डिस्को डांसर (Disco dancer) का नाम आते ही सबसे पहले हमारे मस्तिष्क में मिथुन चक्रवर्ती का नाम आता है। इसके बाद यदि थोड़ा और विचार करें तो बप्पी लाहिड़ी का नाम आता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि डिस्को डांसर की अपार सफलता के पीछे वास्तव में जो लोग थे उन्हें कभी भी क्रेडिट मिला ही नहीं।
इस लेख में समझिए, डिस्को डांसर (Disco dancer) को भारत में लोकप्रिय बनाने में वास्तव में किन लोगों का योगदान था।
“आई एम अ डिस्को डांसर”
दिसंबर 1982 की हाड़ कंपाने वाली ठंड में जब ये गीत भारत के सिनेमाघरों में गूँजा, तो क्या वृद्ध..क्या युवा…क्या महिला…क्या पुरुष, सभी ‘डिस्को डांसर’ (Disco dancer) के दीवाने हो गए। संगीत के जिस प्रारूप के बारे में भारत के अधिकांश लोगों ने केवल सुना था, उस डिस्को डांस को भारत में लोकप्रिय बनाने में ‘डिस्को डांसर’ की भूमिका अद्वितीय है।
इसी फिल्म ने मिथुन चक्रवर्ती को रातों-रात इंडिया के सुप्रसिद्ध डांसिंग स्टार में परिवर्तित कर दिया। इसके साथ ही बप्पी लाहिड़ी के रूप में भारत को एक कुशल संगीतज्ञ भी दिया। परंतु ‘डिस्को डांसर’ (Disco dancer) केवल इन्ही दोनों की कथा नहीं है।
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मिथुन चक्रवर्ती यूं तो सिनेमा में एक परिचित नाम थे और अपनी प्रथम फिल्म ‘मृगया’ के लिए उन्हे सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था। परंतु उन्हे स्टारडम दिलाने में बब्बर सुभाष का महत्वपूर्ण हाथ था।
1980 के दशक के प्रारंभ में बब्बर सुभाष ने एक फिल्म बनाई थी ‘तकदीर का बादशाह’- इस फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती प्रमुख भूमिका में थे। इसी दौरान इन्होंने विचार किया कि क्यों ना भारतीयों को एक नई शैली से परिचित कराया जाए।
इसके बाद ही ‘डिस्को डांसर’ (Disco dancer) की नींव रखी गई। जिसमें मिथुन चक्रवर्ती प्रमुख भूमिका में थे और साथ में थे किम यशपाल, ओम पुरी, करण राज़दान और गीता सिद्धार्थ। इस फिल्म में राजेश खन्ना की भी एक छोटी पर महत्वपूर्ण भूमिका थी। यह उम्मीद की जा रही थी कि राजेश खन्ना निस्संदेह फिल्म में आकर्षण का केंद्र बनेंगे क्योंकि भारत के सबसे बड़े सुपरस्टार की झलक भला कौन सिल्वर स्क्रीन पर नहीं देखना चाहेगा।
परंतु फिल्म में कुछ और ही देखने को मिला। इस फिल्म में मिथुन ने न केवल अपनी भूमिका के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया, अपितु ऐसा प्रभाव डाला कि स्वयं बॉलीवुड के ‘काका’ तक फीके पड़ गए। इस फिल्म को निर्मित और निर्देशित करने का बीड़ा स्वयं बब्बर सुभाष ने उठाया। इस फिल्म के माध्यम से न केवल डिस्को डांस, अपितु मिथुन चक्रवर्ती भी सभी के प्रिय हो गए।
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अब बॉलीवुड में केवल अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना और कपूर परिवार का एकाधिकार नहीं रह गया था। मिथुन चक्रवर्ती सूर्य के समान अपने प्रकाश से सम्पूर्ण हिन्दी फिल्म उद्योग को उज्ज्वल करने मंच पर आ चुके थे। परंतु बब्बर सुभाष इतने पर नहीं रुके– मिथुन चक्रवर्ती को लेकर उन्होंने ‘कसम पैदा करने वाले की’, ‘डांस-डांस’, ‘कमांडो’ जैसी कई अन्य ब्लॉकबस्टर फिल्में भी दी।
डिस्को डांसर (Disco dancer) ने भारत में ही नहीं, अपितु सोवियत रूस, पूर्वी यूरोप, चीन, मिडिल ईस्ट, तुर्की और अफ्रीका में भी अपनी धाक जमाई। परंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि इस फिल्म की सफलता के पीछे एक और व्यक्ति का भी हाथ था- और वो थे किशोर दा।
यह सभी जानते हैं कि किशोर दा भारतीय सिनेमा के सबसे लोकप्रिय अभिनेताओं एवं गायकों में सम्मिलित है, परंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि वे बप्पी लाहिड़ी के मामा भी थे। मूल रूप से ‘डिस्को डांसर’ के कई गीत किशोर दा को ही गाने थे।
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जिसमें ‘याद आ रहा है तेरा प्यार’ जैसे गीत भी शामिल थे। परंतु बप्पी लाहिड़ी के संगीत कौशल को देखते हुए किशोर दा ने यह अवसर अपने आप को न देकर बप्पी लाहिड़ी को दिया, और उन्होंने ‘कोई यहाँ नाचे-नाचे’ एवं ‘याद आ रहा है तेरा प्यार’ को अपना स्वर दिया, और आगे क्या हुआ, ये अपने आप में इतिहास है।
इसके अतिरिक्त बप्पी लाहिड़ी के संगीत को स्वयं किशोर कुमार ने बढ़ावा दिया और परिणामस्वरूप बप्पी लाहिड़ी को ‘डिस्को किंग’ बनने से कोई नहीं रोक पाया। ऐसे में निश्चित तौर पर यह कहना होगा कि ‘डिस्को डांसर’ की अपार सफलता में जितना योगदान मिथुन चक्रवर्ती और बप्पी लाहिड़ी का है, उतना ही योगदान किशोर कुमार और निर्देशक बब्बर सुभाष का भी है।
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