लगता है इस बार चीन ने गलत पंगा मोल लिया है। पहले ही रणनीतिक मोर्चे पर भारत पटक पटककर उसे धो रहा है, जिसमें तवांग की झड़प को चीन शायद ही स्मरण करना चाहें। परंतु अब कूटनीतिक मोर्चे पर भी चीन न घर का रहा और न घाट का। जैसे ही नेपाल में सत्ता परिवर्तन हुआ, तो चीन को लगा कि अब वह पुनः कूटनीति में दमदार वापसी करेगा। परंतु इस बीच भारत ने उसकी हवा टाइट करते हुए बांग्लादेश के साथ एक महत्वपूर्ण सैन्य समझौता कर लिया। इस लेख में आपको अवगत कराया जाएगा कि कैसे भारत और बांग्लादेश एक संयुक्त सैन्य समझौते (India Bangladesh defense pact) से चीन की हेकड़ी निकालने वाले हैं और कैसे चीन का बंगाल की खाड़ी में जो बचा हुआ प्रभाव है, वो भी समाप्त हो जाएगा।
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सैन्य उपकरण एवं वाहन खरीदने में दिखाई दिलचस्पी
हाल ही में बांग्लादेश ने भारतीय सैन्य उपकरण में विशेष रुचि दिखाई है। कई युद्ध अभ्यासों और विभिन्न सरकारी यात्राओं के पश्चात बांग्लादेश ने हाल ही में कई भारतीय सैन्य उपकरण एवं वाहनों को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई, जिसमें टाटा एवं महिंद्रा द्वारा निर्मित स्पेशलिस्ट वाहन, तेजस कॉम्बैट विमान एवं ध्रुव लाइट कॉम्बैट विमान इत्यादि सम्मिलित हैं।
परंतु बांग्लादेश ने अचानक से भारतीय विमानों एवं सैन्य उपकरणों (India Bangladesh defense pact) में इतनी रुचि क्यों दिखाई है? इससे भारत को क्या लाभ होगा? इस निर्णय से भारत के लिए एक पंथ दो काज होंगे। प्रथम तो यह कि भारत की क्षेत्रीय उपस्थिति बढ़ेगी, विशेषकर बंगाल की खाड़ी में। वहीं दूसरी तरफ चीन का बांग्लादेश एवं बंगाल की खाड़ी पर प्रभाव कम होगा, जो इस समय चीन के लिए किसी आघात से कम नहीं।
परंतु यह कार्य यूं ही नहीं हुआ। हाल ही में कुछ समय पूर्व बांग्लादेश के वायुसेना प्रमुख शेख अब्दुल हनन ने भारत की यात्रा की थीं, जिसमें उन्होंने बांग्लादेश के उपर्युक्त सैन्य उपकरण एवं विमानों का निरीक्षण भी किया। बता दें कि भारत ने सैन्य खरीद हेतु बांग्लादेश को कुछ माह पूर्व 500 मिलियन डॉलर के लाइन ऑफ क्रेडिट भी एक्स्टेन्ड कराई है, जिससे बांग्लादेश अपने सैन्य सशक्तिकरण पर सम्पूर्ण ध्यान दे सकें।
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इसके अतिरिक्त बांग्लादेशी वायुसेना प्रमुख ने भारत का आभार जताते हुए कहा कि कैसे भारत और बांग्लादेश की सैन्य साझेदारी (India Bangladesh defense pact) उनके देश और बंगाल की खाड़ी क्षेत्र की सुरक्षा और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है और वे सुनिश्चित करेंगे कि यह साझेदारी ऐसे ही जारी रहे। अब इसका अर्थ समझते हैं आप?
भारत-बांग्लादेश संबंध
भारत के बंगाल की खाड़ी में अन्य देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध है, चाहें वह मलेशिया हो या म्यांमार। यह देश भारत से हथियार भी खरीदते रहते हैं। बांग्लादेश के साथ भारत के संबंध अच्छे तो रहे हैं परंतु उसका बांग्लादेश के प्रति थोड़ा अधिक झुकाव देखने को नहीं मिला। परंतु हाल के समय में जो बांग्लादेश की निकटता भारत के साथ देखने को मिल रही है, वो यूं ही नहीं आई। बांग्लादेश को अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने हेतु एक सशक्त साझेदार चाहिए, जो सहायता के नाम पर उसके साथ छल न करें।
इसके अतिरिक्त चीन जिस प्रकार से ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ नीति के अंतर्गत भारत को घेरकर उसे आर्थिक और रणनीतिक रूप से निष्प्रभावी बनाना चाहता है, उससे भी भारत अछूता नहीं है। भारत भली भांति जानता है कि चीन की मंशाएं क्या है और उसे पूर्ण करने हेतु वह किस हद तक जा सकता है। परंतु कोविड के पश्चात चीन का प्रभाव पहले जैसा नहीं रहा और वहीं भारत का वैश्विक कद दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। इसके अतिरिक्त भारत ने कुछ समय पूर्व बांग्लादेश के साथ चटगांव पोर्ट के उपयोग पर भी एक महत्वपूर्ण अनुबंध किया है, जिससे चीन को जबरदस्त हानि होगीं।
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