TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    ‘वोट चोरी बोलते राहुल, एमएलए चोरी में पकड़े गए!’

    वोट चोरी बोलते राहुल, एमएलए चोरी में पकड़े गए!

    मणिपुर: घाव पर मरहम रखने लौटा भरोसे का कारवां

    मणिपुर: घाव पर मरहम रखने लौटा भरोसे का कारवां

    तख़्तापलट से अंतरिम सत्ता तक: नेपाल में सुशीला कार्की का उदय और भारत की प्रतिक्रिया

    तख़्तापलट से अंतरिम सत्ता तक: नेपाल में सुशीला कार्की का उदय और भारत की प्रतिक्रिया

    ‘जंगलराज’ की दास्तान और कृष्णैया हत्याकांड: बिहार का स्याह सच

    ‘जंगलराज’ की दास्तान और कृष्णैया हत्याकांड: बिहार का स्याह सच

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    हिमाचल में वेतन कटौती का संकट: सरकार की नीतियां और जनता की तकलीफ़

    हिमाचल में वेतन कटौती का संकट: सरकार की नीतियां और जनता की तकलीफ़

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    क्या फिर तिलमिलाएगा चीन? LAC के पास भारत का बड़ा दांव और पाकिस्तान की बढ़ी बेचैनी

    क्या फिर तिलमिलाएगा चीन? LAC के पास भारत का बड़ा दांव और पाकिस्तान की बढ़ी बेचैनी

    बैटल ऑफ सारागढ़ी

    बैटल ऑफ सारागढ़ी: दुनिया का सबसे बेहतरीन लास्ट स्टैंड- जिसमें 22 जवान शहीद हुए थे, लेकिन पहचान सिर्फ 21 सिख जवानों को ही क्यों मिली ?

    गुरुग्राम से हिंद महासागर तक: आईएनएस अरावली की दास्तान

    गुरुग्राम से हिंद महासागर तक: आईएनएस अरावली की दास्तान

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    गुरुग्राम से हिंद महासागर तक: आईएनएस अरावली की दास्तान

    गुरुग्राम से हिंद महासागर तक: आईएनएस अरावली की दास्तान

    नेपाल और विदेशी साज़िश: भारत विरोधी नैरेटिव का सच

    नेपाल और विदेशी साज़िश: भारत विरोधी नैरेटिव का सच

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    बैटल ऑफ सारागढ़ी

    बैटल ऑफ सारागढ़ी: दुनिया का सबसे बेहतरीन लास्ट स्टैंड- जिसमें 22 जवान शहीद हुए थे, लेकिन पहचान सिर्फ 21 सिख जवानों को ही क्यों मिली ?

    ‘इतिहास’ का अनुवाद ‘हिस्ट्री’ नहीं होता

    ‘इतिहास’ का अनुवाद ‘हिस्ट्री’ नहीं होता

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    ‘वोट चोरी बोलते राहुल, एमएलए चोरी में पकड़े गए!’

    वोट चोरी बोलते राहुल, एमएलए चोरी में पकड़े गए!

    मणिपुर: घाव पर मरहम रखने लौटा भरोसे का कारवां

    मणिपुर: घाव पर मरहम रखने लौटा भरोसे का कारवां

    तख़्तापलट से अंतरिम सत्ता तक: नेपाल में सुशीला कार्की का उदय और भारत की प्रतिक्रिया

    तख़्तापलट से अंतरिम सत्ता तक: नेपाल में सुशीला कार्की का उदय और भारत की प्रतिक्रिया

    ‘जंगलराज’ की दास्तान और कृष्णैया हत्याकांड: बिहार का स्याह सच

    ‘जंगलराज’ की दास्तान और कृष्णैया हत्याकांड: बिहार का स्याह सच

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    हिमाचल में वेतन कटौती का संकट: सरकार की नीतियां और जनता की तकलीफ़

    हिमाचल में वेतन कटौती का संकट: सरकार की नीतियां और जनता की तकलीफ़

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    क्या फिर तिलमिलाएगा चीन? LAC के पास भारत का बड़ा दांव और पाकिस्तान की बढ़ी बेचैनी

    क्या फिर तिलमिलाएगा चीन? LAC के पास भारत का बड़ा दांव और पाकिस्तान की बढ़ी बेचैनी

    बैटल ऑफ सारागढ़ी

    बैटल ऑफ सारागढ़ी: दुनिया का सबसे बेहतरीन लास्ट स्टैंड- जिसमें 22 जवान शहीद हुए थे, लेकिन पहचान सिर्फ 21 सिख जवानों को ही क्यों मिली ?

