Poem On Basant Pancham : Best Poem in Hindi
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Poem On Basant Panchami के बारे में साथ ही इससे जुड़े ज़िंदगी एवं हृदय के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें.
सब का हृदय खिल-खिल जाए,
मस्ती में सब गाए गीत मल्हार।
नाचे गाए सब मन बहलाए,
जब बसंत अपने रंग-बिरंगे रंग दिखाएं।।
खिलकर फूल गुलाब यूँ इठलाए,
चारों ओर मंद-मंद खुशबू फैलाए।
प्रकृति भी नए-नए रूप दिखाएं,
जब बसंत अपने रंग-बिरंगे रंग दिखाएं।।
सूरज की लाली सबको भाए,
देख बसंत वृक्ष भी शाखा लहराए।
खुला नीला आसमां सबके मन को हर्षाये,
जब बसंत अपने रंग-बिरंगे रंग दिखाएं।।
नई उमंग लेकर नदियां भी बहती जाए,
चारों ओर हरियाली ही हरियाली छाए।
शीत ऋतु भी छूमंतर हो जाए,
जब बसंत अपने रंग-बिरंगे रंग दिखाएं।।
जागो बेटी देखो उठकर
कैसा उजला हुआ सवेरा
कोयल कुह-कुह बेल रही है
स्वागत करती है यह तेरा
आज बसंत पंचमी का दिन
पूजेंगे सब सरस्वती को
विद्या कि देवी है यह तो
देती है वरदान सभी को
उठो अभी मंजन कर लो तुम
फिर तुमको नेहलाऊँगी
बासनती कपड़े पहनकर
चन्दन तिलक लगाऊँगी
पूजा करके हम तीनों ही
पीले चावल खायेंगे
दादा बांटेंगे प्रसाद तो
सब ही मिलकर पायेंगे।
उसके बाद सैर करने को
हम बगिया में जायेंगे
सरसों फूली बौर आम में
देख देख सुख पायेंगे
नीलकंठ पक्षी भी हमको
दर्शन देने आयेगा।
आज बसन्त पंचमी का दिन
तभी सफल हो पायेगा।
कविता
सखि, वसंत आया
भरा हर्ष वन के मन,
नवोत्कर्ष छाया।
किसलय-वसना नव-वय-लतिका
मिली मधुर प्रिय उर-तरु-पतिका
मधुप-वृन्द बन्दी-
पिक-स्वर नभ सरसाया।
लता-मुकुल हार गन्ध-भार भर
बही पवन बन्द मन्द मन्दतर,
जागी नयनों में वन-
यौवन की माया।
अवृत सरसी-उर-सरसिज उठे;
केशर के केश कली के छुटे,
स्वर्ण-शस्य-अंचल
पृथ्वी का लहराया।
वसंत आया / सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
बसंत पर सुमित्रानंदन पंत की कविता
उस फैली हरियाली में,
कौन अकेली खेल रही मा!
वह अपनी वय-बाली में?
सजा हृदय की थाली में
क्रीड़ा, कौतूहल, कोमलता,
मोद, मधुरिमा, हास, विलास,
लीला, विस्मय, अस्फुटता, भय,
स्नेह, पुलक, सुख, सरल-हुलास!
ऊषा की मृदु-लाली में–
किसका पूजन करती पल पल
बाल-चपलता से अपनी?
मृदु-कोमलता से वह अपनी,
सहज-सरलता से अपनी?
मधुऋतु की तरु-डाली में
रूप, रंग, रज, सुरभि, मधुर-मधु,
भर कर मुकुलित अंगों में
मा! क्या तुम्हें रिझाती है वह?
खिल खिल बाल-उमंगों में,
हिल मिल हृदय-तरंगों में!
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