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राहुल गांधी के टी-शर्ट में घूमने से लहालोट क्यों हो रहे हैं वामपंथी? यहां कारण जान लीजिए

कांग्रेस का विनाश हो गया और उसके सबसे बड़े कारणों में एक रहे उसके चाटुकार. अब राहुल गांधी के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है.

Yogesh Sharma द्वारा Yogesh Sharma
27 December 2022
in मत
राहुल गांधी टी-शर्ट

Source- TFI

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क्या आपको ठंड लगती है? हम भी क्या पूछ रहे हैं अवश्य ही लगती होगी, हमें भी लगती है. लेकिन क्या आपको पता है कि गांधी परिवार के युवराज राहुल गांधी को बिल्कुल भी ठंड नही लगती? दिल्ली की कड़ाके की सर्दी में युवा राहुल गांधी टी-शर्ट (Rahul Gandhi t-shirt) पहनकर घूम रहे हैं और इसी को आधार बनाकर वामपंथी राहुल गांधी को रिलॉन्च करने में लगे हैं. इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे वामपंथी राहुल गांधी की टी-शर्ट (Rahul Gandhi t-shirt) पर लहालोट हुए जा रहे हैं.

ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेसियों और वामपंथियों ने राहुल गांधी को कभी भी गंभीर राजनेता न बनने देने की कसम खा ली है. कभी उनके गन्ना खाने की तस्वीर वायरल होती है, तो कभी राहुल गांधी की टी-शर्ट (Rahul Gandhi t-shirt) की चर्चा होती है. कभी उनके एब्स दिखाए जाते हैं तो कभी पुशअप्स मारते हुए उनकी वीडियो वायरल करा दी जाती है. मजे की बात तो यह है कि ये सब करके वामपंथी यह दिखाने का प्रयास करते हैं कि अब गांधी परिवार के युवराज पीएम मोदी को टक्कर देने लायक हो गए हैं.

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सच में? क्या राहुल गांधी के दाढ़ी बढ़ा लेने से देश के आम लोगों को कोई फर्क पड़ता है? क्या राहुल गांधी के बच्चों के साथ फुटबॉल खेलने से देश की राजनीति में कोई फर्क पड़ेगा? क्या राहुल गांधी के द्वारा भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दंड बैठक लगाने से कांग्रेस को कुछ फायदा होगा?

और पढ़ें: कांग्रेस ने स्वीकार कर लिया कि फ्लॉप हो गई भारत जोड़ो यात्रा?

वामपंथियों ने फिर से किया राहुल गांधी को लॉन्च

अच्छा ये होता कि वामपंथी गिरोह राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की सफलता पर चर्चा करता? कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा ने देश के आम लोगों पर कितना प्रभाव डाला इसका विश्लेषण किया गया होता, लेकिन नहीं, चर्चा पूरी तरह से राहुल गांधी की टी-शर्ट (Rahul Gandhi t-shirt) पर हो रही है. वामपंथी बुद्धजीवी राहुल गांधी की सफेद टी-शर्ट पर मंत्र मुग्ध हो गए हैं और बस, फिर क्या वामपंथियों ने इस बार भी वही किया जो पहले कई बार कर चुके हैं यानी एक बार फिर से राहुल गांधी को लॉन्च कर दिया.

लेकिन सवाल यह भी है कि आखिर राहुल गांधी राजनीति में कितनी बार लॉन्च होंगे? आपको याद होगा कि 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में कांग्रेस इतनी तीव्र गति से उड़ी कि स्वयं राहुल गांधी भी देश से 2 महीनों के लिए गायब हो गए. बाद में खबर मिली कि युवराज म्यांमार निकल गए हैं. म्यांमार से भारत लौटने के बाद पार्टी के कार्यकर्ता और नेता सभी ये सोचकर खुश हो गए कि विदेश से लौटे राहुल गांधी के तेवर पहले से बदल गए हैं. वामपंथी बुद्धिजीवियों ने फिर से ऐलान कर दिया कि अब राहुल गांधी बदल गए हैं, ये नए राहुल गांधी हैं लेकिन बदले हुए राहुल गांधी से भी कुछ हुआ नहीं.

2016 में एक बार फिर राहुल गांधी सक्रिय दिखे. मीडिया के सामने कार्यकर्ताओं से मुलाकात की, ख़ूब माहौल बनाया गया तो वामपंथियों ने फिर से ऐलान कर दिया कि इस बार तो राहुल गांधी बदल ही गए हैं. अब वो गंभीर राजनेता बन गए हैं लेकिन अगले ही वर्ष 2017 में दीपावली और होली पर उनके गंभीर नेता फिर गायब हो गए.

