धूर्तता का पर्याय चीन हमेशा से ही अपनी गलती नहीं मानता है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना झेलने वाले और हमेशा ही महामारी पर काबू पाने का दावा करने वाले इस देश ने अततः यह स्वीकार किया है कि कोरोना के कारण उसके यहां जान की भारी हानि हुई है। हालांकि कोरोना के कारण होने वाली क्षति को हमेशा ही चीन अस्वीकार करता रहा है लेकिन इस संबंध में उसी के एक दावे ने सत्य को सामने ला दिया है।
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चीन में कोरोना ने मचाई है भारी तबाही
(Covid-19 cases in China) चीन ने पहली बार स्वीकारा है कि उसके यहां दिसंबर के प्रारंभ से लेकर अभी तक के समय में लगभग 60,000 लोगों की जान गयी है और इतनी जानें जाने के पीछे का कारण कोविड-19 है। चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस तरह की सूचना दी है कि केवल पिछले एक महीने में ही चीन में इतनी मौतें हुई हैं। इस आंकड़े के आधार पर आंका जा सकता है कि चीन में कोरोना ने किस स्तर की तबाही बचाई हुई है।
ध्यान देने वाली बात है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन की आलोचना में कहा था कि बीजिंग महामारी से जुड़े संपूर्ण डेटा को जारी नहीं कर रहा है, जिससे कोरोना महामारी के पैटर्न को समझ पाने में दिक्कत आ रही है। सैटेलाइट तस्वीरें बताती हैं कि चीनी शवदाह गृहों के सामने गाड़ियों की लंबी कतारें थीं। इन आलोचनाओं के बाद ही चीन की ओर से कोरोना वायरस से मारे गए लोगों का आंकड़ा दिया गया।
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चीन में हुईं मौतों का आंकड़ा
चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के अंतर्गत चिकित्सा प्रशासन ब्यूरो के चीफ जिओ याहुई के द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विस्तृत जानकारी दी गयी। दी गई जानकारी के अनुसार चीन ने 8 दिसंबर 2022 और 2023 के 12 जनवरी के बीच के समय में जितनी मौतों की संख्या दर्ज की हैं वो 59,938 है, ये मौतें कोविड-19 से संबंधित हैं। आगे कहा गया कि “केवल चिकित्सा सुविधाओं के तहत हुई मौतों से जुड़े ये आंकड़े हैं, संभावना तो यह भी है कि यह संख्या और अधिक हो सकती है। इसमें कोविड-19 के तहत श्वसन विफलता के कारण जो 5,503 मौतें हुई वो शामिल हैं और जो बाकी के 54,435 लोगों की मौत का आंकड़ा है वो कोरोना के साथ ही दूसरी और बीमारियों से जुड़ी हैं।
चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने शनिवार को जानकारी दी कि जिन लोगों की मौत हुई हैं उनकी औसत आयु 80.3 वर्ष थी, इनमें 90 प्रतिशत लोग 65 वर्ष से अधिक आयु के थे और अधिकतर लोग दूसरी अन्य बिमारियों से ग्रसित थे।
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आंकड़े कुछ और ही होंगे
ध्यान देने वाली बात यहां यह है कि यह तो अस्पतालों में हुई मौंतों का आंकड़ा है लेकिन घरों में कोरोना संक्रमण के कारण हुई मौंतों के आकड़ें को यदि खंगाला जाए तो आंकड़े कुछ और ही होंगे।
ज्ञात हो कि चीनी सरकार द्वारा दिसंबर के प्रारंभ में ही कोविड प्रतिबंधों में ढील दी गयी थी। अपनी zero-Covid policy को त्यागने के बाद से ही इस पड़ोसी देश पर आरोप लगने लगे थे कि यह देश कोरोना वायरस से होने वाली मौतों के सही आंकड़े को कम करके बता रहा है। चीन सरकार ने एकाएक ही महामारी रोधी कदमों को हटा दिया और दिसंबर के प्रारंभिक समय में कोरोना वायरस से जुड़े मामलों और इससे होने वाली जान हानि के आंकड़े देना बंद किया था जिसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उससे इस संबंध में और अधिक जानकारी देने के लिए कहा।
बड़े-बड़े दावे करने और डींगे हांकने वाले चीन की पोल तब और खुल जाती है जब वहां के अधिकारी इस बात की जानकारी देते हैं कि वहां ऐसे लाखों लोग हैं जो 60 वर्ष से अधिक आयु के हैं और जिनका टीकाकरण अब तक नहीं कराया गया है।
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