आज के समय में भारत से उलझना किसी भी देश को भारी पड़ जाता है। कुछ देश ऐसे हैं जिन्हें जरा-सा मौका मिला नहीं कि वो भारत के खिलाफ जहर उगलने लग जाते हैं और अगर कश्मीर के मुद्दे पर बोलना हो तो क्या ही कहने। पाकिस्तान के अलावा भी कई देश ऐसे हैं, जो बेवजह कश्मीर का मुद्दा उठाकर भारत को उकसाते रहते हैं, जिसमें सबसे आगे तुर्की रहता है। ऐसे देशों को भारत कूटनीतिक स्तर पर तो कई बार पटखनी दे चुका हैं लेकिन फिर भी वे अपनी आदतों से बाज नहीं आते। ऐसे में इन देशों की जुबान पर लगाम लगाने के लिए समय समय पर डोज देना आवश्यक हो जाता है। ऐसे में अब भारत ने छोटे से देश के सहारे तुर्की को सबक सिखाने का तय किया है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे साइप्रस के बहाने भारत, पाकिस्तान के दोस्त तुर्की को करारा जवाब दे रहा है।
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तुर्की-साइप्रस विवाद
दरअसल, साइप्रस ही वो देश है जिनका नाम लेते ही तुर्की को मिर्ची लग जाती हैं। वैसे तो पाकिस्तान के करीबी तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन बार-बार संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मुद्दे को बिना वजह ही उठाते आए हैं, परंतु जब बात साइप्रस मुद्दे की आती है तो उन्हें सांप सूंघ जाता है। ऐसा इसलिए साइप्रस, तुर्की के कट्टर दुश्मनों में से एक है। साइप्रस के विदेश मंत्रालय के अनुसार तुर्की ने अंतरराष्ट्रीय कानून के नियमों का उल्लंघन करते हुए 1974 में साइप्रस पर आक्रमण किया था। दावा है कि आक्रमण के दौरान तुर्की ने फामागुस्ता शहर को अपने कब्जे में ले लिया था और तब से उसने साइप्रस के उत्तरी इलाकों में अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। ऐसे में भारत उसी साइप्रस के साथ अपने रिश्ते मजबूत करने में जुटा है, जिसका नाम लेते ही तुर्की घबरा जाता है। ऐसे में तुर्की की दुखती रग हाथ रखने जैसा है।
साइप्रस दौरे पर एस जयशंकर
दरअसल, अब भारत और साइप्रस ने रक्षा और सैन्य सहयोग सहित विभिन्न क्षेत्रों में कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए जोकि दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत करेगा। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस दौरान कहा कि हमारी मुलाकात तब हो रही है जब दोनों देशों के राजनयिक संबंधों को 60 साल हो चुके हैं। साथ ही इस दौरान जयशंकर ने इशारों ही इशारों में तुर्की पर भी निशाना साध दिया। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत साइप्रस मुद्दे के समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के आधार पर एक द्वि-सांप्रदायिक, द्वि-क्षेत्रीय संघ के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराता है।
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देखा जाए तो भारत कई बार पाकिस्तान और उसके सहयोगियों चेता चुका है कि कश्मीर हमारा अभिन्न अंग है और इसमें दखल देने का अधिकार किसी को भी नहीं है। लेकिन बार बार संदेश देने बावजूद ये कश्मीर और अनुच्छेद-370 जैसे विभिन्न मुद्दों पर बयानबाजी करने से बाज नहीं आते हैं। जिसे देखते हुए भारत मजबूत कूटनीति के निर्माण पर काम कर रहा है। तुर्की के जिन पड़ोसी देशों के साथ संबंध ठीक नहीं है वहां भारत अपनी पकड़ बना रहा है और इसके जरिए तुर्की को घेरने की कोशिश कर रहा है।
तुर्की को कुछ इस तरह घेर रहा है भारत
तुर्की के संबंध अजरबैजान के साथ अच्छे हैं। वहीं अजरबैजान का आर्मेनिया दुश्मन है और दोनों देशों के बीच टकराव की स्थिति बनी रहती है। दूसरी ओर भारत के आर्मेनिया के संबंध अच्छे हैं। भारत ने आर्मेनिया के साथ स्वदेश निर्मित पिनाका मिसाइल और अन्य रक्षा उपकरणों की आपूर्ति का सौदा किया है। अगला देश है ग्रीस, जिसके साथ भी तुर्की के संबंध अच्छे नहीं हैं। तुर्की कई बार ग्रीस पर हमले की धमकी भी दे चुका है। ग्रीस आरोप लगाता है कि तुर्की उसके एक द्वीप पर जबरन कब्जा करना चाहता है। वहीं भारत, ग्रीस के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने का प्रयास कर रहा है। गौरतलब है कि जून 2021 में जयशंकर ने ग्रीस की यात्रा की थी और पहली बार दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों को रणनीतिक तौर पर देखने की कोशिश हुई थी।
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ऐसे में तुर्की के पड़ोसी देशों को अपने साथ लाकर भारत उसे घेरने की रणनीति बना रहे है, जिससे वो आगे भारत के मामले में टांग अड़ाने से पहले सौ बार सोचें। तुर्की और पाकिस्तान की सांठ-गांठ से हर कोई परिचित है। दोनों देश जब भी मुंह खोलते हैं तो भारत के विरुद्ध जहर ही उगलते हैं। जहां अब भारत अपनी कूटनीतिक रणनीति से तुर्की के साथ साथ पाकिस्तान को भी सबक सिखाने का काम रहा है। जयशंकर का साइप्रस दौरा तुर्की की चूले हिलाने के काफी है।
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