    गुरुग्राम से हिंद महासागर तक: आईएनएस अरावली की दास्तान

    गुरुग्राम से हिंद महासागर तक: आईएनएस अरावली की दास्तान

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    गुरुग्राम से हिंद महासागर तक: आईएनएस अरावली की दास्तान

    गुरुग्राम से हिंद महासागर तक: आईएनएस अरावली की दास्तान

    नेपाल और विदेशी साज़िश: भारत विरोधी नैरेटिव का सच

    नेपाल और विदेशी साज़िश: भारत विरोधी नैरेटिव का सच

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    बैटल ऑफ सारागढ़ी

    बैटल ऑफ सारागढ़ी: दुनिया का सबसे बेहतरीन लास्ट स्टैंड- जिसमें 22 जवान शहीद हुए थे, लेकिन पहचान सिर्फ 21 सिख जवानों को ही क्यों मिली ?

    ‘इतिहास’ का अनुवाद ‘हिस्ट्री’ नहीं होता

    ‘इतिहास’ का अनुवाद ‘हिस्ट्री’ नहीं होता

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

जैसे गुरु द्रोण ने अर्जुन को तराशा, वैसे ही जगदीश चंद्र बसु ने सत्येंद्र नाथ बसु को बनाया, कहानी भौतिकी के ‘अर्जुन’ की

जगदीश चंद्र बसु की छत्रछाया में एक ऐसे उत्कृष्ट भौतिक वैज्ञानिक हुए जिन्होंने आधुनिक भौतिकी का मानचित्र बदल दिया।

Animesh Pandey द्वारा Animesh Pandey
23 January 2023
in इतिहास, ज्ञान
सत्येन्द्र नाथ बसु

SOURCE TFI

Share on FacebookShare on X

जब भी गुरु-शिष्य की उत्कृष्ट जोड़ी की बात आती है दो नाम मस्तिष्क में तुरंत उभर आते हैं। ये नाम हैं गुरु द्रोण और उनके शिष्य धनुर्धारी अर्जुन। परंतु क्या आपको ज्ञात है कि आधुनिक युग में भी गुरु द्रोण और अर्जुन की एक ऐसी ही जोड़ी हुई जिसने भौतिकी के क्षेत्र में अद्वितीय उपलब्धियां प्राप्त की थीं? इस लेख में जानेंगे कि कैसे जगदीश चंद्र बसु जैसे गुरु की देखरेख में सत्येन्द्र नाथ बसु जैसे उत्कृष्ट भौतिक वैज्ञानिक निकले, जिन्होंने आधुनिक भौतिकी का मानचित्र बदलकर रख दिया।

और पढ़ें- जगदीश चंद्र बसु: जिन्हें उनकी प्रतिभा के लिए कभी सम्मान नहीं मिला

संबंधितपोस्ट

आइंस्टीन को गलत साबित कर रहे हैं दुनिया में शीर्ष पदों पर बैठे भारतीय

और लोड करें

भौतिक वैज्ञानिक सत्येन्द्र नाथ बसु

भारतीयों को हीन करने की दिशा में एक सुनियोजित परियोजना की भांति हमें पढ़ाया गया कि भारतीयों को स्वतंत्रता के पूर्व तक विज्ञान एवं तर्क से कोई लेना देना नहीं था। लेकिन क्या यहीं सत्य है? क्योंकि ऐसा होता तो जब सत्येन्द्र नाथ बसु के शोध से भौतिकविद एल्बर्ट आइंस्टीन कैसे अभिभूत हो पाते। तत्कालीन कलकत्ता में 1 जनवरी 1894 को जन्मे सत्येन्द्र नाथ बसु प्रारंभ से तीव्र बुद्धि के थे। उनकी आरंभिक शिक्षा उनके घर के पास ही स्थित साधारण स्कूल में हुई थी। इसके बाद उन्हें न्यू इंडियन स्कूल और फिर हिंदू स्कूल में भर्ती कराया गया। स्कूली शिक्षा पूरी करके सत्येन्द्र नाथ बसु ने कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में प्रवेश किया और यहीं से भौतिक विज्ञान में इनका उदय प्रारंभ हुआ।

