Awara masiha ke lekhak : आवारा मसीहा के लेखक : कहानी संग्रह एवं शिक्षा
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Awara masiha ke lekhak में साथ ही इससे जुड़े कहानी संग्रह एवं शिक्षा के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें
आवारा मसीहा विष्णु प्रभाकर द्वारा रचित प्रसिद्ध बांग्ला लेखक शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की जीवनी है।आवारा मसीहा ‘ गौरव-ग्रंथ का प्रकाशन 1974 में हुआ था। आवारा मसीहा ‘ गौरव-ग्रंथ का प्रकाशन 1974 में हुआ था। उनका जन्म मीरानपुर में हुआ जो की उत्तरप्रदेश का एक क़स्बा है। इनके पिताजी का नाम दुर्गा प्रसाद एवं माता जी का नाम महादेवी है। इनको कई सारे अवार्ड्स से भी सम्मानित किया गया है
जीवन परिचय –
विष्णु प्रभाकर का जन्म 21 जून, सन् 1912 को मीरापुर, ज़िला मुज़फ़्फ़रनगर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। इन्हें इनके एक अन्य नाम ‘विष्णु दयाल’ से भी जाना जाता है। इनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद था, जो धार्मिक विचारधारा वाले व्यक्तित्व के धनी थे। प्रभाकर जी की माता महादेवी पढ़ी-लिखी महिला थीं प्रभाकर जी की पत्नी का नाम सुशीला था।
शिक्षा –
विष्णु प्रभाकर की आरंभिक शिक्षा मीरापुर में हुई थी। उन्होंने सन् 1929 में चंदूलाल एंग्लो-वैदिक हाई स्कूल, हिसार से मैट्रिक की परीक्षा पास की। इसके उपरांत नौकरी करते हुए पंजाब विश्वविद्यालय से ‘भूषण’, ‘प्राज्ञ’, ‘विशारद’ और ‘प्रभाकर’ आदि की हिंदी-संस्कृत परीक्षाएँ भी उत्तीर्ण कीं।
कृतियाँ –
कहानी संग्रह –
- संघर्ष के बाद
- धरती अब भी धूम रही है
- मेरा वतन
- खिलौने
- आदि और अन्त
- एक आसमान के नीचे
- अधूरी कहानी
- कौन जीता कौन हारा
बाल कथा संग्रह –
- क्षमादान
- गजनन्दन लाल के कारनामे
- घमंड का फल
- दो मित्र
- सुनो कहानी
उपन्यास –
- ढलती रात
- स्वप्नमयी
- अर्द्धनारीश्वर
- धरती अब भी घूम रही है
- पाप का घड़ा
- होरी
- कोई तो
- निशिकान्त
- तट के बंधन
जीवनी –
- आवारा मसीहा
- अमर शहीद भगत सिंह’।
कविता संग्रह – चलता चला जाऊंगा
आत्मकथा – ‘क्षमादान’ और ‘पंखहीन’ नाम से उनकी आत्मकथा 3 भागों में राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हो चुकी है। ‘और पंछी उड़ गया’, ‘मुक्त गगन में’।
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