चतुर्भुज सुरक्षा गठबंधन यानी QUAD भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे ताकतवर देशों का एक समूह है जिसका प्रमुख उद्देश्य समुद्री रास्तों से आपसी व्यापार बनाना और हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के वर्चस्व को कम करना है। क्वाड देशों के बीच बातचीत तो होती है लेकिन उसका कोई असर जमीन पर देखने को नहीं मिलता क्योंकि QUAD गहरी नींद में सो रहा है। ऐसे में उसे जागने की सख्त आवश्यकता है। अब श्रीलंका के रूप में QUAD के पास एक विकल्प है, जिसकी सहायता कर वो एक तीर से कई निशाने लगा सकता है।
इस लेख में हम जानेंगे कि क्यों इससे पहले श्रीलंका चीन की गोद में जाकर बैठे QUAD का एकजुट होकर उसकी सहायता करने के लिए आगे आना आवश्यक है?
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श्रीलंका की मदद करना चाहता है चीन
चालाक चीन की नजरें पहले से ही श्रीलंका पर गढ़ी हुई है। चीन ने श्रीलंका को बर्बाद कर उसे उसके हालातों पर छोड़ दिया है। हालांकि अब जब भारत, श्रीलंका की सहायता कर रहा है, तो एक बार फिर चीन भी श्रीलंका की सहायता करने का ढोंग रच रहा है। चीन ने IMF के बेलआउट पैकेज के लिए श्रीलंका को वित्तीय आश्वासन दिया है। हालांकि ड्रैगन ने अभी तक इस बारे में कोई आधिकारिक ऐलान नहीं किया है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो राहत पैकेज के लिए चीन के एक्जिम बैंक ने शनिवार को श्रीलंका को पुनर्भुगतान पर दो साल की छूट देने और विस्तारित निधि सुविधा (EFF) से सहमत होने के लिए IMF को एक पत्र लिखा है।
इसलिए भारत की राह पर चल रहा है चीन
चीन ने यह कदम भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के हालिया दौरे के बाद उठाया है। बता दें कि बीते दिनों विदेश मंत्री एस जयशंकर ने श्रीलंका की यात्रा की थी। भयंकर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के लिए जयशंकर का यह दौरा बहुत महत्वपूर्ण साबित हुआ। क्योंकि जयशंकर के दौरे के बाद श्रीलंका को IMF से कर्ज मिलने का रास्ता साफ हो गया, जोकि जर्जर हो चुकी श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगा। दरअसल, श्रीलंका IMF से 2.9 अरब डॉलर का ऋण हासिल करने के लिए प्रयास कर रहा है। दिवालिया हो चुके श्रीलंका का IMF ने राहत पैकेज रोक दिया है और वह श्रीलंका के प्रमुख कर्जदाताओं से वित्तीय आश्वासन चाहता है। इन हालातों में श्रीलंका वित्तीय आश्वासन के लिए भारत, चीन और जापान का मुंह देख रहा था।
श्रीलंकाई सरकार की तरफ से चीन से कई बार आर्थिक मदद का अनुरोध किया गया था, परंतु वो इससे मुंह चुरा रहा था। यह वही चीन था, जिसका श्रीलंका को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, वही मदद के नाम पर नाक भौंह सिंकोड़ने लगा था। लेकिन अब जब भारत के द्वारा श्रीलंका की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाए गए तो चीन इससे बैचेन हो गया। उसे लगने लगा कि यदि श्रीलंका उससे अधिक भारत के करीब पहुंच जाएगा तो उसे नुकसान होगा। ऐसे में अब तक मदद के नाम पर आंखें चुराने वाला ड्रैगन बड़ा खेल करने की फिराक की तैयारी करने लगा और वो भी श्रीलंका की मदद करने का दिखावा कर रहा है।
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QUAD के पास है विकल्प
यह तो हो गयी भारत और चीन की बात। अब आते हैं QUAD पर कि कैसे श्रीलंका की मदद करना उसके लिए सबसे अच्छा अवसर हो सकता है? दरअसल, हिंद महासागर में श्रीलंका की स्थिति अच्छी है। हिंद महासागर में श्रीलंका की भोगौलिक स्थिति है, जो रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण है। चीन हिंद महासागर में अपना वर्चस्व जमाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है। लेकिन भारत उसके नापाक इरादे कामयाब नहीं होने दे रहा जिससे वो बुरी तरह बौखलाया हुआ है।
अगर जापान और भारत, अमेरिका से बात करके श्रीलंका को IMF से कर्ज दिलवाने में पैरवी करते हैं तो चीन को हिंद महासागर में अच्छे से धूल चटाई जा सकती है। क्योंकि IMF का झुकाव अमेरिका की ओर माना जाता है। अगर अमेरिका भी श्रीलंका को IMF दिलवाने में मदद कर देता है तो श्रीलंका चालबाज ड्रैगन के पाले में जाने से बच जाएगा और श्रीलंका के समर्थन के साथ QUAD को भी हिंद महासागर में मजबूती मिलेगी। हिंद महासागर में Sri Lanka की स्थिति को देखते हुए उसे China से बचाना बेहद ही आवश्यक है। ऐसे में चीन को पटखनी देने के लिए यह एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।
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