वह कैसे? इसी कॉलेज में उनका हुआ परिचय प्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं शिक्षक जगदीश चंद्र बसु से जिनकी छत्रछाया में अपनी पढ़ाई आगे बढ़ाई। परंतु वे अकेले नहीं थे, सत्येन्द्र नाथ बसु के शिक्षकों में वह प्रफुल्ल चंद्र राय [रे] भी सम्मिलित थे, जिन्होंने रसायन विज्ञान में कई महत्वपूर्ण शोध किए और जिन्हें कई क्रांतिकारी अपने प्रेरणास्त्रोत मानते थे।  प्रेसिडेंसी कॉलेज में सर्वाधिक अंक पाते हुए सत्येन्द्र नाथ बसु ने कॉलेज में सर्वोच्च अंकों के साथ प्रथम स्थान प्राप्त किया।

और पढ़ें- वनस्पति विज्ञान क्या है? इसकी शाखाएं, करियर एवं महत्त्व

सत्येंद्र नाथ बसु के “गुरु द्रोण” बने?

तो जगदीश चंद्र बसु कैसे सत्येंद्र नाथ बसु के “गुरु द्रोण” बने? इसके पीछे एक स्पष्ट कारण था – उनके साथ हुआ अन्याय। 1893 में प्रसिद्ध वैज्ञानिक निकोला टेस्ला ने पहले सार्वजनिक रेडियो संचार का प्रदर्शन किया था और ठीक एक वर्ष बाद जगदीश चंद्र बसु ने एक मिलीमीटर रेंज माइक्रोवेव तरंग का उपयोग बारूद दूरी पर प्रज्वलित करने और घंटी बजाने में किया। इस माध्यम से उन्होंने वायरलेस तकनीक की नींव रखी। परंतु उनसे एक भूल हुई – इस तकनीक का उन्होंने पेटेंट नहीं कराया। परिणामस्वरूप 1894 तक गुल्येल्मो मार्कोनी (Guglielmo Marconi) ने संसार का प्रथम कामचलाऊ रेडियो तैयार किया, और रेडियो का सारा श्रेय इन्हीं को जाता है।

ठीक ऐसा ही कई वर्ष बाद सत्येंद्र नाथ बसु के साथ भी हुआ। जब बहुचर्चित वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने “Theory of Relativity” के विश्वप्रसिद्ध सिद्धांत को प्रतिपादित किया, तो इनकी उपलब्धियों से सत्येन्द्र नाथ बसु भी अनभिज्ञ नहीं थे। सत्येन्द्र नाथ बसु इन सभी खोजों का अध्ययन कर रहे थे। उन्होंने एक लेख लिखा- “प्लांक्स लॉ एण्ड लाइट क्वांटम”, परंतु इसे भारत में किसी पत्रिका ने नहीं छापा।

इसीलिए अपने गुरु के अनुभव से सीख लेते हुए सत्येन्द्र नाथ ने अपना शोधपत्र सीधे आइंस्टीन को भेज दिया जो इन खोजों से इतना प्रभावित हुए, कि उन्होंने इसका अनुवाद जर्मन में स्वयं किया और प्रकाशित भी कराया, जिससे इससे सत्येन्द्र नाथ को बहुत प्रसिद्धि मिली। कहते हैं कि उन्होंने सत्येन्द्र को यूरोप भी आमंत्रित किया, जहां उन्होंने आइंस्टीन से मुलाकात भी की थी, और यहीं से विश्वप्रसिद्ध बसु-आइंस्टीन स्टैटिस्टिक्स की उत्पत्ति हुई। भौतिकी के क्षेत्र में जो गुरु न कर पाए, वो शिष्य ने कर दिखाया।