रिलॉन्चिंग का आधार ही अपरिपक्व है

राहुल गांधी की राजनीति की शुरुआत मोटा-मोटी वर्ष 2004 से मानी जा सकती है लेकिन शायद उन्हें भी इस बात का पता नहीं होगा कि वो भारतीय राजनीति में कितनी बार लॉन्च हो चुके हैं. अब भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी ने फुटबॉल खेलकर दिखाई, गन्ना खाकर दिखाया, अपने बाइसेप्स दिखाए, दाढ़ी बढ़ाकर दिखाई और कड़ाके की ठंड में भी टी-शर्ट (Rahul Gandhi t-shirt) पहनकर दिखाई तो वामपंथी एक बार फिर उन पर लहालोट हो गए. अजीम अंजुम के इस ट्वीट को देखिए. पूर्व पत्रकार और वर्तमान में यूट्यूबर अजीत अंजुम कह रहे हैं, “यार इस बंदे को ठंड क्यों नहीं लग रही है? सब कोट और जैकेट में हैं, ये बंदा हाफ़ टीशर्ट में दिख रहा है. जबकि आज दिल्ली में कड़ाके की ठंड पड़ रही है.”

यार इस बंदे को ठंड क्यों नहीं लग रही है ?
सब कोट और जैकेट में है , ये बंदा हाफ़ टीशर्ट में दिख रहा है .
जबकि आज दिल्ली में कड़ाके की ठंड पड़ रही है .#RahulGandhi #BharatJodaYatra https://t.co/jUo5eK8Vea

— Ajit Anjum (@ajitanjum) December 26, 2022

इस तरह के कई ट्वीट्स वामपंथी समूह निरंतर कर रहा है. वामपंथी पत्रकार सागरिका घोष ने तो राहुल गांधी की नई लॉन्चिंग को सेमी-रिइन्वेंशन कहा है. उन्होंने एक आर्टिकल में लिखा कि राहुल गांधी ज्यादा फोक्सड दिख रहे हैं.

Pappu no more. Rahul Gandhi’s “Pappu” tag has been buried as a result of #BharatJodoYatra. But @INCIndia’s challenge remains on how to win over voters and win elections. #BharatJodoYatraInDelhi pic.twitter.com/Q7SlXsGNvU

— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) December 24, 2022

वहीं, राजदीप सरदेसाई इससे आगे निकल गए उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, राहुल गांधी ना तो पप्पू हैं ना ही महात्मा बल्कि मैराथन मैन हैं- राहुल गांधी पुर्नखोज में निकले हैं. इसके साथ ही उन्होंने और भी तमाम बातें अपनी वीडियो में बोली हैं, जिनका अर्थ यही है कि राहुल गांधी बदल रहे हैं.

Not a Pappu Nor a Mahatma but a marathon man.. @RahulGandhi is on a journey of re-invention but a yatra isn’t a ticket to power for the Cong. 10 takeaways in 10 minutes on Bharat jodo yatra. Straight Bat Vlog: watch/share/subscribe. Feedback welcome! https://t.co/ow0zwbvMrL

— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) December 24, 2022

जब-जब वो लॉन्च होते हैं, वामपंथी मीडिया और उनके चाटुकारों की ओर से ऐसा माहौल बनाया जाता है कि बस इस बार तो पीएम मोदी को टक्कर दे ही देंगे. इस बार भी वही किया जा रहा है लेकिन हर बार की भांति इस बार भी रिलॉन्चिंग का आधार अपरिपक्व ही है. टी-शर्ट(Rahul Gandhi t-shirt) , दाढ़ी, बाइसेप्स, फुटबॉल और गन्ना से कांग्रेस चुनाव जीत जाएगी? इन सब करतबों से कुछ दिनों तक ट्वीटर पर भले ही माहौल बनाया जा सकता है लेकिन जमीन पर लोगों को प्रभावित करने के लिए ठोस नीति चाहिए होती है जोकि राहुल गांधी लोगों को देने में निष्फल साबित होते दिख रहे हैं.

और पढ़ें: गोहत्यारे, मुस्लिम चरमपंथी और देशद्रोही, ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का वास्तविक उद्देश्य क्या है?

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