UCC यानी समान नागरिक संहिता एक ऐसा विषय है जिस पर समय-समय पर तरह तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिलती रही है। विपक्षी पार्टियां शुरू से ही इस मुद्दे को लेकर राजनीति करती रही हैं लेकिन यूसीसी का मुद्दा भाजपा के एजेंडे में काफी पहले से रहा है। भाजपा अपने घोषणापत्र में लगातार इसे शामिल करती रही है। भाजपा शासित कई राज्य इस ओर कदम भी बढ़ा चुके हैं लेकिन इसी बीच केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के एक बयान ने सियासी पारे को आसमान पर पहुंचा दिया है। पहली बार किसी बड़े नेता ने इस मामले पर ऐसी प्रतिक्रिया दी है। हालांकि, अब राजनाथ सिंह के बयान से यह लगभग तय माना जा रहा है कि देश में जल्द ही यूसीसी लागू किया जा सकता है।
दरअसल, लखनऊ में महाराजा हरिश्चंद्र की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि “हमारी सरकार ने 370 को लेकर जो वादा किया था, उसे पूरा किया। नागरिकता कानून की बात कही थी वो भी पूरा किया है और अब कॉमन सिविल कोड पर काम चल रहा है।” राजनाथ सिंह आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुझे पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र तैयार करने की जिम्मेदारी दी थी।
पीएम मोदी ने मुझे कहा था कि हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि जो भी वादे हम घोषणापत्र में करेंगे, हमें उन्हें किसी भी कीमत पर पूरा करना है। हमारे शब्दों और कर्मों में कोई अंतर नहीं होना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, मैंने उन्हें कहा था कि पूरी सावधानी बरती जाएगी। यहां तक कि जब 2019 में भी मेनिफेस्टो तैयार किया जा रहा था, तब भी पीएम मोदी ने मुझसे यही ध्यान रखने को कहा था। मैं तब गृहमंत्री था।
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समान नागरिक संहिता (UCC) है क्या?
जिन लोगों को यूसीसी यानी यूनिफॉर्म सिविल के बारे में नहीं पता है, उनके लिए बता दें कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है कि भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून हो, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। यूसीसी में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे से लेकर लगभग सभी चीजों में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा। मतलब कि एक निष्पक्ष कानून जिसका किसी भी धर्म से कोई मतलब नहीं होगा।
गौरतलब है कई भाजपा शासित राज्यों में यूसीसी को लागू करने की तैयारियां चल रही हैं। उत्तराखंड और गुजरात में तो इसको लेकर कमेटियों का गठन भी कर दिया गया है। कर्नाटक में भी भाजपा समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने के लिए बिल लाने की घोषणा कर चुकी है। इसी तरह असम में भी इसे लागू करने की घोषणा मुख्यमंत्री हिमांता बिस्वा सरमा कर चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट में राज्यों में समान नागरिक संहिता (UCC) के लिए कमेटियों के गठन को दी गई चुनौती खारिज हो चुकी है। शीर्ष अदालत ने भी अपने फैसले में कहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड एक नीतिगत निर्णय है, जिसे लेने का राज्यों को पूरा हक है।
ध्यान देने योग्य है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने यूनिफॉर्म सिविल कोड से जुड़ी एक याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें यूनिफॉर्म सिविल को को लागू करने के लिए गुजरात और उत्तराखंड में कमेटी गठित करने के फैसले को चुनौती दी थी। अदालत ने इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि समान नागरिक संहिता के लिए कमेटी गठित करने में गलत क्या है?
समान नागरिक संहिता (UCC) की रूपरेखा पर टिकी नजरें
आपको बता दें कि राज्यों ने समान नागरिक संहिता को लागू करने से पहले उससे जुड़े हर पहलू पर विचार करने के लिए कमेटी गठित की है। हालांकि, अब केंद्र सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं, ऐसे में केंद्रीय स्तर से ही इसे पूरे देश में लागू किया जा सकता है। ज्ञात हो कि संविधान के अनुच्छेद 44 में भी नागरिकों के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड का प्रावधान है। इसमें कहा गया है कि “राज्य, भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता प्राप्त कराने का प्रयास करेगा।”
अब देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने समान नागरिक संहिता (UCC) पर बयान देकर यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकार जल्द ही यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड को लेकर कोई फैसला कर सकती है। उनका बयान इस ओर इशारा कर रहा है कि सरकार यूसीसी का मसौदा तैयार करने में लगी हूई है। पहली बार सरकार के किसी बड़े मंत्री ने यूसीसी पर इतना बड़ा बयान दिया है। ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि जल्द ही हमें संसद में यूसीसी को लेकर बहस देखने को मिल सकती है। हालांकि, यूसीसी की रूपरेखा क्या होगी, इस पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।
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