“सच पेड़ के बीज की तरह होता है, जितना भी चाहे दफना लो, एक न एक दिन बाहर आ ही जाता है”
दृश्यम 2 का यह बहुचर्चित संवाद अब यथार्थ में परिवर्तित होता प्रतीत हो रहा है। जिस प्रकार से बॉलीवुड अपने अस्तित्व को बचाने के लिए लड़ रहा है, वह किसी से नहीं छुपा है। अब ये चर्चा नहीं होती कि कौन सी बॉलीवुड फिल्म सफलता के कितने पैमाने स्थापित करेगी, अपितु चर्चा तो इसकी की जाती है कि कैसे जनता के आक्रोश और पैन इंडिया उद्योग के बढ़ते प्रभाव के बीच बॉलीवुड के अस्तित्व को यथावत रखा जाए, और कहीं न कहीं इस बात से सुनील शेट्टी भी सहमत होंगे।
इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे सुनील शेट्टी भी बॉलीवुड के पतन के पीछे के दोषियों को पहचान चुके हैं और कैसे वह चाहते हैं कि कुछ लोगों के कुकर्मों के कारण समूल बॉलीवुड का नाश न हो?
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सीएम योगी ने फिल्मी हस्तियों से की मुलाकात
हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुंबई आए और इस दौरान उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों की लोकप्रिय हस्तियों से मुलाकात की। इसमें बॉलीवुड के कई चर्चित कलाकार जैसे निर्माता बोनी कपूर, निर्देशक सुभाष घई, जैकी श्रॉफ, सुनील शेट्टी, दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’, रवि किशन भी सम्मिलित रहे। इस दौरान जहां सीएम योगी ने बॉलीवुड के फिल्म अभिनेताओं व निर्माताओं से यूपी में फिल्में बनाने और उत्तर प्रदेश फिल्म सिटी में निवेश करने के लिए निमंत्रित किया। सीएम योगी ने कहा कि फिल्म निर्माता और कलाकार यूपी फिल्म सिटी में निवेश करें और रुचि लें।
सुनील शेट्टी ने क्या कुछ कहा?
वहीं इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने अभिनेता सुनील शेट्टी ने बॉयकॉट बॉलीवुड अभियान पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए उनसे इसे रोकने का अनुरोध किया। सुनील शेट्टी के कहा कि अभी लोगों के मस्तिष्क में ये है कि हिंदी सिनेमा अच्छा नहीं है। हमने अच्छी-अच्छी फ़िल्में भी की हैं। मैंने ‘बॉर्डर’ की है और भी बहुत अच्छी फ़िल्में की हैं।” उन्होंने कहा कि ‘बायकॉट बॉलीवुड’ अभियान को रोकने की आवश्यकता है और इसे सब मिलकर कैसे रोक सकते हैं? इस पर मंथन करना होगा।
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यहां सुनील शेट्टी ने Rotten Apple का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि टोकरी में एक सड़ा हुआ सेब हो सकता है परंतु इसका अर्थ यह नहीं कि सभी खराब हैं। सुनील शेट्टी ने कहा, “मुझे ये बोलते हुए दुख होता है कि हमारे ऊपर कलंक है क्योंकि हम में से 99 प्रतिशत लोग ऐसे नहीं है। हम दिन भर ड्रग्स नहीं लेते, हम दिनभर गलत काम नहीं करते। अच्छे काम से भी हमेशा जुड़े हैं। भारत को अगर बाहर के देशों से और भारतीयता से किसी ने जोड़ा है तो वो है हमारा संगीत, हमारी कहानियां।”
लिबरल लॉबी को निशाने पर लिया
यहां उनके बयान का अर्थ यह था कि बॉलीवुड में कुछ खराब लोग अवश्य हो सकते हैं, जो फिल्म उद्योग को बदनाम करते हैं, परंतु इसके लिए पूरे बॉलीवुड को जिम्मेदार ठहराना और सबका बहिष्कार करना सही नहीं है। सुनील शेट्टी के बयान से तो ऐसा ही प्रतीत होता है कि वो बॉलीवुड की लिबरल लॉबी की बात कर रहे हैं, जो हर मुद्दे में अपनी टांग उड़ाते है और अपने हरकतों के कारण बॉलीवुड को बदनाम करने का काम करते रहते हैं।
इसमें सबसे आगे तो तथाकथित अभिनेत्री स्वरा भास्कर रहती हैं, जो अपने काम के लिए कम और विवादों के कारण अधिक सुर्खियों में रहती हैं। हर मुद्दे में घुसना और बेफिजूल की बयानबाजी करना स्वरा भास्कर की आदत बन चुकी है। स्वरा वामपंथी एक्टविस्ट बनकर हर मुद्दे पर ऊल-जुलूल बयानबाजी करती अक्सर ही नजर आ जाती हैं। इसके अलावा ऋचा चड्ढा तो भारतीय सेना का अपमान और उन पर बेहूदा टिप्पणी करने से भी जरा नहीं झिझकती, वो भी बॉलीवुड की बदनामी के पीछे का एक कारण मानी जा सकती हैं। वहीं दीपिका पादुकोण जो कहने को तो बॉलीवुड की एक बड़ी अभिनेत्री है, फिर भी JNU जाकर टुकड़े-टुकड़े गैंग का समर्थन करने से बाज नहीं आतीं।
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शायद सुनील शेट्टी इन्हीं Rotten Apple का जिक्र कर रहे थे, जो अपनी हरकतों के कारण बॉलीवुड की छवि धूमिल करते हैं। खैर, सुनील शेट्टी तो महज शुरुआत है। आज बॉलीवुड की स्थिति ऐसी है कि वो उद्योग के लिए अपने अस्तित्व को बचाना महत्वपूर्ण होता जा रहा है। ऐसे में यदि आगे आने वाले समय में सुनील शेट्टी की तरह अन्य अभिनेता सामने आकर लिबरल लॉबी के विरुद्ध खुलकर मोर्चा खोलें और उन्हें अलग थलग कर दें, तो यह आश्चर्य की बात नहीं होगी, क्योंकि इस वक्त बॉलीवुड को किसी भी मूल्य पर स्वयं को इस बहिष्कार अभियान से बाहर निकालना है।
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