World Hindi Conference 2023: भारत में विदेश मंत्री का पद पहली बार तब लोकप्रिय हुआ जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जनता पार्टी की सरकार में इसे सुशोभित किया। इसके बाद विदेश मंत्रालय आम लोगों के बीच में जब लोकप्रिय हुआ जब सुषमा स्वराज ने मंत्रालय की कमान संभाली और विदेश में फंसे भारतीयों की दिन-रात मदद की। इन्हीं दिग्गजों के कदमों पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर चल रहे हैं- और कम से कम हिंदी भाषा के प्रचार को लेकर यह कहने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए।
इस लेख में पढ़िए कैसे एस. जयशंकर हिंदी को वैश्विक भाषा बनाने के लिए अभियान चला रहे हैं।
World Hindi Conference 2023: फिजी में हिंदी सम्मेलन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 2019 में दूसरी बार सत्ता की बागडोर संभाली तो इस बार विदेश मंत्री एस. जयशंकर को बनाया गया- सत्ता के गलियारों में जयशंकर को लेकर कई प्रश्न खड़े होने लगे। जयशंकर नेता नहीं है, अधिकारी हैं और एक अधिकारी विदेश मंत्रालय कैसे संभालेगा लेकिन मंत्रालय में बैठने के बाद जयशंकर ने अपनी कूटनीति से जो खेल दिखाना शुरू किया तो पूरा विश्व मंत्रमुग्ध हो गया।
विदेश नीति के प्रत्येक मोर्चे पर जयशंकर ने भारत को जीत दिलवाई और अब जयशंकर ने जो बीड़ा उठाया है, वो अटल बिहारी वाजपेयी और सुषमा स्वराज की नीति को ही एक तरह से आगे ले जाना है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हिंदी को वैश्विक बनाने का काम तेजी से आरंभ कर दिया है, जिसमें फिजी का हिंदी सम्मेलन (World Hindi Conference 2023) एक अहम कड़ी माना जा रहा है।
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दरअसल, फिजी में 12वां विश्व हिंदी सम्मेलन (World Hindi Conference 2023) हुआ। तीन दिन तक चले इस सम्मेलन के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने खुलकर हिंदी और इसके प्रभाव के बारे में बताया। विदेश मंत्री ने फिजी के राष्ट्रपति विलियम कैटोनिवरे का जिक्र करते हुए बताया कि किस तरह से उन पर हिंदी फिल्मों का असर पड़ा।
जयशंकर ने कहा, “फिजी के राष्ट्रपति कैटोनिवरे ने बताया कि हिंदी फिल्मों ने उन पर गहरा प्रभाव छोड़ा है। उनकी पसंदीदा फिल्म शोले है।” एस. जयशंकर ने आगे कहा, ‘फिजी के राष्ट्रपति हमेशा इस गाने को याद रखते हैं कि ‘ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे…।”
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हिंदी के उत्थान को लेकर कहा, “विश्व हिंदी सम्मेलन एक ‘महाकुंभ’ की तरह है। सभी को लगता है कि ये हिंदी का एक महाकुंभ है, जहां पूरी दुनिया से हिंदी प्रेमी आए। यह हिंदी के विषय में एक वैश्विक नेटवर्क का मंच बनेगा।”
उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि किस तरह से हिंदी वैश्विक भाषा बने और इस तरह का सम्मेलन एक ऐसा मंच बने, जहां हिंदी से प्यार करने वाले लोग आपस में जुड़ सकें।” जयशंकर ने ये भी बताया कि फिजी सरकार ने फिजी में हिंदी के साथ-साथ तमिल व अन्य भाषाओं की शिक्षा भी शुरू करने पर सहमति दे दी है।
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फिजी में हिंदी ही हिंदी
अहम बात यह भी है कि भारत और फिजी के बीच कूटनीतिक संबंधों में मधुरता की एक अहम कड़ी हिंदी भाषा ही है। विदेश मंत्री ने इस दौरान फिजी में मौजूद अनेकों भारतीयों से मुलाकात की जिसमें चर्चा का मुख्य विषय हिंदी ही था।
एस जयशंकर के लिए यह यात्रा काफी अनोखी रही है। उन्होंने खुद बताया कि मैं पहली बार फिजी की यात्रा पर आया हूं। मुझे आश्चर्य है कि मैंने यहां आने के लिए इतना समय क्यों ले लिया? ये दिलचस्प यात्रा है और मैंने यहां से काफी कुछ सीखा है।
दूसरी ओर फिजी का हिंदी प्रेम भी किसी से छिपा नहीं है। यहां अब तक 11 विश्व हिंदी सम्मेलन हो चुके हैं और इस बार 12वां संपन्न हुआ है। फिजी के लोगों में एक बड़ी संख्या हिंदी भाषी लोगों की है।