और पढ़ें- भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से मिलने वाली शिक्षाएं: चैप्टर 2- श्रीकृष्ण का लोकाचार व्यवहार

शोधपत्र को आइंस्टीन के पास भेजा

परंतु सत्येन्द्र नाथ बसु के कारनामे यहीं पर नहीं रुके। जब वे “Bose Einstein Condensate” की नींव रख रहे थे तो उन्होंने अपना एक और शोधपत्र ‘फिजिक्स जर्नल’ में प्रकाशित करने के लिए भेजा। इस पत्र में फोटोन जैसे कणों में ‘मैक्सवेल-बोल्ट्ज्मैन नियम’ लागू करने पर त्रुटि होने की ओर संकेत किया गया था। बसु ने एक बार फिर इस शोधपत्र को आइंस्टीन के पास भेजा।

आइंस्टीन ने इस पर कुछ और शोध करते हुए संयुक्त रूप से ‘जीट फर फिजिक’ शोध पत्रिका में प्रकाशित कराया। इस शोधपत्र ने क्वांटम भौतिकी में ‘बसु-आइंस्टीन सांख्यकी’ नामक एक नई शाखा की बुनियाद रखी। इसके द्वारा सभी प्रकार के बोसोन कणों के गुणधर्मों का पता लगाया जा सकता है। बसु- आइंस्टीन सांख्यिकी का पालन करने वाले कणों को पॉल डिराक द्वारा उनका नाम बोसोन दिया गया था।

और पढ़ें- भीमराव अम्बेडकर इन हिंदी :शिक्षा एवं विचार

तो बोसोन के कणों को उनका नाम कैसे मिला?

वर्ष 1960 में जब कण भौतिकी का मानक नमूना विकसित किया जा रहा था तो एक समस्या खड़ी हो गई। सिद्धांत के मुताबिक सभी कणों में द्रव्यमान नहीं होना था। लेकिन उस स्थिति में वे प्रकाश की गति से चलते थे और किसी ठोस पदार्थ का गठन नहीं होता था। इसलिए एक नये तरह के कण की आवश्यकता थी जो सभी कणों को द्रव्यमान देता हो और जिससे ब्रह्मांड का गठन होता। वह नया कण बोसोन था। इसका नाम एडिनबर्ग के पीटर हिग्स के नाम पर हिग्स बोसोन रखा गया।

शोध चलते रहे और आखिरकार जुलाई, 2012 में सर्न के विशाल प्रयोग लॉर्ज हैड्रॉन कोलाइडर यानी एलएचसी में हिग्स बोसोन की पुष्टि की गई। इस अवस्था की सबसे पहली भविष्यवाणी वर्ष 1924-25 में सत्येन्द्र नाथ बसु ने की थी। किन्तु बाद में किये गये प्रयोगों से जटिल अन्तर-क्रिया का पता चला।

और पढ़ें- भिन्न-भिन्न प्रकार के लक्षण, कभी निगेटिव कभी पॉजिटिव- कोरोनावायरस ने विज्ञान जगत का मजाक बना दिया है

प्रतिभा के धनी सत्येन्द्र नाथ बसु

सत्येन्द्र नाथ बसु प्रतिभा के धनी थे। चित्रकारी, ललित कला और संगीत से उन्हें विशेष प्रेम था। बसु इसराज और बांसुरी बजाया करते थे। बसु के संगीत प्रेम का दायरा लोक संगीत, भारतीय संगीत से लेकर पाश्चात्य संगीत तक फैला हुआ था। बसु के मित्र प्रोफेसर धुरजटी दास बसु जब भारतीय संगीत पर पुस्तक लिख रहे थे तो बसु ने उन्हें काफी सुझाव दिए। उनकी माने तो बसु यदि वैज्ञानिक नहीं होते तो वह एक उत्कृष्ट संगीतज्ञ अवश्य होते।

रविन्द्रनाथ टैगोर से प्रेरित होकर उन्होंने वर्ष 1948 में उत्तरी कोलकाता में बंगीय विज्ञान परिषद का गठन किया ताकि आम लोगों में बुनियादी वैज्ञानिक ज्ञान की जानकारी उनकी भाषा में दी जा सके। बसु सदैव जनभाषा में विज्ञान की शिक्षा के समर्थक रहे। इतना ही नहीं, सत्येन्द्र नाथ बासु का मानना था कि जन जन में विज्ञान का प्रसार बहुत आवश्यक है। बांग्ला भाषा में विज्ञानचर्चा के क्षेत्र में उनका अमूल्य योगदान है।

और पढ़ें- गुजरात ने केजरीवाल के शिक्षा मॉडल की बखिया उधेड़कर रख दी!

