आज का दौर ऑडियोबुक्स का है। स्पॉटिफाई से लेकर ऑडिबल जैसे ऐप्स पर अनेक तरह की कहानियां उपलब्ध हैं। पहले जैसे रेडियो के दौर में लोग रात में कहानियां सुनते-सुनते सो जाते थे, वैसे ही लोग आज कल इन स्मार्टऐप्स के माध्यम से कहानियां सुनते हैं और उनको सुनते-सुनते ही अच्छी नींद लेते हैं लेकिन क्या हो कि जब कोई इन कहानियों को ही सच मानने लगे? अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर हम आज इन कपोल कल्पिक कहानियों को लेकर इतनी हल्की टिप्पणी क्यों कर रहे हैं? तो आपको बता दें कि अपने आपको टीपू सुल्तान का वंशज बताने वाले लोग टीपू सुल्तान के विरुद्ध बयानबाजी करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का दावा कर रहे हैं। अब यह मामला क्या है, चलिए समझते हैं।
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टीपू सुल्तान को लेकर अमित शाह का बयान
टीपू सुल्तान को लेकर हमेशा ही बवाल मचता रहा है। बहुसंख्यक वर्ग जहां टीपू को हत्यारा और आक्रांता बताते रहे हैं। वहीं अल्पसंख्यक से लेकर वामपंथी वर्ग टीपू सुल्तान को एक महान नायक अंग्रेजों से लड़ने वाला तक बताता रहा है, जिसका असल में कोई आधार नहीं हैं। कर्नाटक में शासन कर रही बीजेपी की बसवराज बोम्मई सरकार लगातार राज्य में टीपू सुल्तान की निशानियों की मिटाने का काम कर रही है। इसको लेकर मुस्लिम वर्ग और टीपू समर्थक आक्रोशित हैं।
टीपू को लेकर चल रहे विवादों के बीच ही कर्नाटक में ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने टीपू को लेकर कहा था कि कांग्रेस और जेडीएस जैसे दल टीपू की बर्बादी वाली हिंदू विरोधी मानसिकता को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को यह तय करना है कि उन्हें टीपू के इशारों पर चलने वाली कांग्रेस या जेडीएस का साथ देना है या रानी अब्बका की विचारधारा पर चलने वाली बीजेपी का। बता दें कि उन्होंने अपने वक्तव्य के दौरान राज्य की बीजेपी सरकार को लेकर बताया कि वह 16वीं सदी की उल्लाल की तुलुव रानी अब्बका चोवटा से प्रेरित है, जिन्होंने राज्य की समृद्धि के लिए शासन किया।
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भड़क उठे टीपू सुल्तान के कथित वंशज
परंतु अमित शाह द्वारा की गई यह टिप्पणियां टीपू सुल्तान के कथित 17वें वंशज साहबजादे मंसूर अली खान टीपू को रास नहीं आई हैं। उन्होंने टीपू सुल्तान को लेकर लगातार दिए जा रहे बीजेपी के वक्तव्यों को आपत्तिजनक बताया और कहा है कि बीजेपी इन बयानों के माध्यम से राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर टीपू के बलिदानों को कम करने के प्रयास कर रही है।
मंसूर अली खान ने कहा है कि वोट हासिल करने के लिए हमारे पूर्वजों का नाम घसीटकर उन्हें अपमानित किया है। उन्होंने कहा कि वे या तो वे अपमान करने वाले ऐसे लोगों के विरुद्ध मानहानि का दावा करेंगे या उन राजनीतिक दलों का समर्थन करेंगे जो कि टीपू के बलिदान के योगदान पर विश्वास करते हैं।
गौरतलब है कि मंसूर अली खान सच में टीपू सुल्तान के वंशज हैं या नहीं इसका कोई प्रमाण नहीं है लेकिन प्रभु स्वयं को टीपू सुल्तान का वंशज बनाकर उनकी विरासतों पर दावा करते रहते हैं। दूसरी ओर बीजेपी टीपू को आक्रांता और हिंदू विरोधी राजा बताते हुए लगातार उसकी विरासत और निशानियों को मिटा रही है। कांग्रेस सरकार ने टीपू सुल्तान की जयंती मनाने से लेकर सरकार छुट्टी देने का ऐलान किया था लेकिन बोम्मई सरकार ने सबकुछ खत्म कर दिया। इसके अलावा हाल ही में बसवराज बोम्मई सरकार ने18वीं शताब्दी के शासक टीपू सुल्तान के समय से मंदिरों में हो रही ‘सलाम आरती’ का नाम बदलने का फैसला लिया था। अब सलाम आरती को ‘संध्या आरती’ के नाम से जाना जाता है। आपको बता दें कि इसको लेकर हिंदू संगठनों ने राज्य सरकार से टीपू सुल्तान के नाम पर होने वाले अनुष्ठानों को खत्म करने की मांग की थी, जिसमें सलाम आरती भी शामिल थी।
अब कथित तौर टीपू सुल्तान के वंशज मंसूर अली खान भले ही टीपू को बलिदानी बता रहे हों लेकिन सच तो यह है कि बलिदान और धर्मनिरपेक्षता की ये बातें स्पॉटिफाई और ऑडिबल जैसी ऑडियो ऐप्स की कहानियों से अधिक कुछ नहीं हैं। निश्चित ही मंसूर अली उन ऑडियो ऐप को सच मान चुके हैं और उसके आधार पर ही नौटंकियां कर रहे हैं।
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