हरियाणा का भिवानी कांड अब एक अपराध से ज्यादा तुष्टीकरण की राजनीति का अखाड़ा बन गया है। मुख्य रूप से यह केस राजस्थान के भरतपुर का है और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीतियों का पालन करती हुई भरतपुर पुलिस इस केस में गोल-मोल कर गौरक्षकों को निशाना बना रही है। भिवानी के लोहारू में दो गौतस्करों की हुई कार में जलकर मौत के मामले में राजस्थान की पुलिस अपनी बातों से पीछे हट रही है।
नई सूची में मोनू मानेसर का नाम नहीं
जब गौतस्करों की हत्या की बात सामने आई तब तक पुलिस के पास उनके विरुद्ध कई केस थे किंतु उन पर ध्यान नहीं दिया गया। इस केस में गौरक्षकों का नाम गौतस्करों के परिजन लेकर आए थे उसके आधार पर मोनू मानेसर के साथ ही 5 अन्य को आरोपी बनाया गया था। इस बीच ही एक एक स्टिंग ऑपरेशन सामने आया जिसमें गोपालगढ़ के एसएचओ ने यह स्वीकार कर लिया कि मोनू मानेसर घटनास्थल पर था ही नहीं।
एसएचओ की स्वीकृति के बाद भिवानी केस में आरोपियों की नई सूची सामने आई थी। इस लिस्ट में मोनू मानेसर और लोकेश सिंगला का नाम नहीं था। बुधवार को मोनू मानेसर के समर्थन के हुई महापंचायत के बाद पुलिस ने ये लिस्ट जारी की है और इस सूची में मोनू मानेसर को क्लीन चिट दे दी गई है।
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इसका अर्थ यह है कि महापंचायत के समर्थन से पुलिस को यह स्पष्ट हो गया था कि मोनू मानेसर का इस केस में कोई हाथ नहीं है और राजस्थान पुलिस तुष्टीकरण के आधार पर मोनू मानेसर को आरोपी बना रही थी किंतु फिर राजस्थान की पुलिस ने नया पेंच फंसा कर अपनी ही भद्द पिटवा ली है।
फिर पलट गई राजस्थान पुलिस
भिवानी केस के आरोपियों की सूची में से मोनू मानेसर का नाम हटना मृतकों के मुस्लिम परिजनों को तनिक भी रास नहीं आया। मोनू मानेसर का नाम आरोपियों की सूची से हटने पर अल्पसंख्यक वर्ग भी आग बबूला हो गया।
इस मामले में अब पुनः राजस्थान पुलिस ने कहा है कि मोनू मानेसर को कोई क्लीनचिट नहीं दी गई है। पुलिस का कहना है कि अभी उसके पास मोनू मानेसर के विरुद्ध कोई सबूत नहीं है किंतु उसका नाम सूची में शामिल है एवं उसे केस से बाहर नहीं किया गया है।
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पुलिस का नया वक्तव्य इस बात को स्पष्ट करता है कि मोनू मानेसर और लोकेश संगला का नाम जानबूझकर उछाला जा रहा है। मोनू मानेसर को गौरक्षक होने के चलते मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति के तहत राजस्थान पुलिस निशाना बना रही है और यह संकेत दे रही है कि उसे केस के आधार पर जांच नहीं करने दी जा रही है अपितु राजनीतिक धड़ा बनने का काम सौंप दिया है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का रवैया भी कुछ ऐसा ही रहा है। वह आए दिन अपने ही वक्तव्यों में फंसते हैं। उनकी पुलिस तेजस्वी के आदेश का पालन करती है जबकि नीतीश जी पूरी जांच के विपरीत चलते हैं जिससे पुलिस को ही अपने कथनों में बदलाव करना पड़ता है। भिवानी कांड यह संकेत दे रहा है कि राजस्थान की पुलिस को निर्देश देने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस समय नीतीश कुमार से अधिक प्रेरित हो गए हैं।
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