभर को आकर्षित कर रही हैं।
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भारत का रक्षा निर्यात
इसके अअलावा हाल ही भारत ने अग्नि-V मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। यह मिसाइल बीजिंग, शंघाई, ग्वांगझाउ और हांगकांग सहित पूरे चीन को निशाना बनाने में सक्षम है। चीन से बढ़ते तनाव के बीच भारत को यह बड़ी सफलता मिली है। मोदी सरकार के इन फैसलों का ही परिणाम है कि जहां एक समय में भारत का रक्षा निर्यात शून्य के समान था, वहां आज भारत कई देशों को अपने रक्षा उपकरण बेच रहा है।
भारत का रक्षा निर्यात बीते 9 वर्षों में 11 गुना से अधिक बढ़ गया है। भारत ने वित्त वर्ष 2022-23 के छह महीनों में भारत ने 8 हजार करोड़ रुपए का रक्षा निर्यात दर्ज किया है। इस वित्त वर्ष के अंत तक 15 हजार करोड़ रुपए तक रक्षा कारोबार पहुंचने की संभावना जताई गई है। वहीं पिछले वित्तीय वर्ष में भारत का रक्षा निर्यात रिकॉर्ड 13 हजार करोड़ रुपए था। मौजूदा समय में भारत 75 से अधिक देशों को रक्षा वस्तुओं का निर्यात कर रहा है। वित्त वर्ष 2025 के अंत तक 35 हजार करोड़ रुपए का वार्षिक रक्षा निर्यात हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है।
बता दें कि इस साल भारत ने बहुत महत्वपूर्ण रक्षा निर्यात सौदों पर करार किया, जिसमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल के लिए फिलीपींस के साथ 375 मिलियन डॉलर का बड़ा अनुबंध भी शामिल है। इसके अलावा उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (ALH Mark III) के आधुनिक संस्करण के लिए मॉरीशस के साथ और एक अन्य देश के साथ निजी फर्म ‘कल्याणी स्ट्रेटजिक सिस्टम’ का आर्टिलरी गन के लिए 155 मिलियन डॉलर का करार हुआ। इसके अलावा भारतीय एयरक्राफ्ट तेजस की अफ्रीकी देशों में बड़ी मांग है।
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टू फ्रंट वॉर के लिए भारत तैयार
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे अहम बात यह है कि भारत के दोनों दुश्मन चीन और पाकिस्तान यह योजना बना सकते हैं कि वे एक साथ युद्ध छेड़ दें। ऐसे में भारत के सामने टू फ्रंट वॉर वाली स्थिति आ सकती है, पाकिस्तान और चीन को यह लगता है कि इससे भारत को बड़ा झटका लगेगा, जबकि भारतीय सेना हमेशा ही यह कहती आई है कि वह एक साथ दो मोर्चों पर लड़ाई करने में पूरी तरह सक्षम हैं।
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