अहम बात यह है कि फिजी की सरकार भी हिंदी के विस्तार को लेकर काम करती रही है। फिजी के उप प्रधानमंत्री बिमन प्रसाद ने कहा कि भारत की तरफ से यहां पर हो रहे सांस्कृतिक मुद्दों को आगे बढ़ाने के लिए हम यहां पर हो रही हिंदी, तमिल आदि शिक्षण की मांग को पूरा करने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि फ़िजी में हिंदी भाषा का प्रचार और प्रसार पिछले 140 वर्षों से हो रहा है। आज जब मैं अपने पूर्वजों को याद करता हूं तो वह अपने साथ रामायण, गीता तो नहीं लाए थे, लेकिन अपने साथ वह अपनी संस्कृति लाए थे। उन्होंने आगे कहा कि हमारी सरकार ने कदम अपनाए हैं जिससे हिंदी को मजबूत बनाए जाए।
विशेष बात यह भी है कि इस विश्व हिंदी सम्मेलन (World Hindi Conference 2023) में भारत से लेकर दुनियाभर के हिंदी प्रेमी मौजूद थे। वरिष्ठ लेखकों से लेकर पत्रकारों तक और फिल्म जगत से लेकर शिक्षा के क्षेत्र इस कार्यक्रम में हिंदी का गौरव बढ़ाते नजर आए हैं।
भारत सरकार का लक्ष्य है कि कैसे भी करके हिंदी को वैश्विक बनाया जाए और संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी को आधिकारिक भाषा की मान्यता देकर इसका गौरव बढ़ाया जाए। हिंदी के इस गौरव गान को विस्तार देने के लिए अब विदेश मंत्री एस जयशंकर युद्ध स्तर पर काम में जुट गए हैं।
अटल जी की परंपरा
एस जयशंकर जिन विदेश मंत्रियों की परंपरा से आते हैं, उनमें से एक जनता पार्टी की सरकार के दौरान विदेश मंत्री रहे अटल जी हिंदी के कवि थे- उनकी खासियत यह रही कि उन्होंने दुनिया के किसी भी नेता के साथ सार्वजनिक स्तर पर अपनी हिंदी भाषा में ही बात की।
संयुक्त राष्ट्र में पहली बार हिंदी को गुंजायमान करने वाले अटल जी ही थे। पहले विदेश मंत्री रहते हुए और फिर प्रधानमंत्री के तौर पर अटल संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशनों में हिंदी में ही वक्तव्य देते थे।
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मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में विदेश मंत्री बनीं सुषमा स्वराज भी संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देती थीं। ऐसे में विदेश मंत्रियों की हिंदी प्रेम वाली परंपरा को आगे बढ़ाने का काम अब एस जयशंकर भी कर रहे हैं, खास बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिंदी में ही दुनिया तक अपनी बात पहुंचाते हैं।
हिंदी को लेकर भारत के वामपंथियों के मन में एक विशेष घृणा हैं। वैश्विक स्तर पर हिंदी के विस्तार के लिए कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है लेकिन एक सत्य यह भी है कि जो लोग हिंदी में बात करते हैं, उन्हें भारत का ही एक कथित प्रतिष्ठित वर्ग हीन भावना से देखता है जिसको लेकर लगातार पीएम मोदी ने एक अभियान छेड़ रखा है जोकि आवश्यक है।
हिंदी की वर्तमान स्थिति की बात करें तो हिंदी विश्व में चौथी ऐसी भाषा है जिसे सबसे ज्यादा लोग बोलते हैं। वर्तमान में भारत में 45 प्रतिशत से ज्यादा लोग हिंदी भाषा बोलते हैं। वहीं पूरे विश्व की बात करें तो दुनिया में तकरीबन 90 करोड़ लोग ऐसे हैं जो हिंदी बोल या समझ सकते हैं।
भारत के बाहर हिंदी जिन देशों में बोली जाती है उनमें पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, बांग्लोदश, श्रीलंका, मालदीव, म्यांमार, इंडोनेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, चीन, जापान, ब्रिटेन, जर्मनी, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, मॉरिशस, यमन, युगांडा और त्रिनाड एंड टोबैगो, कनाडा आदि देश शामिल हैं।
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विशेष बात यह है कि हिंदी केवल भारत की ही आधिकारिक भाषा नहीं है बल्कि फ़िजी की भी आधिकारिक भाषा हिंदी ही है। फिजी का यह हिंदी प्रेम इसी कारण के चलते अन्य के मुकाबले ज्यादा है।
ऐसे में जब हिंदी को लेकर जोश दुनियाभर में एक अलग स्तर तक पहुंच चुका हो तो फिर विदेश मंत्री एस जयशंकर हिंदी के उत्थान में कैसे पीछे रह सकते हैं, इसीलिए वह भी हिंदी की सेवा में जुट गए हैं।
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