Swiggy loss: यह हमारे लिए बेहद ही कठिन निर्णय था, परंतु हमें ऐसा करना पड़ा, मुझे माफ करिएगा..स्विगी के सीईओ श्रीहर्ष मजेटी ने ऐसा कह एक ही झटके में अपने 380 कर्मचारियों की नौकरी छिन ली। वर्तमान समय में हर बड़ी से बड़ी कंपनी में छंटनी का दौर चल रहा है। क्या गूगल, क्या अमेजन, क्या फेसबुक किसी भी कंपनी में लोगों की नौकरी सुरक्षित नहीं है। बस एक ईमेल और सैकड़ों की संख्या में लोगों को कंपनियों से बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। ऑनलाइन फूड डिलीवरी में स्विगी एक बड़ा खिलाड़ी है, परंतु समय की मार उसे ऐसी पड़ रही है कि उसके लिए स्वयं को बचाना कठिन हो रहा है जिसके चलते उसे अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकलना पड़ रहा है।
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380 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला
फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी में 380 कर्मचारियों की छंटनी होने के बाद इस क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों के भविष्य को लेकर चर्चाएं होने लगी हैं। खासकर स्विगी के भविष्य को लेकर अधिकतर लोग आशंकाएं जताते हुए कह रहे हैं उसका अंत अब निकट है। व्यापारिक दृष्टि से देखा जाए तो यह एक चिंताजनक विषय है जो कंपनी वित्त वर्ष 2021 के मुकाबले 2022 में 2.2 गुना बढ़ोत्तरी के साथ 5,705 करोड़ रुपये रेवेन्यू लाने के बावजूद घाटे (Swiggy loss) में जा रही है इसके पीछे का क्या कारण हो सकता है? इसीलिए आज हम इस विषय पर विस्तार से चर्चा करते हुए जानेंगे कि आखिरकार स्विगी को चलाने वाले लोगों ने ऐसा कौन-से गलत निर्णय ले लिए जिसके चलते कंपनी बुरे दौर से गुजर रही है?
स्विगी आठ वर्ष पुरानी कंपनी है। इससे पहले फूड डिलीवरी के क्षेत्र में प्रमुख कंपनी जोमैटो ही थी। तीन दोस्तों ने 6 डिलीवरी बॉय, 25 रेस्टारेंट और Swiggy app के जरिए अपने Startup की शुरुआत की थी। आज पूरे भारत में स्विगी लोगों के घर तक उनका मन पसंदीदा खाना पहुंचाने का कार्य करता है। स्विगी के आने से बाद फूड पांडा, टिनी आउल जैसी कंपनियां मार्केट से लगभग बाहर हो गईं और जोमैटो को भी कड़ी टक्कर मिलने लगी। मार्केट शेयर की बात करें तो जोमैटो के पास 55% है तो वहीं दूसरी ओर स्विगी के पास 40% के आसपास है।
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हर दिन 10 करोड़ का हो रहा घाटा
लेकिन इसके बाद भी ये कंपनियां घाटे में चल रही हैं। कंपनियों का घाटा कई प्रकार के प्रश्नों को जन्म दे रहा है। जैसे- क्या लोगों ने खाना ऑडर करना बंद कर दिया? क्या कंपनी की कमाई नहीं हो रही है? या फिर फूड डिलीवरी कंपनियों की आपसी प्रतिस्पर्धा ही उन्हें बर्बाद कर रही है?
स्विगी के घाटे में जाने के कारणों को जानने से पहले कुछ आंकड़ों पर गौर करना आवश्यक है। जैसे कि वित्त वर्ष 2021 में स्विगी का रेवेन्यू 2,547 करोड़ रुपये रहा तो वहीं दूसरी ओर 2022 में यह 2.2 गुना बढ़कर 5,705 करोड़ रुपये पहुंच गया। लेकिन 2022 में रेवेन्यू बढ़ने के साथ-साथ कंपनी का कुल खर्चा भी 131 फीसदी बढ़कर 9,574.5 करोड़ रुपये हो गया। इस हिसाब से कंपनी जहां वर्ष 2021 में 1,617 करोड़ रुपये के घाटे में थी तो वहीं साल 2022 में ये घाटा (Swiggy loss) बढ़कर 3,629 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। यानी स्विगी को रोजाना करीब 10 करोड़ का घाटा (Swiggy loss) हो रहा है। लेकिन अधितर लोगों का पेंच यही पर आकर फंस जाता है कि कंपनी का रेवेन्यू तो बढ़ा लेकिन फिर घाटे में क्यों जा रही है। इसका जवाब है कि कंपनी द्वारा भारी डिस्कांउट देना और विज्ञापनों पर पानी की तरह पैसा बहाना।
विज्ञापन पर स्विगी का खर्च
असल में फूड डिलीवरी के क्षेत्र में जोमेटो और स्विगी आज की सबसे दो बड़ी कंपनियां हैं जोकि देशभर में ऑपरेट कर रही हैं। स्विगी के घाटे में जाने के स्पष्ट रूप से दो प्रमुख कारण देखने के लिए मिलते हैं जिसमें पहला है बाजार बनाने के लिए ग्राहकों को हद से अधिक डिस्कांउट देना और दूसरा है कंपनी को बड़ा दिखाने के लिए कमाई (Swiggy loss) से अधिक विज्ञापन पर खर्चा करना।
जोमैटो और स्विगी इन दोनों कंपनियों के बीच मार्केट को लेकर बहुत कड़ी प्रतिस्पर्धा है। फिर चाहे वह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मस पर विज्ञापन देने के मामले में हो या फिर ग्राहकों को कूपन और डिस्कांउट देने के मामले में, दोनों कंपनिया एक-दूसरे को कड़ी टक्कर दे रही हैं। उदाहरण के लिए स्विगी ने वित्त वर्ष 2022 में 1,848.7 करोड़ का विज्ञापन दिया है जोकि पिछली साल के मुकाबले चार गुना अधिक है। यानी कंपनी ने अपने विज्ञापन पर अंधाधुंध पैसा खर्च किया, जो शायद उसे बहुत भारी पड़ गया। परंतु ऐसा कर स्विगी अपने पैरों पर ही कुल्हाड़ी मारने का काम कर रही है। ऐसा ही चलता रहा तो कब उसके लिए स्वयं को बचाना मुश्किल हो जायेगा और कंपनी का गेम ओवर हो जाएगा।
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