बंगीय विज्ञान परिषद का मुखपत्र ‘ज्ञान ओ विज्ञान’ (ज्ञान और विज्ञान) नामक पत्रिका थी । 1963 में इस पत्रिका में “राजशेखर-बसु संख्या” नामक एकमात्र मूलभूत अनुसन्धान विषयक लेख प्रकाशित करके उन्होंने दिखा दिया कि बांग्ला भाषा में विज्ञान के मूल लेख लिखना सम्भव है, और इसी में लिखा गया था,

“जो यह कहये हैं कि बांग्ला में विज्ञानचर्चा सम्भव नहीं है, वे या तो बांग्ला नहीं जानते या विज्ञान नहीं समझते”।

ये हमारा दुर्भाग्य है कि देश के ऐसे उत्कृष्ट वैज्ञानिकों को जीते जी उनका उचित सम्मान नहीं मिला और तो और उनके इतिहास के बारे में आज लोगों को कम ही पता है।

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।

Tags: Jagdish Chandra BasuSatyendra Nath BoseTheory of Relativityअल्बर्ट आइंस्टीनजगदीश चंद्र बसुलॉर्ज हैड्रॉन कोलाइडरसत्येन्द्र नाथ बोस
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

“विदेश में रहने वाले भारतीय अब चंद सेकेंड्स में भारत भेज सकेंगे पैसे”, जानिए कैसे ‘ग्लोबल हुआ UPI’

अगली पोस्ट

“भीष्म ने एक लंबा जीवन जिया, जबकि उनके भाईयों की शीघ्र मौत हो गई”, इसके पीछे की कहानी बहुत रोचक है

संबंधित पोस्ट

कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा
इतिहास

कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

13 September 2025

इतिहास की धूल में दबी कुछ कहानियां ऐसी हैं, जिनकी चमक आज भी आंखें चौंधिया देती है। कोहिनूर हीरा ऐसी ही एक कहानी है। यह...

हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया
अर्थव्यवस्था

हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

12 September 2025

नक्शे पर देखिए—दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया। समंदरों और पहाड़ों से घिरा यह इलाका इस समय दुनिया की राजनीति का सबसे बड़ा अखाड़ा है। यहां केवल...

बैटल ऑफ सारागढ़ी
इतिहास

बैटल ऑफ सारागढ़ी: दुनिया का सबसे बेहतरीन लास्ट स्टैंड- जिसमें 22 जवान शहीद हुए थे, लेकिन पहचान सिर्फ 21 सिख जवानों को ही क्यों मिली ?

12 September 2025

सैन्य शब्दकोश का एक शब्द है- ‘लास्ट स्टैंड’, यानी वो लड़ाई जहां एक पक्ष भले ही हार गया हो, लेकिन उसकी शूरवीरता, उसकी जांबाज़ी हार...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Why Congress Wants to Erase Chhatrapati Shivaji Maharaj from Public Memory?

Why Congress Wants to Erase Chhatrapati Shivaji Maharaj from Public Memory?

00:06:37

Epic Battle of Saragarhi : A Tale of Unmatched Bravery That Every Indian Should Know

00:07:14

Why PM Modi Is Compared to The Indus Valley Priest King! Amid uncertainty in India’s Neighbourhood!

00:06:42

‘The Bengal Files’ Exposing Bengal’s Darkest Chapter – What Mamata Won’t Show!

00:05:37

Why Periyar Is No Hero: The Anti-Hindu Legacy That Stalin & DMK Ecosystem Want You To Forget

00:06:26
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited