Guru Nanak Dev ji Best Quotes : गुरु नानक देव जी कोट्स
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Guru Nanak Dev ji Quotes साथ ही इससे जुड़े सर्वोत्तम के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें
- ईश्वर की प्राप्ति गुरू द्वारा संभव है।
- अच्छी बुद्धि से चित्त अच्छा हो जाता है।
- ईश्वर की चमक से सब कुछ प्रकाशमान है।
- दुनिया एक नाटक है, जो एक सपने मे मंचित है।
- ईश्वर सभी जगह और हर प्राणी मात्र में मौजूद है।
- अपने जीवन में कभी ये न सोचें कि यह नामुमकिन है।
- कर्म भूमि पर फल के लिए श्रम सबको करना पड़ता है।
- भगवान के दरबार में सभी कर्मों का लेखा-जोखा होता है।
- बुरा कार्य करने के बारे में न सोचें और न किसी को सताएं।
- संसार को जीतने से पहले स्वयं अपने विकारों पर विजय पाना अति आवश्यक है।
- कोई ईश्वर को तर्क द्वारा नहीं समझ सकता। भले ही वो युगों तक तर्क करता रहे।
- स्त्री-जाति का आदर करना चाहिए। वह सभी स्त्री और पुरुष को बराबर मानते थे।
- ना मैं एक बच्चा हूँ ना एक नवयुवक, ना ही मैं पौराणिक हूँ, ना ही किसी जाति का हूँ।
- ये पूरी दुनिया कठिनाइयों में है। वह जिसे खुद पर भरोसा है वही विजेता कहलाता है।
- मेहनत और ईमानदारी से काम करके उसमें से जरूरतमन्द को भी कुछ देना चाहिए।
- लोगों को प्रेम, एकता, समानता, भाईचारा और आध्यात्मिक ज्योति का संदेश देना चाहिए।
- शांति से अपने ही घर में खुद का विचार करें तब आपको मृत्यु का दूत छू भी नहीं पायेगा।
- धन को जेब तक ही सीमित रखना चाहिए। उसे अपने हृदय में स्थान नहीं बनाने देना चाहिए।
- तनाव मुक्त रहकर अपने कर्म को निरंतर करते रहना चाहिए तथा सदैव प्रसन्न भी रहना चाहिए।
- अंहकारी इंसान एक अंधे के समान है जिसे न तो अपनी गलती दिखाई देती है न दूसरों की अच्छाई।
- कभी किसी का हक नहीं छीनना चाहिए। जो व्यक्ति ऐसा करता है उसे कहीं भी सम्मान नहीं मिलता।
- प्रभु के लिए खुशियों के गीत गाओ, प्रभु के नाम की सेवा करो और उसके सेवकों के सेवक बन जाओ।
- ईश्वर सर्वत्र विद्धमान है। हम सबका पिता है। इसलिए हम सबको मिल-जुलकर प्रेम पूर्वक रहना चाहिए।
- भगवान एक है लेकिन उसके कई रूप है। वो सभी का निर्माणकर्ता है और वो खुद मनुष्य का रूप लेता है।
- अहंकार मानवता का अंत करता है। अंहकार कभी नहीं करना चाहिए बल्कि हृदय में सेवा का भाव रखना चाहिए।
- दुनिया में किसी भी व्यक्ति को भ्रम में नही रखना चाहिए। बिना गुरू के कोई भी दूसरे किनारे तक नहीं जा सकता है।
- किसी भी तरह के लोभ को त्याग कर अपने हाथों से मेहनत कर एवं न्यायोचित तरीकों से धन का अर्जन करना चाहिए।
- धन–धान्य से परिपूर्ण राज्यों के राजाओं की तुलना उस एक चींटी से नही की जा सकती जिसका हृदय ईश्वर भक्ति से भरा हुआ है।
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