RSS यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारतीय संस्कृति और समाज के सभी मूल्यों को बनाए रखने का कार्य करता है। इसी क्रम में अभी हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से महाराष्ट्र के जलगांव जिले में छह दिवसीय बंजारा महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है। इसका लक्ष्य बंजारों को अधिक मजबूती से हिंदू धर्म में एकसार करना है। इस कुभ का लक्ष्य है कि जो बंजारा समुदाय पारंपरिक रूप से खानाबदोश देहाती और व्यापारी हैं उनको सनातन धर्म में लाया जाए।
इन बंजारों को वर्तमान में विभिन्न राज्यों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणियों के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है. इस बात में कोई भी संशय नहीं है कि बंजारे सनातनी ही होते हैं लेकिन कुछ एजेंडाधारियों यानी लेफ्ट-लिबरल्स के द्वारा बंजारों को सनातन धर्म का माना ही नहीं जाता है। बंजारा ‘महाकुंभ मेला’ में एक प्रस्ताव के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर ‘धर्मांतरण नहीं कानून’ की मांग के संबंध में एक संकल्प पारित किया गया है।
उपासना और आचरण का धर्म
इस कार्यक्रम में कई जानेमाने लोग उपस्थित रहे, इस दौरान वेदशास्त्री साहेबराव शास्त्री भी उपस्थित रहे जिनका मानना है कि वैदिक सनातन धर्म अनादि ही है और गोर बंजारा समुदाय हिन्दू धर्म की प्रमुख शाखा ही कहलाता है। बंजारा गोरक्षक, गोसेवक और गोपालक ही हैं। शास्त्रों में इस बात का उल्लेख है कि युद्धवीर, दयावीर, धर्मवीर और दानवीर सभी गोर बंजारा समाज से ही संबंधित हैं। सनातन धर्म उपासना और आचरण का धर्म माना जाता है। हम हिन्दू थे, हिन्दू हैं और हिन्दू ही रहेंगे.
RSS का मुख्य लक्ष्य बंजारों की अलग-अलग समुदाय को एक साथ एक मंच पर लेकर आना है. लेकिन इनमें से कुछ बंजारों का नेतृत्व करने वाले का ये भी कहना है कि बंजारा सनातनी नहीं है. क्या उनका मानना सही है? क्या सच में बंजारा सनातनी नहीं है? नहीं ऐसा नहीं है।
संघ के एक कार्यकर्त्ता के अनुसार, असामाजिक ताकतें लगातार ही खानाबदोश यानी बंजारा जातियों के इतिहास, संस्कृति, धर्म व परंपराओं के विषय में झूठ फैलाने की कोशिश करते आए हैं. उन्होंने ये भी कहा कि ये कवायद उन्हें रोकने और यह सुनिश्चित करने के लिए है कि वो भी हिंदू समाज का एक अभिन्न अंग हैं. इस महाकुंभ को आयोजित करने के लिए बंजारा समुदाय के युवा और 3000 RSS कार्यकर्ता दो माह से कोशिश कर रहे हैं. ये जलगांव जिले के गोदरी गांव में 500 एकड़ भूमि पर आयोजित किया जा रहा है.
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मतभेद पैदा किया जा रहा है
इस कार्यक्रम के उद्घाटन के दौरान बंजारा समुदाय के एक धार्मिक नेता जितेंद्र ‘महाराज’ ने प्रतिभागियों से बामसेफ (द ऑल इंडिया बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटी एम्प्लाइज फेडरेशन) जैसे संगठनों से दूरी बनाये रखने का आग्रह किया था. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि ये लोग हिंदू समाज में लोगों के बीच मतभेद पैदा कर रहे हैं. “गोर बंजारा समुदाय हिंदू धर्म का एक अविभाज्य अंग कहलाता है और हम सभी सनातन धर्मी ही हैं. हमारे अपने तीज, होली और दिवाली के गाने होते हैं. ईसाई मिशनरी हमारे समुदाय पर हमला कर रहे हैं और हमारे लोगों का धर्मांतरण कर रहे हैं. उनसे सावधान रहें.
अगर देखा जाए तो बंजारा समुदाय के अधिकतर लोग गरीब होते है. जिस कारण ईसाई मिशनरी जो लगातार हिंदू धर्म में फूट डालने या उनको बांटने के कारण इन बंजारा समुदाय का धर्मांतरण करवाने की कोशिश करते रहते हैं वो सभी इसका भरपूर फायदा उठाते हैं। वो भिन्न-भिन्न प्रकार के लालच देकर इन बंजारा समुदाय के लोगों का धर्म बदलवाने की कोशिश भी करते है. बंजारा महाकुंभ को लेकर संघ के कुछ वरिष्ठ सदस्यों ने इस बात की जानकारी दी है कि बीते कई सालों से ईसाई मिशनरी बंजारा समुदाय के सदस्यों को गुमराह करके और लालच देकर उनका धर्मांतरण कर रही है. ऐसे मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. ये महाकुंभ उसके खिलाफ जागरूकता बढ़ाने का कार्य करेगा.
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ऑनलाइन और ऑफलाइन विरोध
जहां कुछ लोग इस आयोजन के समर्थन में आगे आ रहे है वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इसका पूर्ण रूप से विरोध कर रहे हैं। RSS की इस पहल से बंजारा के विरुद्ध रहने वाले लोगों के पेट में दर्द हो रहा है. इस आयोजन की आलोचना बंजारा नेताओं के एक वर्ग के द्वारा भी की जा रही है जिनका मानना है कि कुंभ समुदाय के लिए एक अलग ही अवधारणा रखता है और वह आरोप भी लगाते हैं कि यह हिंदू धर्म को उन पर थोपने के लिए हो रहा है. वे इस घटना का ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से विरोध करने के लिए सामने आ रहे है।
सर्वविदित है कि RSS बहुसंख्यक हिंदू समुदाय को “मजबूत” बनाने के लिए हिंदुत्व की विचारधारा का प्रचार-प्रसार करता है। जिसके चलते इसे बदनाम करने की कोशिश भी होती रहती है. RSS और उससे जुड़े लोगों पर झूठे आरोप लगाए जाते रहे हैं लेकिन RSS इससे कभी घबराया नहीं है। RSS का ये कदम काफी अधिक सराहनीय है। इससे बंजारो के साथ होने वाले अन्याय में भी कमी देखने को मिलेगी।
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