Khatu Shyam Temple in Hindi : खाटू श्याम मंदिर हिंदी में : कारण एवं आन्दोलन
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Khatu Shyam Temple in Hindi साथ ही इससे जुड़े इतिहास एवं महत्व के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें
खाटू श्याम जी मंदिर –
राजस्थान के सीकर स्थित खाटू श्याम जी का मंदिर भारत देश में कृष्ण भगवान के मंदिरों में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। खाटू श्याम जी को कलयुग का सबसे मशहूर भगवान माना जाता है। राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू गांव में बने खाटू श्याम जी के मंदिर की हिंदू भक्तों में बहुत मान्यता है। भक्तों का कहना है कि श्याम बाबा से जो भी मांगों, वो लाखों-करोड़ों बार देते हैं, यही वजह है कि खाटू श्याम जी को लखदातार के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म के मुताबिक खाटू शम जी को कलयुग में कृष्ण का अवतार माना गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया था कि खाटू श्याम जी कलयुग में उनके नाम श्याम के नाम से पूजे जाएंगे। यही वजह है कि आज खाटू श्यामजी देश में करोड़ों भक्तों द्वारा पूजे जाते हैं।
इतिहास –
जब भीम जंगल में गए थे तब उनका विवाह अहिलावती से हुआ उनका पुत्र था उनका नाम घटोत्कच था उसका सबसे बड़ा बेटा था बर्बरीक जिसके धड़ की पूजा हरियाणा के हिसार में होती है और सिर की राजस्थान के सीकर में।
बर्बरीक बालकपन से ही बहुत महान योद्धा थे उन्होंने श्रीकृष्ण और अपनी माता से युद्ध के गुर सीखे थे और उन्हें स्वयं भगवान शिव ने तीन अमोघ बाण दिए थे और माता दुर्गा ने उन्हे प्रसन्न होकर धनुष दिया था जिससे वे तीनों लोको पर विजय प्राप्त कर सके।उसके बाद जब महाभारत का युद्ध हुआ तो उसमे अपनी माता को हारे हुए की तरफ से लड़ने के लिए वचन देते हुए वे युद्ध में शामिल होने चल दिए। साथ में उन्होंने हाथ में अपने तीन बाण और माता दुर्गा का धनुष ले रखा था।श्रीकृष्ण ने फिर बर्बरीक से कहा ऐसा है तो इस पीपल के पेड़ के सभी पत्तो को भेदकर दिखाओ और बर्बरीक ने चुनौती स्वीकार करते हुए पेड़ की तरफ भगवान का नाम लेकर एक बाण चलाया।उस बाण ने पेड़ के सारे पत्ते भेद दिए और श्रीकृष्ण के आसपास घूमने लगा तो बर्बरीक ने कहा की कृपा करके अपना पैर हटाए वरना ये आपके पैर को भेद देगा और फिर कृष्ण जी ने उससे पूछा की किसकी तरफ से युद्ध लड़ोगे तो उसने कहा हारने वाले की तरफ से तो कृष्ण जी को पहले से ही पता था कि युद्ध में कौरव हारेंगे तो ये उनकी तरफ हो जायेगा और युद्ध वो जीत जायेंगे।
इसके बाद कृष्ण जी ने उनसे दान की आशा की और उन्होंने वचन दिया तो श्रीकृष्ण ने वचन में उनका सिर मांग लिया और बर्बरीक ने सिर दे दिया और बाद में उनके दान से प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हे अपने नाम से कलयुग में पूजे जानें का वरदान दिया।
श्री खाटू श्याम जी मंदिर का निर्माण कब और किसने करवाया था ? –
इस मंदिर का निर्माण रूप सिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कँवर के द्वारा 1027 ई० में करवाया गया था, जिसका जीर्णोद्धार 1720 ई० में कन्हैया मितल द्वारा मारवाड़ के संजय बनिया के आदेश पर हुआ था।
रहस्य –
- खाटूश्याम जी का जन्मोत्सव हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
- खाटू का श्याम मंदिर बहुत ही प्राचीन है, लेकिन वर्तमान मंदिर की आधारशिला सन 1720 में रखी गई थी। इतिहासकार पंडित झाबरमल्ल शर्मा के मुताबिक सन 1679 में औरंगजेब की सेना ने इस मंदिर को नष्ट कर दिया था। मंदिर की रक्षा के लिए उस समय अनेक राजपूतों ने अपना प्राणोत्सर्ग किया था।
- जब बर्बरिक से श्रीकृष्ण ने शीश मांगा तो बर्बरिक ने रातभर भजन किया और फाल्गुन शुक्ल द्वादशी को स्नान करके पूजा की और अपने हाथ से अपना शीश काटकर श्रीकृष्ण को दान कर दिया।
नहाने का महत्व –
खाटू श्याम जी के मंदिर के पास पवित्र तालाब है जिसका नाम है श्यामकुंड। इस कुंड में नहान का बहुत महत्व है। माना जाता है कि इस कुंड में नहाने से मनुष्य के सभी रोग ठीक हो जाते हैं और व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है। खासतौर से वार्षिक फाल्गुन मेले के दौरान यहां डुबकी लगाने की बहुत मान्यता है।
श्री खाटू श्याम जी मंदिर कैसे पहुंचे ? –
खाटू नगर में स्थित यह मंदिर सड़क मार्ग और रेल मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, जहां पर आसानी से पहुंचा जा सकता है।
हवाई जहाज –
नजदीकी हवाई अड्डा जयपुर में है, जो इस मंदिर से करीब 94 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। एयरपोर्ट से मंदिर तक आने के लिए ट्रेन, बस और टैक्सी की सुविधा उपलब्ध होती है।
ट्रेन से –
नजदीकी रेलवे स्टेशन रींगस में है, जो मंदिर से करीब 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रींगस रेलवे स्टेशन से मंदिर जाने के लिए टैक्सी की सुविधा उपलब्ध होती है।
आशा करते है कि Khatu Shyam Temple in Hindi के बारे में सम्बंधित यह लेख आपको पसंद आएगा एवं ऐसे लेख पढ़ने के लिए हमसे फेसबुक के माध्यम से जुड़े।